Motivational Story – सपनों की ताकत का जादू देखना है तो मनोहरपुर के रोहित की कहानी सुनो, जिसने माइक्रोसॉफ्ट में एक करोड़ के पैकेज पर नौकरी हासिल की
Posted by Admin | 08 March, 2025

गांव के मिडिल स्कूल में पढ़ने वाला रोहित आज माइक्रोसॉफ्ट ( Microsoft) कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर ( software engineer) बन गया है। किसान ( farmer) परिवार में पले बढ़े रोहित के परिवार में कभी खाने तक की समस्या थी, लेकिन अपनी लगन और मेहनत के बल पर रोहित ने एक करोड़ सालाना का पैकेज हासिल किया है। यंगिस्तान ( youngistan.co.in) आज आपको मनोहरपुर गांव के उस रोहित की कहानी सुनाएगा, जिसने सपने देखे और मेहनत के दम पर उनको पूरा किया।
एक छोटा सा गांव और बड़ा सपना
जिन्दगी में वही आगे बढ़ता है, जो सपना देखता है। हालात के आगे हार जाने वालों को कुछ नहीं मिलता। रोहित ने किसी किताब में ये लाइनें पढ़ीं थीं, जो उसे हमेशा याद रहीं। यूपी के एक छोटे से गांव में, जहां खेतों की हरियाली और मिट्टी की सौंधी खुशबू ही जिंदगी का आधार थी, वहां किसान परिवार में रोहित का जन्म हुआ। उसके पिता सुबह से शाम तक खेतों में पसीना बहाते, लेकिन फिर भी कई बार घर में दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल हो जाता। मां खेतों से लौटकर चूल्हे पर रोटियां बनाती, और रोहित अपने दो छोटे भाई-बहनों के साथ मिट्टी के आंगन में खेलता। गरीबी ने उनके घर को जकड़ रखा था, लेकिन रोहित के मन में कुछ अलग करने की चाह थी। वो सोचता, “क्या जिंदगी बस खेतों तक ही सीमित रहेगी? क्या मेरे सपनों का कोई मतलब नहीं?”
रोहित गांव के मिडिल स्कूल में पढ़ता था। स्कूल की बिल्डिंग जर्जर थी, बेंच टूटी हुई थीं, और किताबें भी पूरी नहीं मिलती थीं। फिर भी, उसकी आंखों में चमक थी। वो टीचर की हर बात को ध्यान से सुनता और रात को मिट्टी के फर्श पर लालटेन की रोशनी में अपनी कॉपी पर लिखाई करता। गणित उसे बहुत पसंद था। वो कहता, “नंबरों में जादू है। ये मुझे कुछ बड़ा करने का रास्ता दिखाएंगे।”
जमींदार की पोती राधिका का आगमन
एक दिन गर्मियों की छुट्टियों में गांव में हलचल मच गई। जमींदार की पोती राधिका दिल्ली से गांव आई थी। राधिका दिल्ली के बड़े कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी बातें, उसका लहजा, और उसकी सोच गांव वालों से बिल्कुल अलग थी। वो जींस और टी-शर्ट में घूमती, हाथ में स्मार्टफोन लिए कुछ न कुछ देखती रहती। गांव के लोग उसे देखकर कहते, “ये शहर की लड़की है, इसे क्या पता हमारी जिंदगी।” लेकिन राधिका का दिल बहुत बड़ा था। वो गांव के बच्चों से बात करना पसंद करती थी।
एक शाम, जब रोहित अपने स्कूल की किताब लेकर आम के पेड़ के नीचे बैठा कुछ लिख रहा था, राधिका वहां से गुजरी। उसने रोहित को देखा और रुक गई। “क्या पढ़ रहे हो?” उसने पूछा। रोहित थोड़ा झिझका, लेकिन फिर बोला, “गणित। मुझे ये बहुत अच्छा लगता है।” राधिका मुस्कुराई और पास बैठ गई। उसने रोहित की कॉपी देखी और कहा, “तुम्हारा तरीका बहुत अच्छा है। क्या कभी सोचा है कि गणित तुम्हें बहुत आगे ले जा सकता है?”
रोहित ने शर्माते हुए कहा, “दीदी, हमारे पास तो किताबें भी पूरी नहीं होतीं। आगे बढ़ने के लिए पैसा चाहिए, और हमारे पास तो खाने तक के लिए मुश्किल से होता है।” राधिका ने उसकी बात सुनी और बोली, “पैसा जरूरी है, लेकिन मेहनत और सही रास्ता उससे भी ज्यादा जरूरी है। तुम्हें बस एक मौका चाहिए, और वो मैं तुम्हें दे सकती हूं।”
राधिका ने दिखाई राह

