Success Mantra- औरत हो या मर्द, इन 3 कामों में संकोच न करें, नहीं तो जीवन ‘बर्बाद’ हो जाएगा
Posted by Admin | 13 March, 2025

Reality of Society- युवावस्था ( young age) में कदम रखते ही समाज और परिवार ( family) की ओर से हम सभी पर कामयाबी ( Success ) पाने का दबाव आने लगता है। कई बार इस उम्र तक आते आते युवाओं को समझ में नहीं आता है कि उसे अपना पैशन ( Passion) फॉलो करना चाहिए या पैसा कमाने ( Earning) पर ज़ोर देना चाहिए। उसे ये भी समझ नहीं आता है कि मेरे लिए कामयाबी की परिभाषा ( Definition of Success ) क्या है। तो आज यंगिस्तान (youngistan.co.in) आपके इस कन्फ्यूजन को दूर करने की कोशिश करेगा।
ज़िंदगी में कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जिनमें अगर हम संकोच करते हैं, तो हमारा पूरा जीवन बेकार हो सकता है, लेकिन शुरू में हमें ये ठीक से समझ में नहीं आती है। एक ऐसा समय आता है, जब दौर निकल चुका होता है, फिर पछताते हैं। इसलिए अगर आपके आसपास भी कोई ऐसा दोस्त, परिचित या रिश्तेदार है, तो उस तक भी ये जानकारी पहुंचनी ज़रूरी है, क्योंकि जब तक उसका दिमाग साफ (shorten ) नहीं होगा, वो पूरे जुनून के साथ काम नहीं करेगा।
1. धन कमाने में संकोच न करें

आपने जिन्दगी (Life ) में हर किसी को पैसे पर बात करते हुए सुना होगा। कई बार आपको लगता है कि ये पागल हैं, जो हर समय पैसा पैसा ( money) करते रहते हैं। आपकी बात कुछ हद तक सही, लेकिन सच्चाई( reality of society) ये है कि पैसा ही समाज का आधार है। चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में कहा था, “धन ही जीवन का आधार है, बिना इसके सम्मान और सुख दोनों अधूरे हैं।” पुराने ज़माने में भी लोग जानते थे कि बिना पैसे के समाज में कोई इज़्ज़त नहीं देता। आज भी ये सच है। अगर कोई आपको ये कहे कि पैसा कमाना गलत है या सम्मान उससे ऊपर है, तो उसे समझाइए कि बिना धन के सम्मान भी कोरा सपना है।
उदाहरण: मान लीजिए, एक लड़का है, राहुल। वो बहुत मेहनती है, लेकिन उसे लगता है कि नौकरी माँगना या बिज़नेस शुरू करना उसकी शान के खिलाफ है। वो सोचता है कि लोग उसे क्या कहेंगे। नतीजा? वो सालों तक बेरोज़गार रहता है और घरवाले भी उससे नाराज़ रहते हैं। दूसरी तरफ, उसकी दोस्त प्रिया ने बिना संकोच के एक छोटी दुकान शुरू की। आज वो अपने पैरों पर खड़ी है और लोग उसकी तारीफ करते हैं।
पश्चिम के मशहूर लेखक रोबर्ट कियोसाकी ने अपनी किताब Rich Dad Poor Dad में कहा, “Money isn’t everything, but it’s right up there with oxygen.” यानी पैसा सब कुछ नहीं, लेकिन ऑक्सीजन की तरह ज़रूरी है। तो दोस्तों, मेहनत से पैसा कमाने में कभी शर्म न करें। ये आपकी ज़िंदगी को आसान बनाएगा।
2. अच्छा भोजन करने में संकोच न करें

दूसरी बात है खाना। हमारा शरीर एक मशीन की तरह है। अगर आप इसे सही ईंधन नहीं देंगे, तो ये कैसे चलेगा? डॉक्टर्स कहते है कि युवा संतुलित डाइट नहीं लेते। बाहर का तला-भुना बहुत ज़्यादा खाते हैं, केवल टेस्ट पर ज़ोर देते हैं, जबकि बॉडी ( body) को प्रॉपर विटामिन्स (vitamins) और मिनरल्स ( minerals ) भी चाहिए होते हैं। चाणक्य ( Chanakya) ने कहा था, “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है।” अगर आप खाने में कंजूसी करते हैं या सोचते हैं कि “अरे, ये तो महंगा है, नहीं खाऊँगा,” तो आप अपने शरीर को कमज़ोर कर रहे हैं।
उदाहरण: एक लड़की, नेहा, ऑफिस में काम करती है। वो हर दिन बाहर का सस्ता खाना खाती है क्योंकि उसे लगता है कि घर से अच्छा खाना लाना टाइम की बर्बादी है। नतीजा? कुछ महीनों में उसे कमज़ोरी और थकान होने लगी। डॉक्टर ने बताया कि उसके शरीर में विटामिन्स की कमी हो गई। दूसरी तरफ, उसका दोस्त अजय रोज़ घर से पौष्टिक खाना लाता है। वो फिट रहता है और काम में भी आगे है।
पश्चिम के मशहूर डॉक्टर William Bunting ने कहा था, “You are what you eat.” यानी आप जो खाते हैं, वही बनते हैं। तो दोस्तों, अपने लिए अच्छा खाना बनवाएं, फल-सब्ज़ियाँ भी खाएँ, और अगर बाहर खा रहे हैं तो क्वालिटी पर ध्यान दें। इसमें संकोच करने से आपका स्वास्थ्य बर्बाद हो सकता है। कभी कभी चीट डेज हो सकते हैं, लेकिन हमेशा बाहर का खाना, सेहत बर्बाद कर देगा और कम उम्र में ही बीमारी पकड़ सकती है।
3. सवाल पूछने में संकोच न करें

