social media power using by women’s- छोटा सा मोबाइल कैसे गांव की महिलाओं को अमीर बनाने में जुटा, ऑनलाइन कारोबार बदलने लगा गांवों की तकदीर
Posted by Admin | 13 March, 2025

Social media marketing- छोटा सा स्मार्टफोन ( smartphone) और सोशल मीडिया (social media ) की दुनिया, आमतौर पर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि मोबाइल में ही घुसे रहते हो, कभी इससे बाहर निकलकर दुनिया में क्या हो रहा है, उसे भी जानो। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यही मोबाइल भारत ( India) में बड़े पैमाने पर ग्रामीण महिलाओं (village women’s) की जिन्दगी में पॉजिटिव बदलाव ( positive changes) ला रहा है। भारत के एक बड़े हिस्से में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सिर्फ दोस्तों से चैट करने या फोटो शेयर करने तक सीमित नहीं रहा। अब ये एक ऐसा हथियार ( marketing tools) बन गया है, जिसके जरिए ग्रामीण भारत की महिलाएं अपने छोटे-छोटे कारोबार को आसमान की ऊंचाइयों तक ले जा रही हैं। Nasscom Foundation और LEAD at Krea University ने हाल ही में जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें चौंकाने वाले बदलावों के बारे में बताया गया है। “डिजिटल डिविडेंड: ग्रामीण भारत में महिला उद्यमियों द्वारा सोशल कॉमर्स के उपयोग को समझना”, नामकी की इस रिपोर्ट में आंकड़ों के साथ बताया गया है कि ‘कैसे फेसबुक ( Facebook), व्हाट्सऐप ( whatsApp) , इंस्टाग्राम (Instagram)और यूट्यूब ( youtube) जैसे प्लेटफॉर्म ग्रामीण महिलाओं की जिंदगी ( life) बदल रहे हैं। इस रिपोर्ट में ये साफ दिखता है कि गांव की महिलाएं सोशल मीडिया को अपने बिजनेस की सीढ़ी बना रही हैं और अपनी मेहनत से नई कहानी लिख रही हैं। आज यंगिस्तान (youngistan.co.in) आपको इस बारे में डिटेल में बताएगा। आखिर महिलाएं सोशल मीडिया को अपने कारोबार के लिए कैसे इस्तेमाल कर रही हैं, इससे कौन-कौन से प्रोडक्ट्स ( products ) की बिक्री हो रही है, उनकी मदद कौन कर रहा है और ये जागरूकता उनमें कहां से आई।
किन राज्यों में तरक्की
वैसे तो आजकर सोशल मीडिया का जादू हर तरफ फैला हुआ है। दिन भर लोग रील्स और वीडियो देखने में काफी समय खर्च करते हैं। शहरों से होता हुआ सोशल मीडिया का जादू ग्रामीण भारत के हर कोने में फैल रहा है, लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं जहां महिलाएं इसका फायदा उठाकर अपने कारोबार को आगे बढ़ा रही हैं।
Nasscom Foundation और LEAD at Krea University की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और राजस्थान जैसे राज्यों में ग्रामीण महिलाएं सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रही हैं। इन राज्यों में पिछले कुछ सालों से महिलाओं के लिए डिजिटल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिसकी वजह से वो फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हुई हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में तो हालात ऐसे हैं कि वहां की महिलाएं अपने गांवों से बाहर निकले बिना ही अपने प्रोडक्ट्स को शहरों तक पहुंचा रही हैं। वहीं, हरियाणा और राजस्थान में पारंपरिक हस्तशिल्प और कपड़ों का काम करने वाली महिलाएं अब ऑनलाइन मार्केट (online market ) की ताकत को समझ रही हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में भी महिलाएं अपने घरों में बने जैम, अचार और शहद जैसे प्रोडक्ट्स को सोशल मीडिया के जरिए बेच रही हैं। इन राज्यों में इंटरनेट की पहुंच बढ़ने और सस्ते स्मार्टफोन की उपलब्धता ने भी महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका दिया है। जिस तरह एलन मस्क के स्टारलिंक का भारत में जियो और एयरटेल के साथ समझौता हुआ है, उसके बाद ऊंचे पहाड़ी इलाकों में भी इंटरनेट की पहुंच आसान हो जाएगी और उसके बाद यहां के लोगों को और फायदा होगा।
रिपोर्ट बताती है कि इन राज्यों की कम से कम 80% ऐसी महिलाएं, जिनके पास टेक्नोलॉजी तक थोड़ी-बहुत पहुंच है, सोशल कॉमर्स का इस्तेमाल कर रही हैं। भले ही डिजिटल साक्षरता में अभी कमी हो, लेकिन इन महिलाओं का हौसला और कुछ नया करने की चाहत उन्हें आगे बढ़ा रही है।
सोशल मीडिया से बिजनेस
अब सवाल ये है कि ये ग्रामीण महिलाएं सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने बिजनेस के लिए कैसे कर रही हैं? जवाब बड़ा आसान है—वो इसे अपनी दुकान बना रही हैं! पहले जहां गांव की महिलाएं अपने प्रोडक्ट्स को हाट-बाजार या लोकल दुकानों तक ले जाती थीं, वहीं अब वो सीधे ग्राहकों से जुड़ रही हैं। फेसबुक पर ग्रुप बनाकर, इंस्टाग्राम पर फोटो डालकर और यूट्यूब पर वीडियो बनाकर वो अपने सामान की मार्केटिंग कर रही हैं।
व्हाट्सऐप, फेसबुक पर सज़ा बाज़ार

गांव की महिलाएं फेसबुक पर लोकल बिजनेस ग्रुप्स जॉइन कर रही हैं। मिसाल के तौर पर, कोई महिला अगर साड़ियां बुनती है, तो वो अपने इलाके के फेसबुक ग्रुप में उसकी फोटो डालती है। लोग कमेंट में ऑर्डर देते हैं और पेमेंट ऑनलाइन या डिलीवरी पर ले लिया जाता है। फेसबुक का मार्केटप्लेस फीचर भी इनके लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है।
रील्स वीडियो की ताकत
इंस्टाग्राम पर छोटे-छोटे रील्स और यू-ट्यूब पर वीडियो बनाकर महिलाएं अपने प्रोडक्ट्स को दुनिया को दिखा पा रही हैं। जैसे कि कोई महिला अगर मिट्टी के बर्तन बनाती है, तो वो उसकी बनाने की प्रक्रिया का 90 सेकंड का वीडियो डालती है। लोग इसे देखते हैं, पसंद करते हैं और डायरेक्ट मैसेज में ऑर्डर करते हैं।
व्हाट्सएप बिजनेस: व्हाट्सएप तो इन महिलाओं का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। वो अपने ग्राहकों का एक ग्रुप बनाती हैं और वहां अपने नए प्रोडक्ट्स की फोटो भेजती हैं। ऑर्डर लेने से लेकर डिलीवरी की डिटेल तक, सब कुछ व्हाट्सएप पर हो जाता है।
यूट्यूब पर ब्रांडिंग: कुछ महिलाएं यूट्यूब पर अपने काम को दिखाने के लिए वीडियो बना रही हैं। मिसाल के लिए, कोई महिला अपने गांव में शहद बनाती है, तो वो इसका पूरा प्रोसेस वीडियो में रिकॉर्ड करती है और अपलोड कर देती है। इससे न सिर्फ उसकी बिक्री बढ़ती है, बल्कि लोग उस पर भरोसा भी करने लगते हैं।
ये तरीके इतने आसान हैं कि कम पढ़ी-लिखी महिलाएं भी इन्हें सीख रही हैं। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 73% महिलाएं अब अपने प्रोडक्ट्स को प्रमोट करने, नए ग्राहकों तक पहुंचने और अपने स्किल्स को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही हैं।
कौन से प्रोडक्ट्स की बिक्री हो रही है?