राधिका ने अगले दिन रोहित को अपने दादाजी के हवेली में बुलाया। वहां उसने अपना स्मार्टफोन निकाला और कहा, “ये देखो, इंटरनेट। इसमें दुनिया भर की जानकारी है। तुम गांव में बैठकर भी कुछ भी सीख सकते हो।” रोहित ने पहली बार स्मार्टफोन को हाथ में लिया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं। राधिका ने उसे यूट्यूब खोलकर दिखाया और बोली, “यहां गणित के ढेर सारे वीडियो हैं। तुम JEE मेंस की तैयारी कर सकते हो। ये इंजीनियरिंग का रास्ता है। अगर तुम पास हो गए, तो बड़े कॉलेज में पढ़ाई कर सकते हो।”
रोहित को ये बातें सपने जैसी लगीं। उसने कहा, “लेकिन दीदी, मेरे पास तो फोन नहीं है।” राधिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं कुछ दिन और गांव में हूं। हर शाम तुम मेरे पास आया करो। मैं तुम्हें सिखाऊंगी। और जब मैं दिल्ली जाऊंगी, तो अपने पुराने फोन को तुम्हारे लिए छोड़ जाऊंगी। बस तुम वादा करो कि मेहनत करोगे।” रोहित की आंखों में चमक आ गई। उसने कहा, “दीदी, मैं आपको निराश नहीं करूंगा।”
मेहनत की शुरुआत

उस दिन से रोहित की जिंदगी बदल गई। हर शाम वो राधिका के पास जाता। राधिका उसे इंटरनेट का इस्तेमाल सिखाती- यूट्यूब पर वीडियो कैसे देखें, ऑनलाइन नोट्स कैसे डाउनलोड करें, और JEE मेंस की तैयारी कैसे करें। उसने रोहित को बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई उसे एक अच्छी नौकरी दिला सकती है, और वो अपने परिवार की गरीबी को खत्म कर सकता है।
राधिका के जाने से पहले उसने अपना पुराना फोन रोहित को दे दिया। फोन में कुछ डेटा भी था, और उसने कहा, “जब डेटा खत्म हो जाए, तो गांव के दुकानदार से रिचार्ज करवा लेना। थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़कर काम चलाना।” रोहित ने उस फोन को अपने सबसे कीमती तोहफे की तरह संभाला।
अब रोहित दिन-रात मेहनत करने लगा। सुबह वो अपने पिता के साथ खेतों में काम करता, दोपहर में स्कूल जाता, और रात को लालटेन की रोशनी में फोन पर वीडियो देखकर पढ़ाई करता। गांव में बिजली कम ही आती थी, तो वो फोन की बैटरी बचाने के लिए दिन में उसे चार्ज करने की जुगाड़ करता। कई बार भूखे पेट पढ़ाई की, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। राधिका ने उसे वॉट्सऐप पर मैसेज करके हौसला बढ़ाया, “रोहित, तुममें वो आग है जो बड़े सपने पूरे करती है। बस रुकना मत।”
JEE मेंस का इम्तिहान