तीसरी और सबसे ज़रूरी बात—सवाल पूछना। अगर आपको किसी विषय में कुछ समझ नहीं आता, तो बिना झिझक पूछ लीजिए। चाणक्य ने कहा था, “ज्ञान वो खज़ाना है जो सवालों से ही खुलता है।” जो लोग सवाल नहीं पूछते, वो अधूरे ज्ञान के साथ ज़िंदगी में पीछे रह जाते हैं।
उदाहरण: स्कूल में एक बच्चा, रोहन, था। उसे मैथ्स समझ नहीं आता था, लेकिन वो टीचर से पूछने में शर्माता था कि कहीं बाकी बच्चे उसका मज़ाक न उड़ाएँ। नतीजा? वो हर बार फेल होता रहा। वहीं उसकी बहन, रिया, हर बार सवाल पूछती थी। आज वो इंजीनियर है और रोहन अभी भी उसी जगह अटका है।
पश्चिम के दार्शनिक सुकरात का कहना था, “The only true wisdom is in knowing you know nothing.” यानी असली समझ तब आती है जब आप ये मानते हैं कि आपको अभी बहुत कुछ सीखना है। तो चाहे नौकरी हो, पढ़ाई हो, या कोई नया काम, कुछ समझ न आए तो पूछ लीजिए। ये आपकी ज़िंदगी को बर्बाद होने से बचाएगा।
इन तीनों का आपस में क्या कनेक्शन है?
ये तीनों चीज़ें—पैसा कमाना, अच्छा खाना, और सवाल पूछना—आपकी ज़िंदगी की बुनियाद हैं। पैसा आपको ज़रूरतें पूरी करने की ताकत देता है, अच्छा खाना आपके शरीर को मज़बूत रखता है, और सवाल पूछना आपके दिमाग को तेज़ करता है। अगर इनमें से किसी एक में भी कमी हुई, तो आपकी ज़िंदगी अधूरी रह जाएगी।
चाणक्य ने कहा था, “संतुलन ही सफलता की कुंजी है।” और पश्चिम के विचारक अरस्तू ने कहा, “Happiness is the meaning and purpose of life.” यानी सुखी ज़िंदगी का मतलब है कि आप इन सब चीज़ों को सही तरीके से अपनाएँ|
ज़िंदगी में संकोच क्यों हानिकारक है?
संकोच करना मतलब अपने लिए मुसीबत मोल लेना। चाहे वो पैसा कमाने की शर्म हो, अच्छा खाने की कंजूसी हो, या सवाल पूछने का डर—ये सब आपको पीछे धकेलते हैं। एक बार सोचिए, अगर प्रिया ने दुकान शुरू करने में संकोच किया होता, तो क्या वो आज सफल होती? अगर अजय अच्छा खाना न खाता, तो क्या वो फिट रह पाता? और अगर रिया सवाल न पूछती, तो क्या वो इंजीनियर बन पाती? जवाब है—नहीं।
तो संकोच छोड़ें, ज़िंदगी संवारें

तो चाहे आप औरत हों या मर्द, इन तीन कामों में कभी संकोच न करें। धन कमाएँ, अच्छा खाएँ, और सवाल पूछें। ये तीनों आपकी ज़िंदगी को न सिर्फ आसान बनाएँगे, बल्कि आपको सम्मान, स्वास्थ्य, और ज्ञान भी देंगे। चाणक्य से लेकर पश्चिम के विचारकों तक, सबका यही मानना है कि जो इन चीज़ों को अपनाता है, वही ज़िंदगी में आगे बढ़ता है।
अगर आपको यंगिस्तान की ये बात समझ में आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें, उनको भी समझाना आपकी जिम्मेदारी हैं। इस लेख को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया।

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