Paytm Ban- 10 हज़ार की नौकरी से 10 हज़ार करोड़ के मालिक बने विजय शेखर शर्मा से कौन सी ‘गलती’ हो गई? क्या मोदी जी बचाएंगे?
Posted by Admin | 6 February, 2024
फिल्म बाहुबली का एक डॉयलॉग बहुत मशहूर हुआ था कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? सोशल मीडिया में आजकल पेटीएम की बर्बादी के लिए इस मीम्स का जमकर इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें कटप्पा को आरबीआई और पेटीएम को बाहुबली बताया जा रहा है। यहां पर सवाल उठ रहा है कि फिर कटप्पा को आदेश देने वाली राज माता की भूमिका में कौन है ? यानी हिन्दुस्तान में बाहुबली जैसी पोजीशन पर बैठा पेटीएम अचानक कैसे आरबीआईई और ईडी के फैसलों का शिकार हो गया है, ये सवाल पहेली बन गया है। लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं है. चीन की लोन बांटने वाली कंपनियों से रिश्ते और दस्तावेजों में गड़बड़ी के कारण पेटीएम ( paytm ) की आज ये हालत हो रही है। इसी के बाद गांव गांव, शहर शहर में ये सवाल गूंजने लगा है कि क्या तीस हज़ार करोड़ की कंपनी पेटीएम बन्द हो जाएगी ?
क्या पेटीएम ( paytm ) का इस्तेमाल करना आपको मुश्किल में डाल सकता है ? क्या पेटीएम में जमा आपके पैसे वापस मिल पाएंगे या पेटीएम की सेवाएं चलती रहेंगी या बन्द हो जाएंगी- ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो आजकल आम लोगों के मन में उठ रहे हैं दरअसल जब से आरबीआई ने पेटीएम पर कार्रवाई का आदेश दिया है, उसके बाद ही पेटीएम को लेकर लोगों के मन में ढेरों आशंकाएं पनपी हुई हैं।
रिजर्व बैंक ने पेटीएम पर रोक क्यों लगाई?
दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank of India ) ने 31 जनवरी 2024 को तत्काल प्रभाव से एक आदेश जारी करके पेटीएम पेमेंट्स बैंक ( paytm payments bank ) के नए ग्राहक जोड़ने पर रोक लगा दी। साथ ही केंद्रीय बैंक ने कंपनी को यह आदेश भी दिया कि 29 फरवरी के बाद मौजूदा ग्राहकों के भी अकाउंट में धनराशि जमा करने पर रोक लगा दी जाए । 29 फरवरी के बाद कोई भी बैंकिंग सर्विस पेटीएम पेमेंट्स बैंक ( paytm payments bank ) द्वारा नहीं दी जाएगी । इसका मतलब यह हुआ कि 29 फरवरी के बाद पेटीएम ग्राहक अकाउंट, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, वॉलेट, फास्टैग
( fastag) व नेशनल मोबिलिटी कार्ड्स ( national mobility cards ) में पैसा नहीं डाल पाएंगे। आरबीआई के इस एक्शsन के बाद पेटीएम का फास्टै्ग ( fastag) इस्तेेमाल कर रहे लोग कंफ्यूजन में है। बहुत से लोगों का मानना है कि फरवरी बीतने के बाद पेटीएम फॉस्टैtग ( paytm fastag ) काम ही नहीं करेगा। इस खबर के सामने आने के बाद पेटीएम का शेयर बुरी तरह गिरने लगा। एक बार तो शेयर 40 से 50 फीसदी तक गोते लगा चुका है। इससे समझा जा सकता है कि पेटीएम का मार्केट कैप कितना प्रभावित हुआ होगा।
पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा के पास दस हजार करोड़ से भी ज़्यादा की संपत्ति है, और ये सब पेटीएम से बढ़ते कारोबार की वजह से हुआ। लेकिन चीनी कंपनियों से रिश्ते और ईडी की कार्रवाई के बाद पेटीएम को पहला झटका आईपीओ से लग गया था। आईपीओ के चलते कंपनी की मार्केट कैप बहुत नीचे आ गई है।
बताते हैं कि 2021 में पेटीएम के शेयर की बाजार लिस्टिंग 1950 रुपये पर हुई थी, लेकिन इस समय उसकी मौजूदा कीमत पांच सौ रुपये से भी कम रह गई है। हाल ये है कि सॉफ्टबैंक ने पेटीएम में अपनी हिस्सेदारी घटा दी है और चीन की अलीबाबा और वारेन बफेट के बर्कशायर हैथवे ने अपनी हिस्सेदारी बेच दी है। एक्सपर्ट का मानना है कि विजय शेखर शर्मा को निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।
पेटीएम के मालिक की कहानी
पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा की ( Vijay Shekhar Sharma ) कहानी फर्श से अर्श तक आने की है। विजय शेखर शर्मा का जन्म 7 जून 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ( Aligarh ) में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनकी मां एक गृहिणी और पिता एक स्कूल शिक्षक थे। उनकी पत्नी का नाम मृदुला शर्मा है, जबकि बेटे का नाम विवान शर्मा है। शुरू में अंग्रेजी में कमजोर विजय शेखर ने हिन्दी मीडियम से पढ़ाई की लेकिन वे पढ़ाई में बहुत तेज और क्लास में हमेशा फर्स्ट आते थे। 14 साल की उम्र में ही उन्होंने 12वीं पास कर ली थी । विजय शेखर ने एक बार कहा था कि कभी उनके पास यात्रा करने के लिए भी पैसे नहीं रहते थे. खर्च चलाने के लिए वो घरों में इंटरनेट कनेक्शन लगाते थे.
दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाई के दौरान उन्होंने कोडिंग की भी शिक्षा प्राप्त की और कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम का निर्माण किया। उन्होंने थर्ड ईयर में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर ‘XS’ नामक कंपनी की शुरुआत की। इसका बिजनेस मॉडल बहुत सारे लोगों को पसंद आया। विजय शेखर शर्मा ने 1999 में, उन्होंने ‘XS’ कंपनी को अमेरिका की ‘लोटस इंटरवर्क’ को पांच लाख डॉलर में बेच दिया। इसके बाद उन्होंने उसी कंपनी में नौकरी कर ली। लेकिन कुछ दिन ही विजय ने नौकरी छोड़ दी और ‘वन 97’ नामक कंपनी बनाई। लेकिन डॉट कॉम बुम के कारण उनकी कंपनी फिर से कामयाब नहीं हो पाई। इन नाकामियों से विजय ने हार नहीं मानी और अपनी जुझारूपन से सीखते रहे। इस दौरान उन्हें काफी आर्थिक मुश्किलों का भी सामना करना पड़ा। 2004 में वह अपनी एक छोटी सी कंपनी के जरिए मोबाइल कॉन्टेंट बेचा करते थे.
विजय शेखर शर्मा का संघर्ष
एक इंटरव्यू में विजय ने बताया था कि कम सैलरी के कारण उनकी शादी नहीं हो पा रही थी. जब लड़की वालों को उनकी कमाई का पता चलता था तो वे इनकार कर देते थे. वह कहते हैं, “लड़की वालों को जब पता चलता था कि मैं दस हजार रुपये महीना कमाता हूं तो वे दोबारा बात ही नहीं करते थे. मैं अपने परिवार का अयोग्य कुआंरा बन गया था.”