ग्रामीण महिलाएं सोशल मीडिया के जरिए हर तरह के प्रोडक्ट्स बेच रही हैं, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो सबसे ज्यादा पॉपुलर हो रही हैं। Nasscom Foundation की रिपोर्ट में इनका जिक्र भी है। चलिए देखते हैं कि कौन-कौन से प्रोडक्ट्स की धूम मची है:
हस्तशिल्प और हथकरघा: गांवों में बुनाई और कढ़ाई का काम करने वाली महिलाएं अब अपनी साड़ियां, दुपट्टे, कुर्तियां और बैग्स ऑनलाइन बेच रही हैं। राजस्थान और उत्तर प्रदेश की महिलाएं अपने ट्रेडिशनल हैंडलूम प्रोडक्ट्स को देशभर में पहुंचा रही हैं।
खाने-पीने की चीजें: घर में बने अचार, मुरब्बे, पापड़, मसाले और शहद जैसे प्रोडक्ट्स की सोशल मीडिया पर खूब डिमांड है। हिमाचल और उत्तराखंड की महिलाएं अपने ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स को बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
मिट्टी के बर्तन और डेकोरेशन आइटम: बिहार और हरियाणा की महिलाएं मिट्टी के दीये, गमले और सजावटी सामान बनाकर बेच रही हैं। खासकर त्योहारों के मौके पर इनकी बिक्री दोगुनी हो जाती है।
कृषि प्रोडक्ट्स: कुछ महिलाएं अपने खेतों में उगाई सब्जियां, अनाज और दालें सीधे ग्राहकों को बेच रही हैं। वो ऑर्गेनिक होने का दावा करती हैं, जिससे लोग इन्हें ज्यादा पसंद करते हैं।
ब्यूटी और हेल्थ प्रोडक्ट्स: गांवों में कई महिलाएं घर पर हर्बल साबुन, फेस पैक और तेल बनाती हैं। इंस्टाग्राम और फेसबुक पर इनकी मार्केटिंग करके वो अच्छी कमाई कर रही हैं।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ये प्रोडक्ट्स ज्यादातर लोकल और ट्रेडिशनल हैं, जो ग्राहकों को अपनी ओर खींचते हैं। सोशल मीडिया की वजह से अब ये चीजें सिर्फ गांव तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि शहरों और विदेशों तक पहुंच रही हैं।
इन महिलाओं की मदद कौन कर रहा है?

ग्रामीण महिलाओं का सोशल मीडिया पर इतना एक्टिव होना अपने आप नहीं हुआ। इसके पीछे कई लोग और संगठन हैं जो उनकी मदद कर रहे हैं। Nasscom Foundation और LEAD at Krea University की रिपोर्ट में इनका भी जिक्र है।
Nasscom Foundation का योगदान: Nasscom Foundation ने Google.org के साथ मिलकर 2021 में एक प्रोग्राम शुरू किया था, जिसका मकसद ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल और बिजनेस स्किल्स सिखाना था। इस प्रोग्राम के तहत 1500 से ज्यादा मास्टर ट्रेनर्स तैयार किए गए, जिन्होंने 20,000 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेनिंग दी। ये ट्रेनर्स महिलाओं को फोन चलाना, सोशल मीडिया अकाउंट बनाना और ऑनलाइन मार्केटिंग सिखाते हैं।
सरकारी और NGO सपोर्ट: सरकार के कई स्कीम्स जैसे डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया ने भी महिलाओं को प्रोत्साहन दिया है। इसके अलावा, लोकल NGO और स्वयं सहायता समूह (SHG) भी महिलाओं को ट्रेनिंग और फंडिंग दे रहे हैं।
प्राइवेट कंपनियां: Google.org जैसी कंपनियां फंडिंग और टेक्निकल सपोर्ट दे रही हैं। वहीं, फेसबुक और इंस्टाग्राम भी छोटे बिजनेस को प्रमोट करने के लिए फ्री टूल्स और वर्कशॉप्स ऑफर करते हैं।
परिवार और कम्युनिटी: कई बार महिलाओं के घरवाले और गांव के लोग भी उनकी मदद करते हैं। कोई भाई फोटो खींचने में मदद करता है, तो कोई पति डिलीवरी का इंतजाम करता है।
इन सबके बिना ग्रामीण महिलाओं का ये सफर इतना आसान नहीं होता। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मास्टर ट्रेनर्स में से 82% महिलाएं अब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को समझती हैं और दूसरों को सिखा रही हैं।
जागरूकता कहां से आई?
