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पूरी दुनिया को ‘हिला’ देने वाले चीन के DeepSeekAI की पूरी कहानी, अमेरिकी कैसे‘बर्बाद’ हुए, भारत के लिए ‘खतरा’ या मौका ?

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Posted by Admin | 28 January, 2025

deep-seek-pic-1 पूरी दुनिया को ‘हिला’ देने वाले चीन के DeepSeekAI की पूरी कहानी, अमेरिकी कैसे‘बर्बाद’ हुए, भारत के लिए ‘खतरा’ या मौका ?


DeepSeek AI- चीन के एक ही एआई टूल ( AI Tool) ने अमेरिकी के अरबतियों की आधी दौलत झटके में उड़ा दी। दुनिया भर के शेयर मार्केट धड़ाम हो रहे हैं। डीप सीक एआई ( DeepSeek AI) के लांच होते ही ऐसा तूफान उठा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) को ‘खतरे’ वाला बयान देना पड़ा। भारत को तो अभी तक समझ ही नहीं आ रहा है कि डीप सीक के फ्री होने पर खुश हों या दुश्मन देश के इतने मजबूत हथियार को भविष्य के लिए खतरा समझें। बहरहाल सच्चाई ये है कि जिस CHAT-GPT और दूसरे एआई टूल्स को टेक की दुनिया का भविष्य बताया जा रहा था, वो औंधे मुंह पड़ा है।
चीन के एआई टूल डीपसीक की कामयाबी ने न केवल अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की तकनीकी कंपनियों को हिलाकर रख दिया है, बल्कि वैश्विक बाजार में नई प्रतिस्पर्धा को भी पैदा कर दिया है। डीपसीक, जिसे चीनी कंपनियों ने कम लागत और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर विकसित किया है, अब चैटजीपीटी और गूगल जेमिनी जैसे भारी भरकम बजट में तैयार एआई मॉडल्स को बर्बाद करने पर उतारू है।

कैसे बना डीपसीक ?

डीपसीक का निर्माण चीन की प्रमुख तकनीकी कंपनी सिनोटेक एआई लैब्स (Cynoteck AI Labs) ने किया है। इसका विकास कार्य 2023 की शुरुआत में शुरू हुआ था और इसे केवल छह महीनों के भीतर पूरा कर लिया या। इस परियोजना ( Project ) में चीन ( China) के शीर्ष एआई वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने योगदान दिया।
आपको यकीन करना मुश्किल होगा कि डीपसीक को बनाने में केवल 49 करोड़ रुपये की लागत आई है। जो अमेरिका के AI Tools की लागत से लगभग दस गुना कम है। इसकी खास विशेषताओं में सुपरफास्ट काउंटिंग, सटीक कोडिंग और बिल्कुल सही जवाब देने की क्षमता शामिल है। यह एआई मॉडल अन्य मॉडलों की तुलना में न केवल सस्ता है, बल्कि बिल्कुल सही उत्तर भी देता है।
खास तौर से, मैथ्य प्रॉब्लम्स और प्रोग्रामिंग टास्क को हल करने में डीपसीक की दक्षता इसे अपने कॉम्पटीटर्स से आगे रखती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि ये बिल्कुल फ्री है। यानी कल्पना करिए अब भारत जैसे देश में लोग फ्री के दीवाने हैं, फिर उनका क्या फर्क पड़ता है कि चीनी कंपनी का टूल है। तो फिर बड़ा सवाल ये है कि क्या वे चैट जीपीटी का पेड वर्जन लेने की जगह डीप सीक का फ्री वर्जन लेना बेहतर नहीं समझेंगे।
डीपसीक के विकास में चीन ने उन तकनीकों का इस्तेमाल किया है, जो कम परिष्कृत लेकिन प्रभावी हैं। यह मॉडल ऐसे चिप्स का इस्तेमाल करता है जो लागत में कम और उत्पादन में आसान हैं। इस रणनीति ने इसे बाजार में तेजी से लाने में मदद की।

अमेरिकी टेक कंपनियां ‘बर्बाद’ ?

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डीपसीक के आने के बाद अमेरिकी टेक कंपनियों, विशेष रूप से एआई और चिप निर्माण से जुड़ी कंपनियों, को बड़ा झटका लगा है। एनवीडिया (Nvedia) , जो एआई चिप्स का सबसे बड़ा निर्माता है, को इसका सबसे बड़ा नुकसान हुआ।
· एनवीडिया के शेयरों में गिरावट: डीपसीक के उभरने के बाद एनवीडिया के शेयरों में
· ये लेख लिखे जाने तक 17% की गिरावट आ चुकी है। इससे कंपनी का बाजार मूल्य एक ही दिन में 593 अरब डॉलर घट गया।
· जेनसन हुआंग की संपत्ति में गिरावट: एनवीडिया के को-फाउंडर और सीईओ जेनसन हुआंग की निजी दौलत में 20.8 अरब डॉलर की कमी आई।
· टेक इंडेक्स नेस्डैक पर प्रभाव: डीपसीक के कारण अमेरिकी टेक इंडेक्स नेस्डैक ( NASDAQ) में 3.1% की गिरावट दर्ज की गई। यह अमेरिकी टेक कंपनियों में निवेशकों की घटती रुचि को दर्शाता है।