लेकिन उन्होंने हार नहीं माना और 2001 में ‘Paytm’ नामक नई कंपनी की स्थापना की। 2009 तक उनकी कंपनी मोबाइल रिचार्ज का काम करती रही। धीरे-धीरे उन्होंने इसमें बाकी ऑनलाइन सर्विसेज भी जोड़नी शुरू कर दी। और आज यह देश का सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। जिसकी कुल वेल्यू तीस हजार करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है। पेटीएम को सबसे बड़ा फायदा मगर मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया से मिला, जिसने उनके कारोबार को पंख लगा दिए। जब जियो ने इंटरनेट बहुत सस्ता कर दिया तो गांवों तक स्मार्टफोन पहुंच गया और इसी के साथ पेटीएम के तरक्की के रास्ते में खुलते चले गए। दुनिया की कई बड़ी कंपनियों ने तब पेटीएम में इनवेस्ट् करना शुरू कर दिया। कोरोना काल आया तो एक दूसरे को छूने की मनाही के चलते पेटीएम से ही कारोबार होने लगा और आज पेटीएम के पास लगभग 33 करोड़ वॉलेट अकाउंट हैं. पेटीएम से तो विजय शेखर ने कारोबार खड़ा किया और ज़्यादातर शेयर बिक गए, लेकिन पेटीएम पेमेंट्स बैंक को पेटीएम एप की रीढ़ माना जाता था. इसमें विजय शेखर शर्मा की हिस्सेदारी 51 फीसदी है. पेटीएम की बर्बाद की कहानी 2022 में तब शुरू हुई जब ईडी से उसकी शिकायत की गई। ईडी ने पेटीएम के कई ठिकानों पर सितंबर 2022 में छापे मारे। उस समय पेटीएम का नाम चीनी लोन देने वाली कई कंपनियों से जोड़ा जाता रहा। इसीलिए ईडी ने उनके दफ्तरों पर छारा मारा और सरकार पर भी सवाल उठने लगे कि वो पेटीएम को खुली छूट दे रही है। यहां से मोदी सरकार की नजर पेटीएम पर टेढ़ी होनी शुरू हो गई।
चीनी कंपनियों से दोस्ती?
चीनी कंपनियों के साथ गहरी दोस्ती के आरोप लगे तो पेटीएम ने सफाई में कहा था कि चीनी कंपनियों से उसका कोई लिंक नहीं है. छापों के बाद ईडी ने कहा कि छापेमारी में चीन के कुछ व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित इन कंपनियों के “मर्चेंट आईडी और बैंक खातों” में जमा 17 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. एजेंसी ने कहा है कि ये कंपनियां भारतीय नागरिकों के फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके उन्हें फर्जी तरीके से डायरेक्टर बनाती हैं, जबकि इन कंपनियों का नियंत्रण और परिचालन चीन के लोगों के हाथ में रहता है. कुछ समय पहले तक चीन की एंट ग्रुप की सहयोगी कंपनी एंटफिन के पास पेटीएम के एक चौथाई शेयर थे, लेकिन बाद में पेटीएम की पैरेन्टल कंपनी वन 97 कम्यूनिकेशन ने शेयर वापस खरीद लिए और अब एंटफिन की हिस्सेदारी 23.79% से घटकर अब महज 9.9% रह गई है। बीते दिनों एंटफिन ने रेसिसीलिएंट असेट मैनेजमेंट बीवी को अपनी 10.3% हिस्सेदारी बेची है। अब सवाल उठता है कि पेटीएम की ऐसी हालत क्या केवल चीनी लोन कंपनियों से दोस्ती के कारण हुई। तो जवाब है कि उन पर मोदी सरकार की अनदेखी का आरोप भी लग रहा था। तरक्की के रास्ते में उड़ान भरते हुए वे पेटीएम के मालिक अपनी जड़ों को भूल गए। चुनाव जल्द ही आने वाले हैं और चीन के साथ भारतीय कंपनी के रिश्तों का मोदी सरकार पर असर पड़ सकता था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरबीआई ने पेटीएम में मनी लॉन्ड्रिंग और नो-योर-कस्टमर यानी KYC से जुड़ी गड़बड़ियां पाई हैं। इसलिए यूपीआई और फास्ट टैग सर्विस पर रोक है, पीटीएम वॉलेट पर रोक नहीं लगाई है। उसकी सर्विस चलती रहेगी। दरअसल कुछ महीने पहले आरबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को पेटीएम में इस गड़बड़ी के बारे में अलर्ट किया था, लेकिन पेटीएम की ओर से लगातार नियमों का उल्लंघन जारी रहा। इसके बाद 31 जनवरी को
