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Varun Gandhi Pilibhit – वरुण गांधी ने अपने सियासी कैरियरमें कौन सी ‘बड़ी ग़लती’ की जो आज पीलीभीत से टिकट कटा ?

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Posted by Admin | 26 March, 2024

WhatsApp-Image-2024-03-26-at-4.42.15-PM Varun Gandhi Pilibhit - वरुण गांधी ने अपने सियासी कैरियरमें कौन सी ‘बड़ी ग़लती’ की जो आज पीलीभीत से टिकट कटा ?

बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से युवाओं के बीच लोकप्रिय वरुण गांधी का टिकट क्या काटा, इस पर जमकर राजनीति शुरू हो गई है। पश्चिम यूपी की हाईप्रोफाइल सीट पीलीभीत से बीजेपी ने जितिन प्रसाद को टिकट दे दिया है, जो दो साल पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट तो काटा, लेकिन उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दे दिया। इससे वरुण गांधी खुलकर बीजेपी की मुखालफत भी नहीं कर पा रहे हैं। आज यंगिस्तान में बात इसी युवा नेता की। वरुण कैसे राजनीति में आए, कब उन्होंने अपना ट्रैक बदला और आखिर मोदी जी उनसे नाराज क्यों हो गए, यह सब आगे बताएंगे। साथ ही इससे युवाओं को ये भी सबक मिलता है कि महत्वाकांक्षा उतनी ही पालनी चाहिए, जितनी योग्यता हो, नहीं तो किसी भी कैरियर में नुकसान तय है।

वरुण से क्यों नाराज हैं मोदी ?

varun-gandhi-650_650x400_71486037000 Varun Gandhi Pilibhit - वरुण गांधी ने अपने सियासी कैरियरमें कौन सी ‘बड़ी ग़लती’ की जो आज पीलीभीत से टिकट कटा ?

बताते हैं कि बीजेपी आलाकमान यानी मोदी-अमित शाह, वरुण के पार्टी विरोधी बयानों से बहुत नाराज थे और इसलिए उनकी मां मेनका गांधी से कहा है कि अगली बार आपकी ही सीट से वरुण को टिकट दे देंगे, तब तक पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम अनुशासित होकर करें। लेकिन सवाल उठता है कि क्या वरुण ऐसा करेंगे ? इस बीच कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी ने वरुण को कांग्रेस में आने का ऑफर देकर सबको चौंका दिया। राजनीति में मौके की नजाकत का बड़ा रोल होता है। अधीर रंजन ने वरुण को जो ऑफर दिया है, उसमें अगर वे चले जाते हैं तो ऐसी सीट से लड़वाएंगे, जहां उनकी हार तय हो। इसका कारण यह भी है कि वरुण भी राहुल गांधी की तरह इंदिरा गांधी यानी गांधी परिवार के वारिस हैं। अगर एक वारिस आगे बढ़ जाएगा तो उसकी तुलना दूसरे वारिस यानी राहुल गांधी-प्रियंका से होगी और इसमें अगर वरुण बीस साबित हो गए तो कल कांग्रेस कार्यकर्ताओं उनको अध्यक्ष बनाने की मांग भी कर सकते हैं। अगर वरुण नहीं माने तो यानी कांग्रेस में नहीं गए तो कल गांधी परिवार कह सकते है कि देखिए, हमने तो उनको न्यौता दिया था, लेकिन तब वे आए ही नहीं।
इस समय बड़ा सवाल ये है कि वरुण गांधी क्या करेंगे ? पीलीभीत सीट पर 27 मार्च को नामांकन की आखिरी तारीख है और वरुण ने पहले से चार सेट मंगवाकर रखे हुए हैं। लेकिन अगर वे निर्दलीय मैदान में उतरते हैं तो इसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार को मिलेगा। बीजेपी खेमे के वोट जितिन और वरुण में बंटने से विपक्षी पार्टी को फायदा होगा, वरुण अगर यह करेंगे तो इससे दो नुकसान होंगे- पहला तो चुनाव हारने का ठप्पा लग जाएगा, वो भी समाजवादी पार्टी के लो-प्रोफाइल माने जाने वाले नेता से । दूसरा उनकी मां मेनका का सुल्तानपुर से चुनाव फंस जाएगा। एसपी प्रत्याशी भगवत शरण गंगवार दावा कर रहे हैं कि वरुण गांधी की टीम अंदरखाने उनको सपोर्ट करेगी ।
भगवत शरण दरअसल वरुण के समर्थकों को कन्फ्यूज करना चाहते हैं, क्योंकि वरुण तो अब चुप्पी साध लेंगे।

वरुण की पुरानी कहानी

WhatsApp-Image-2024-03-26-at-4.42.39-PM Varun Gandhi Pilibhit - वरुण गांधी ने अपने सियासी कैरियरमें कौन सी ‘बड़ी ग़लती’ की जो आज पीलीभीत से टिकट कटा ?

