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JMM MLA Sita Soren in BJP-शिबू सोरेन की बड़ी बहू ने अपने पति की बनाईपार्टी क्यों छोड़ी, बीजेपी में क्या मिलेगा ?

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JMM MLA Sita Soren in BJP- शिबू सोरेन की बड़ी बहू ने अपने पति की बनाई पार्टी क्यों छोड़ी, बीजेपी में क्या मिलेगा ?

Posted by Admin | 19 March, 2024

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले तेजी से बदलते सियासी माहौल के बीच बिहार में एक ओर जहां अपने भतीजे को ज्यादा सम्मान मिलने से पशुपति पारस ( Pashupati Paras) ने एनडीए से रिश्ता तोड़ लिया। वहीं झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ( sita soren ) ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा ( Jharkhand Mukti Morcha ) तोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली ।
दुमका जिले की जामा सीट से जेएमएम ( JMM) विधायक सीता सोरेन को बीजेपी ने तोड़ लिया। सीता सोरेन ( Sita soren ) को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। सीता सोरेन, शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं। उनके पति दुर्गा सोरेन ( Durga Soren) की 2009 में 39 साल की उम्र में बीमारी के कारण मौत हो गई थी । उसके बाद दुर्गा सोरेन राजनीति में आईं। पिछले 14 साल से तीन बार विधायक रहने के बावजूद सीता सोरेन को कभी मंत्री नहीं बनाया गया। इससे वे पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ बगावत पर उतर आईं थी।

बीजेपी का ‘ऑपरेशन झारखण्ड’

बीजेपी ने झारखंड में वही किया है, जो यूपी में अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) की भाभी अपर्णा यादव ( Aparna Yadav ) को तोड़कर किया था। अपर्णा भले ही मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh Yadav ) की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ( Sadhana Gupta ) की बहू हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) में आगे न बढ़ाए जाने के कारण अखिलेश यादव से नाराज थीं और सीता सोरेन भी मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं। दोनों की एक जैसी कहानी है, लेकिन सीता सोरेन ( sita soren ) का कद झारखण्ड में इतना बड़ा है कि बीजेपी ( BJP ) उनको तुरुप के पत्ते की तरह पेश कर सकती है, क्योंकि उनके पति दुर्गा सोरेन ने झारखण्ड के गठन की लंबी लड़ाई लड़ी थी और उनके पिता शिबू सोरेन उनको ही अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मौत हो गई और हेमंत सोरेन वारिस बनकर सीएम पद पर पहुंच गए।

सोरेन परिवार का संघर्ष

सीता सोरेन, दुर्गा सोरेन, शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, कल्पना सोरेन- ये नाम झारखण्ड की राजनीति में बहुत बड़ा कद रखते हैं। झारखण्ड में इस समय झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ( JMM ) की सरकार है। झारखण्ड राज्य बनवाने के लिए शिबू सोरेन ने लंबा संघर्ष किया। आदिवासियों को एकजुट करके उन्होंने नया राज्य बनवाया और उसके बाद लोगों ने उनकी पार्टी को सत्ता में बैठाया। 15 नवंबर 2000 को दक्षिणी बिहार से काटकर झारखंड राज्य को अलग किया गया था और उस समय वहां बीजेपी की सीटें ज़्यादा थीं- इसलिए बाबूलाल मरांडी ( Babulal Marandi ) सीएम बने। बाद में चुनाव हुए और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सरकार सत्ता में आ गई- शिबू सोरेन खुद सीएम बने। उनके बड़े बेटे दुर्गा सोरेन और छोटे बेटे हेमंत सोरेन राजनीति में उनके साथ काम करते रहे। दुर्गा सोरेन ने झारखण्ड राज्य के संघर्ष में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और इसलिए राज्य के लोग उनको बहुत मानते थे। लेकिन 2009 में 39 साल की उम्र में किडनी फेल होने के कारण दुर्गा सोरेन की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन ( sita soren ) चुनाव में उतरीं और दुमका जिले की जामा सीट से विधायक बनीं। शिबू सोरेन ने उनको पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद दे दिया। 2014 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और उसी सीट से फिर विधायक बनीं. साल 2019 में जामा विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक चुनी गयी. इस बीच 2018 में शिबू सोरेन की तबियत खराब रहने लगीं तो उन्होंने अपने दूसरे बेटे हेमंत सोरेन को वारिस बना दिया। हेमंत सीएम बन गए, लेकिन भाभी सीता सोरेन को मंत्री नहीं बनाया। हाल ही में जब लैंड स्कैम मामले में हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया तो उनको इस्तीफा देना पड़ा। उस समय सीता सोरेन चाहती थीं कि उनको सीएम बनाया जाए, क्योंकि वे तीसरी बार की विधायक थीं और उनके पति ने राज्य के लिए संघर्ष किया था। लेकिन हेमंत चाहते थे उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनें- इसका सीता सोरेन गुट ने विरोध कर दिया। शिबू सोरेन ने दोनों ही बहुओं की बजाए चंपई सोरेन को सीएम बनवा दिया। हद तो तब हो गई, जब चंपई सोरेन कैबिनेट में भी सीता सोरेन को मंत्री नहीं बनाया गया। यहां से सीता सोरेन खुलकर बगावत पर उतर आईं। कुछ ऐसा ही मामला यूपी में मुलायम परिवार में भी हो चुका है। मुलायम की दूसरी पत्नी के बेटे प्रतीक गुप्ता की पत्नी अपर्णा यादव को जब समाजवादी पार्टी में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला तो वे बीजेपी के साथ आ गईं। बीजेपी ने यूपी वाला दांव झारखण्ड में चल दिया। लोकसभा चुनाव में टिकट और मंत्री पद का ऑफर दिया। इसके अलावा सीता सोरेन ( sita soren ) का नाम नोट के बदले वोट केस में आया था और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन्हें विशेष सीबीआई अदालत के सामने मुकदमे का सामना करना होगा। 2012 के इस खरीद-फरोख्त मामले में सीबीआई पहले ही गवाहों से पूछताछ कर रही थी। इससे भी सीता सोरेन को हर हाल में बीजेपी की शरण में जाने को मजबूर किया। लोकसभा चुनाव के मौके का फायदा उठाकर उन्होंने जेएमएम से इस्तीफा दिया और दोपहर में दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. बीजेपी के झारखण्ड प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान उनके साथ संजय मयूख समेत अन्य नेता शामिल थे.