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तत्काल प्रभाव से पेटीएम पेमेंट बैंक पर पाबंदी लगा दी। आदेश के तहत पेटीएम की कई सर्विसेज 29 फरवरी से बंद हो जाएंगी। आरबीआई के एक्शन से करोड़ों यूजर्स प्रभावित हुइ हैं। वहीं अभी भी बहुत से लोगों में कन्फ्यूजन है। पेटीएम का पेमेंट बाजार में करीब 17 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में आरबीआई की के इस आदेश का करोड़ों लोगों पर असर पड़ा है। आरबीआई की इस कार्रवाई का असर पेटीएम के शेयर पर भी पड़ा है। पेटीएम के शेयर में लगातार लोअर सर्किट लग रहे हैं।चार फरवरी को पेटीएम के शेयर 10 फीसदी की गिरावट के साथ 438.50 रुपये के लोअर सर्किट पर ट्रेड कर रहे थे। डरे हुए निवेशक धड़ाझड़ा शेयर बेचने में लगे हैं।
आरबाई ने कहा है कि 29 फरवरी के बाद कोई भी बैंकिंग सर्विस पेटीएम पेमेंट्स बैंक द्वारा नहीं दी जाएगी. इसका मतलब यह हुआ कि 29 फरवरी के बाद पेटीएम ग्राहक अकाउंट, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, वॉलेट, फास्टैग (Paytm FASTag) व नेशनल मोबिलिटी कार्ड्स में पैसा नहीं डाल पाएंगे. आरबीआई के इस एक्शटन के बाद पेटीएम का फास्टैनग इस्तेकमाल कर रहे लोग भी कंफ्यूजन में है. बहुत से लोगों का मानना है कि फरवरी बीतने के बाद पेटीएम फॉस्टैनग काम ही नहीं करेगा.
पेटीएम के ग्राहकों का क्या होगा?
29 फरवरी के बाद पेटीएम फास्टैनग काम करेगा या नहीं, यह आरबीआई के आदेश से ही स्प ष्ट हो जाता है. आरबीआई ने अपने आदेश में यह स्पगष्टा किया है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जो मौजूदा ग्राहक हैं वह अपने अभी के अमाउंट का पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं. चाहें वह पैसा सेविंग्स अकाउंट, करंट अकाउंट, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, फास्टैग, नेशनल या फिर कॉमन मोबिलिटी कार्ड में हो, उसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पर तारीख की कोई पाबंदी नहीं है. इससे साफ है कि
आपके खाते में अभी जितना पैसा है उसे आप आगे अपनी इच्छानुसार किसी भी तिथि तक इस्तेमाल कर सकते हैं. हां, आप 29 फरवरी के बाद अपने पेटीएम फॉस्टैसग अकाउंट को रिचार्ज नहीं कर पाएंगे. मतलब अकाउंट में पड़ा पैसा खर्च होने के बाद पेटीएम फास्टै्ग बेकार हो जाएगा क्यों कि आप इसमें और पैसे नहीं डाल पाएंगे. हालांकि, पेटीएम ने एक फरवरी को एक्स पर एक पोस्टइ में लिखा, “आप अपने Paytm FASTag पर मौजूदा बची राशि का उपयोग जारी रख सकते हैं। उम्मीद है कि पेटीएम इस संकट से उबर जाएगी और एक बार फिर से दुनिया की बड़ी कंपनी बन जाएगी, लेकिन उसे चीनी लोन कंपनियों से अपनी दोस्ती से बचकर रहना होगा।