वरुण गांधी का टिकट कटने के पीछे उनकी लगातार पार्टी विरोधी बयानबाजी रही। 2009 में जब वो नए नए बीजेपी में आए थे तो अपनी जगह बनाने के लिए कट्टर हिन्दू समर्थक बयान देते थे। उस समय बीजेपी में आडवाणी-जोशी का दौर था और मेनका गांधी ने अपनी सीट से वरुण को चुनाव मैदान में उतार दिया था। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पीलीभीत सीट अपने बेटे के लिए खाली कर दी थी । वहां से वरुण पहली बार चुनावी मैदान में उतरे। इससे पहले 1989 से लेकर 2004 तक मेनका पांच बार जीत दर्ज कर चुकी थीं। परंपरागत सीट से वरुण को जीत दिलाने में मेनका कामयाब हो गईं। 2009 में मेनका ने खुद आंवला सीट से चुनाव लड़ा और कांटे के मुकाबले में जीत दर्ज करने में सफल हुईं। 2014 में प्रदेश में मोदी लहर चल रही थी। इस बार सीट बंटवारे में मेनका की नहीं चली। एक बार फिर मेनका पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतरीं। वहीं, वरुण सुल्तानपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए। दोनों सीट भाजपा के पाले में आई। 2019 के लोकसभा चुनाव में ही मोदी वरुण का टिकट काटना चाहते थे, क्योंकि 2016 से ही वे खुद को यूपी के बड़े नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करने लगे थे, जो पार्टी को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। मोदी ने यूपी की जिम्मेदारी मनोज सिन्हा को देने का मन बना रखा था। हालांकि मनोज सिन्हा जब 2017 में गाजीपुर से हार गए तो योगी जी सीएम बन गए।
लेकिन, 2019 में गांधी परिवार के चेहरे को बनाए रखने के लिए मोदी – शाह ने मां- बेटे के सीट में बदलाव कर दिया। मेनका को सुल्तानपुर से चुनावी मैदान में उतारा और वरुण पीलीभीत से चुनावी मैदान में उतारे गए। दोनों सीटों से जीत दर्ज करने में दोनों कामयाब रहे। हालांकि, इसके बाद से लगातार वरुण गांधी पार्टी पर हमलावर हो गए। इसके बाद अंदर से गुस्साए वरुण ने बीजेपी पर हमलों की बरसात कर दी। उन्होंने अपनी छवि भी कट्टटर सनातन समर्थक की बजाए सर्व धर्म समभाव वाली बनानी शुरू कर दी।

क्या वरुण को सबके सिखाया गया ?

WhatsApp-Image-2024-03-26-at-4.42.40-PM-1 Varun Gandhi Pilibhit - वरुण गांधी ने अपने सियासी कैरियरमें कौन सी ‘बड़ी ग़लती’ की जो आज पीलीभीत से टिकट कटा ?

अब सवाल उठता है कि वरुण गांधी को क्या बीजेपी आलाकमान ने सबक सिखाया है ? वरुण गांधी लगातार 2016 से पार्टी को चुनौती दे रहे थे। 2017 में जब योगी यूपी के सीएम बने, उससे भी एक साल पहले से वरुण गांधी खुद को यूपी के सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे। लेकिन पार्टी का इसको समर्थन जरा भी नहीं था, इसलिए वरुण ने अपने हिसाब से राजनीति चलानी शुरू कर दी। अपनी सांसद निधि को भी वे पार्टी की नीतियों के खिलाफ खर्च करने लगे, जिससे पीएम बहुत नाराज थे। वे लगातार योगी सरकार पर भी हमले कर रहे थे। कोरोना काल में नाइट कर्फ्यू लगाने का मामला हो या युवाओं को रोजगार देने का मामला हो, वो योगी सरकार की खुलेआम आलोचना करते रहे। तो क्या अब वे कांग्रेस में जाएंगे- तो अगर राहुल गांधी उनको खुद बुलाते हैं तो वो जा सकते हैं। लेकिन सोनिया गांधी शायद ऐसा नहीं चाहतीं हैं, क्योंकि एक तो राहुल पहले ही कांग्रेस को जीत नहीं दिला पा रहे हैं और कद्दावर वरुण गांधी पहुंच गए तो गांधी परिवार के वारिस के तौर पर उनको देखा जाने लगेगा, जो राहुल प्रियंका के लिए लंबे दौर की राजनीति के हिसाब से मुफीद नहीं होगा। बाकी राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

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