दो साल की कड़ी मेहनत के बाद रोहित ने 90 फीसदी नंबरों के साथ 12वीं पास की और JEE मेंस का फॉर्म भरा। गांव वालों को उसकी मेहनत पर हंसी आती थी। वो कहते, “किसान का बेटा इंजीनियर बनेगा? ये तो सपने देख रहा है।” लेकिन रोहित को अपने ऊपर भरोसा था। उसने राधिका की सलाह मानी और ऑनलाइन मॉक टेस्ट दिए। परीक्षा वाले दिन वो सुबह 4 बजे उठा, मां से आशीर्वाद लिया, और साइकिल से 20 किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र पहुंचा।
जब रिजल्ट आया, तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। रोहित ने JEE मेंस में अच्छी रैंक हासिल की थी। उसे दिल्ली आईआईटी ( Delhi IIT) में दाखिला मिल गया। राधिका ने फोन करके कहा, “रोहित, ये तो बस शुरुआत है। अब और मेहनत करो, दुनिया तुम्हारे कदमों में होगी।”
कॉलेज से माइक्रोसॉफ्ट तक
कॉलेज में रोहित की जिंदगी आसान नहीं थी। शहर की चकाचौंध और अंग्रेजी बोलने वाले स्टूडेंट्स के बीच वो खुद को अकेला महसूस करता। लेकिन उसने हार नहीं मानी। वो लाइब्रेरी में घंटों बैठकर कोडिंग सीखता। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में उसकी रुचि बढ़ती गई। उसने ऑनलाइन कोर्स किए, प्रोजेक्ट्स बनाए, और इंटर्नशिप के लिए अप्लाई किया।
तीसरे साल में उसे एक बड़ी कंपनी में इंटर्नशिप मिली। वहां उसने दिन-रात मेहनत की और अपने बॉस को इतना प्रभावित किया कि उसे फाइनल ईयर में ही जॉब ऑफर मिल गया। लेकिन रोहित का सपना और बड़ा था। उसने माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी में जाने का लक्ष्य रखा। चौथे साल में उसने माइक्रोसॉफ्ट के लिए अप्लाई किया। कई राउंड के इंटरव्यू के बाद आखिरकार वो दिन आया, जब उसे माइक्रोसॉफ्ट से कॉल आया- “रोहित, आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पोस्ट के लिए चुना गया है। आपका सालाना पैकेज 1 करोड़ रुपये होगा।”
रोहित की आंखों से आंसू छलक पड़े। उसने फोन रखा और अपनी मां के पैर छुए। उसने कहा, “मां, अब हमारे घर में कभी भूख नहीं रहेगी।” उसने राधिका को कॉल करके कहा, “दीदी, ये सब आपकी वजह से हुआ। आपने मुझे रास्ता दिखाया।” राधिका ने हंसते हुए कहा, “रोहित, रास्ता मैंने दिखाया, लेकिन चला तो तुम हो। ये तुम्हारी जीत है।”
गांव से माइक्रोसॉफ्ट तक

आज रोहित माइक्रोसॉफ्ट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसने अपने परिवार के लिए गांव में एक पक्का मकान बनवाया। उसके भाई-बहन अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं। गांव के बच्चे अब उसे देखकर कहते हैं, “हम भी रोहित भैया की तरह बनेंगे।” रोहित अक्सर गांव आता है और बच्चों को पढ़ाता है। वो कहता है, “सपने बड़े हों या छोटे, मेहनत और हिम्मत से सब कुछ मुमकिन है।”
राधिका आज भी उसकी सबसे अच्छी दोस्त है। वो कहती है, “रोहित, तुमने साबित कर दिया कि गांव का एक लड़का भी दुनिया जीत सकता है।” रोहित मुस्कुराता है और कहता है, “दीदी, ये जीत मेरी अकेले की नहीं। ये हर उस इंसान की जीत है, जो सपने देखने की हिम्मत रखता है।”
युवाओं के लिए प्रेरणा

रोहित की कहानी हमें सिखाती है कि हालात कितने भी मुश्किल हों, मेहनत और लगन से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है। राधिका जैसा कोई दोस्त या मेंटर आपकी जिंदगी में रोशनी ला सकता है, लेकिन असली काम तो आपको खुद करना है। अगर रोहित गांव की मिट्टी से माइक्रोसॉफ्ट तक पहुंच सकता है, तो आप क्यों नहीं? उठो, अपने सपनों को सच करने की ठान लो, और मेहनत शुरू कर दो। दुनिया आपके कदमों में होगी।
तो रोहित की तरह अपने सपनों के पीछे भागो। रास्ते में मुश्किलें आएंगी, लेकिन याद रखो- हर मुश्किल के पीछे एक बड़ी जीत छुपी होती है। बस हिम्मत मत हारना!

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