अब सवाल ये है कि इन महिलाओं में सोशल मीडिया और बिजनेस को लेकर इतनी जागरूकता आई कहां से? इसके कई कारण हैं:
स्मार्टफोन और इंटरनेट: पिछले कुछ सालों में गांवों में सस्ते स्मार्टफोन और जियो जैसे सस्ते डेटा प्लान की वजह से इंटरनेट हर घर तक पहुंच गया। महिलाएं अपने बच्चों या पति के फोन से शुरूआत करती हैं और फिर खुद का फोन ले लेती हैं।
ट्रेनिंग प्रोग्राम: Nasscom Foundation जैसे संगठनों के प्रोग्राम ने महिलाओं को डिजिटल दुनिया से जोड़ा। इन प्रोग्राम्स में उन्हें बताया गया कि सोशल मीडिया सिर्फ टाइमपास नहीं, बल्कि कमाई का जरिया भी हो सकता है।
सोशल प्रेशर और इंस्पिरेशन: जब गांव की एक महिला अपने बिजनेस को सोशल मीडिया से बढ़ाती है और कमाई करती है, तो बाकी महिलाएं भी उसे देखकर प्रेरित होती हैं। ये देखा-देखी का असर भी बहुत बड़ा है।
टीवी और रेडियो: सरकार और प्राइवेट कंपनियों के विज्ञापन जो टीवी और रेडियो पर चलते हैं, वो भी महिलाओं को डिजिटल टूल्स के बारे में बताते हैं।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भले ही डिजिटल साक्षरता अभी पूरी तरह न हो, लेकिन महिलाओं का आत्मविश्वास और सीखने की ललक उन्हें आगे बढ़ा रही है।
चुनौतियां और अवसर: रिपोर्ट क्या कहती है?

रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण महिलाओं के सामने ये मुश्किलें हैं:
· इंटरनेट की अनियमित स्पीड।
· पुरुषों का विरोध या “यह तुम्हारे बस का नहीं” जैसी सोच।
· ऑनलाइन पेमेंट और लॉजिस्टिक्स की समझ की कमी।
लेकिन अवसर भी बड़े हैं:
· सोशल कॉमर्स मार्केट 2025 तक 3.5 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान।
· ग्राहक अब सीधे उत्पादक से खरीदना पसंद करते हैं।
ग्रामीण महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है—इंटरनेट की स्पीड कम होना, फोन चलाने की पूरी जानकारी न होना, और कभी-कभी परिवार का सपोर्ट न मिलना। लेकिन Nasscom Foundation की रिपोर्ट सुझाव देती है कि अगर इन महिलाओं को और ट्रेनिंग, सस्ती टेक्नोलॉजी और मार्केट तक पहुंच दी जाए, तो वो और बड़े स्तर पर काम कर सकती हैं।
सोशल मीडिया आज ग्रामीण भारत की महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद बन गया है। उत्तराखंड से लेकर बिहार तक, वो अपने हस्तशिल्प, खाने-पीने की चीजों और कृषि प्रोडक्ट्स को बेचकर न सिर्फ अपनी जिंदगी बदल रही हैं, बल्कि अपने गांव और परिवार को भी मजबूत कर रही हैं। Nasscom Foundation और LEAD at Krea University की रिपोर्ट इस बात का सबूत है कि टेक्नोलॉजी सही हाथों में पहुंचे, तो चमत्कार कर सकती है। इन महिलाओं की मेहनत, हौसला और थोड़ा सा सपोर्ट उन्हें वो मुकाम दिला सकता है, जिसका सपना उन्होंने कभी नहीं देखा था।
सरकार, NGOs और निजी कंपनियों को इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर और ग्रामीण डिजिटल लिटरेसी पर और काम करने की ज़रूरत है। फिर देखिए, कैसे भारत की ग्रामीण महिलाएं दुनिया को नया बिज़नेस मॉडल सिखाती हैं!
तो अगली बार जब आप फेसबुक पर कोई अचार या साड़ी का विज्ञापन देखें, तो याद रखें—ये किसी गांव की महिला की मेहनत हो सकती है, जो सोशल मीडिया की ताकत से अपनी कहानी लिख रही है। इस बारे में आपकी क्या राय है,कॉमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें। यंगिस्तान के इस लेख को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया।

Post Comment