सीता सोरेन की कहानी

ओडिशा के मयूरभंज (Mayurbhanj ) में पैदा हुईं सीता सोरेन ने 12वीं तक की पढ़ाई की हैं। उनके पिता का नाम बोदु नरायन मांझी और मां का नाम मालती मुर्मू हैं। उनकी तीन बेटियां हैं। सीता सोरेन ( sita soren ) पढ़ने की भी शौकीन हैं और साहित्य के क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद्र को अपना आदर्श मानती हैं। साल 2021 के अक्टूबर में उनकी दो बेटियों राजश्री सोरेन और जयश्री सोरेन ने अपने पिता के नाम पर एक पार्टी का गठन किया था। इसका नाम दुर्गा सोरेन सेना रखा गया। दोनों बेटियों ने कहा था कि इसका मकसद राज्य में भ्रष्टाचार, विस्थापन, जमीन की लूट समेत अन्य मसलों पर संघर्ष करना है। उनकी बेटी राजश्री ने बिजनेस मैनेजमेंट और जयश्री ने कानून की पढ़ाई की है। सीता सोरेन को अगर बीजेपी में मंत्री पद नहीं मिला तो वे दुर्गा सोरेन सेना को फिर से खड़ा कर सकती हैं। इस तरह झारखण्ड की राजनीति में सीता सोरेन अब महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरने वाली हैं। सीता सोरेन अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ भी आवाज़ उठाती रही हैं। राज्य में कोयले के अवैध खनन को लेकर विधानसभा से लेकर सड़क तक उन्होंने प्रदर्शन किया था। सीता सोरेन ने पिछले दिनों चतरा जिले के टंडवा-पिपरवार क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से वन भूमि का अतिक्रमण कर कोयले के अवैध परिवहन का मामला भी विधानसभा में उठाया था. इस संबंध में राजभवन जाकर भी राज्यपाल से शिकायत की थी और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी कार्रवाई की मांग की थी. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने विधानसभा के मॉनसून सत्र में मुख्य द्वार पर प्रदर्शन भी किया था.

सीता सोरेन की ‘पॉलिटिक्स’

अब सवाल उठता है कि जब शिबू सोरेन ने सीता सोरेन ( sita soren ) को इंसाफ नहीं दिलवाया और वे फिर भी अपने ससुर का गुणगान क्यों कर रही हैं, तो इसका कारण है शिबू सोरेन उर्फ गुरुजी का झारखण्ड की जनता की नजर में बहुत सम्मान है। उनके खिलाफ बोलने पर सीता सोरेन की राजनीति ध्वस्त हो सकती है, इसलिए शिबू सोरेन की तारीफ करना और उनके फैसलों पर उंगली न उठाना सीता सोरेन की मजबूरी है। बिल्कुल उसी तरह जैसे अपर्णा भी हमेशा मुलायम सिंह की तारीफों के पुल बांधती रहती हैं।
पार्टी छोड़ते समय सीता सोरेन ( sita soren ) ने जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन को पत्र में कहा कि उनके पति दुर्गा सोरेन झारखण्ड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे। उनके निधन के बाद से ही वो और उनका परिवार लगातार उपेक्षा का शिकार रहा। पार्टी और परिवार के सदस्यों की ओर से अलग-थलग कर दिया गया, जो उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक रहा। विधायक सीता सोरेन ने कहा कि उम्मीद की थी कि समय के साथ स्थितियां सुधरेगी, परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को उनके दिवंगत पति दुर्गा सोरेन ने अपने त्याग-समर्पण और नेतृत्व क्षमता के बल पर मजबूती प्रदान करने का काम किया, लेकिन उन्हें यह देख कर गहरा दुःख होता है कि पार्टी अब उन लोगों के हाथों में चली गयी है जिनके दृष्टिकोण और उद्दे श्य उनके मूल्यों और आदर्शों से मेल नहीं खाते हैं।
जामा से तीन बार विधायक रही सीता सोरेन ( sita soren ) ने कहा कि जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन सभी को एकजुट रखने का अथक प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने कठित परिश्रम किया, लेकिन अफसोस कि उनके प्रयास विफल रहे। सीता सोरेन ने कहा कि हाल ही में यह भी जानकारी मिली है कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ एक गहरी साजिश रची जा रही है।
सियासी जानकार मानते हैं कि परिवार में झगड़े की वजह से शिबू सोरेन ( Shibu Soren) बहुत दुखी रहते हैं, लेकिन ये भी सच है कि उन्होंने कभी अपने बेटे हेमंत सोरेन पर दबाव डालकर बहू के लिए इंसाफ नहीं करवाया। अब इसका खामियाजा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को भुगतना पड़ेगा।

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