शेयर बाज़ार ‘धड़ाम’

डीपसीक के कारण केवल अमेरिकी कंपनियां ही नहीं, बल्कि वैश्विक शेयर बाजार भी प्रभावित हुआ। दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने एक ही दिन में कुल 108 अरब डॉलर का नुकसान झेला। यह घटना तकनीकी क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है।

डीपसीक और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

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डीपसीक का उभरना एआई के क्षेत्र में नई प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। यह प्रतिस्पर्धा केवल तकनीकी क्षमता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें लागत दक्षता और संसाधनों का प्रभावी उपयोग भी शामिल है। चीन ने यह दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों में भी विश्व स्तरीय एआई मॉडल विकसित किए जा सकते हैं।
· ट्रंप की प्रतिक्रिया: अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिकी उद्योगों के लिए चेतावनी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना अमेरिका के लिए प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान है।
· चीन की रणनीति: चीन ने अपनी तकनीकी प्रगति के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन और हथियार निर्माण में भी अपनी स्थिति मजबूत की है। यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बन गया है।

भारत के लिए कितनी चिन्ता

भारत, जो तकनीकी क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है, डीपसीक के उभरने से कई तरह से प्रभावित हो सकता है।
1. सुलभ एआई टूल्स: डीपसीक का कम लागत वाला मॉडल भारत में छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए एआई का उपयोग सुलभ बना सकता है।
2. प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी: भारतीय एआई डेवलपर्स को अब चीन और अमेरिका दोनों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
3. नई संभावनाएं: डीपसीक भारतीय स्टार्टअप्स के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोल सकता है। इसका मुफ्त उपयोग इसे भारतीय बाजार में जल्दी लोकप्रिय बना सकता है।

भारत की सुरक्षा चिंताएं

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भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक रूप से प्रतिद्वंद्विता रही है, और डीपसीक का उभरना इस तनाव को और बढ़ा सकता है।
1. साइबर सुरक्षा का खतरा: डीपसीक जैसे उन्नत एआई टूल्स का उपयोग साइबर हमलों में किया जा सकता है। भारत को अपने डेटा और नेटवर्क की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी।
2. सैन्य उपयोग: चीन ने एआई का उपयोग अपने सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया है। डीपसीक की तकनीक चीन को सैन्य क्षेत्र में और मजबूत बना सकती है, जिससे भारत की रणनीतिक स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है।
3. आर्थिक प्रतिस्पर्धा: भारत की टेक कंपनियों को अब चीन की कम लागत और उन्नत तकनीक से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। यह भारतीय उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

 

 

अमेरिकी कंपनियों के शेयर क्यों गिरे?

 

डीपसीक के आने से अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का मुख्य कारण निवेशकों की चिंता है।
1. प्रतिस्पर्धा का डर: डीपसीक की लागत प्रभावशीलता और कार्यक्षमता ने अमेरिकी कंपनियों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
2. बाजार की प्रतिक्रिया: निवेशकों को लगता है कि डीपसीक के कारण अमेरिकी टेक कंपनियों की आय और बाजार हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है।
3. निवेशकों का विश्वास डगमगाना: डीपसीक के उभरने से अमेरिकी कंपनियों में निवेशकों का विश्वास कमजोर हुआ है।

अमेरिकी कंपनियों के शेयर क्यों गिरे?

डीपसीक का भविष्य

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डीपसीक ने एआई के क्षेत्र में नई उम्मीदें और चुनौतियां दोनों पेश की हैं। इसका सस्ता और कुशल मॉडल इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बना सकता है। हालांकि, यह अमेरिका और अन्य देशों के लिए एक चेतावनी भी है कि उन्हें अपने एआई टूल्स को अधिक कुशल और किफायती बनाना होगा।
· वैश्विक एआई परिदृश्य: डीपसीक के कारण एआई के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। यह उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे बेहतर और सस्ते एआई टूल्स विकसित किए जाएंगे।
· चीन का नेतृत्व: डीपसीक ने चीन को एआई के क्षेत्र में अग्रणी बना दिया है। यह चीन की तकनीकी क्षमताओं का प्रमाण है।

डीपसीक ने दिखा दिया है कि कम लागत और उच्च कार्यक्षमता के साथ भी विश्वस्तरीय तकनीक विकसित की जा सकती है। इसका प्रभाव न केवल तकनीकी क्षेत्र में, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक संतुलन ( Geo Political Balance ) पर भी पड़ा है। भारत को इस अवसर का लाभ उठाकर अपने एआई क्षेत्र को मजबूत करना चाहिए और चीन और अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
भारत को अपनी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए एआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना होगा। यह प्रतिस्पर्धा उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है, लेकिन साथ ही यह तकनीकी और राष्ट्रीय सुरक्षा की नई चुनौतियां खड़ी कर रही है।

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