Cricketer Rachin Ravindra- बेंगलुरु से न्यूज़ीलैण्ड पहुंचे पापा ने सचिन तेंदुलकर बनने की नसीहत दी, बेटे ने उससे बड़ा कारनामा कर दिखाया, वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी में शतक लगाने वाला ‘भारतवंशी’ रचिन रवीन्द्र की पूरी कहानी
Posted by Nirmal | 24 February, 2025

ICC Champions Trophy में 24 फरवरी 2025, रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम। बांग्लादेश ( Bangladesh) के खिलाफ मैच के दौरान न्यूज़ीलैंड ( Newzeland ) का युवा ऑलराउंडर रचिन रविंद्र मैदान ( Rachin Ravindra ) पर उतरता है। कुछ हफ्ते पहले पाकिस्तान दौरे पर एक गंभीर चोट से उबरकर आए इस खिलाड़ी ने इस आईसीसी टूर्नामेंट के डेब्यू मैच में ही 95 गेंदों में 112 रनों की धमाकेदार पारी खेलकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया।
यह न सिर्फ उनका वनडे करियर का चौथा शतक था, बल्कि इसके साथ ही वे चैंपियंस ट्रॉफी में शतक जड़ने वाले न्यूज़ीलैंड के सबसे युवा बल्लेबाज बन गए। इतना ही नहीं वे न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम की तरफ से आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी ( ICC Champions Trophy ) में शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए हैं। 2023 वन डे वर्ल्ड कप के डेब्यू मैच में इंग्लैण्ड के खिलाफ शतक जड़कर उन्होंने अपनी काबिलियत का अहसास करवा दिया था। वनडे वर्ल्ड कप ( one day world cup cricket ) 2023 में 578 रन बनाए और महान सचिन तेंदुलकर ( Sachin Tendulkar ) और पाकिस्तानी कप्तान बाबर आजम ( Babar Azam ) को पछाड़कर अपना पहला विश्व कप खेलने वाले बल्लेबाज द्वारा सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड बनाया। अक्टूबर 2023 में ICC द्वारा उन्हें महीने का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी नामित किया गया था। यह पल उनके संघर्ष, हौसले और प्रतिभा की मिसाल था।
बेंगलुरु से वेलिंगटन तक
रचिन रविंद्र का जन्म 18 नवंबर 1999 को न्यूज़ीलैंड की राजधानी वेलिंगटन ( wellington) में हुआ। परिवार की जड़ें भारत ( India) के बेंगलुरु ( Benguluru ) शहर से जुड़ी हैं। उनके पिता रवि कृष्णमूर्ति एक सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट हैं, जो 1997 में नौकरी के सिलसिले में न्यूज़ीलैंड बस गए। माँ प्रियंका कृष्णमूर्ति ने भी परिवार को नए मुल्क में संभालने में अहम भूमिका निभाई।
रचिन नाम की कहानी
रचिन का नाम दो भारतीय क्रिकेट लीजेंड्स—राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर—से प्रेरित है। पिता रवि बताते हैं, “नाम मेरी पत्नी ने सुझाया था। हमें ‘रा’ (राहुल) और ‘चिन’ (सचिन) का मेल अच्छा लगा। यह कोई प्लानिंग नहीं, बस एक खूबसूरत संयोग था।”
रवि खुद क्लब क्रिकेट खेलते थे और बेटे को बचपन से ही बल्लेबाजी सिखाई। दादा बालकृष्ण अडिगा बेंगलुरु में प्रोफेसर थे, इसलिए रचिन का भारत से गहरा लगाव रहा। हर साल वे परिवार के साथ बेंगलुरु आते और स्थानीय क्लब मैचों में हिस्सा लेते। यहीं से उन्होंने भारतीय पिचों की बारीकियाँ सीखीं।
क्रिकेट की शुरुआत

रचिन ने महज पाँच साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया। पिता उन्हें वेलिंगटन के लोकल ग्राउंड पर ले जाते, जहाँ वे बड़े खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस करते। बचपन का एक किस्सा याद करते हुए रचिन बताते हैं, “एक बार मैंने गेंद को इतना जोर से मारा कि वह पास के घर की खिड़की से टकरा गई। पापा ने मुझे डांटा नहीं, बल्कि कहा, ‘अगली बार और दूर मारना!'”
बेंगलुरु की यात्राएँ उनके लिए ट्रेनिंग कैंप साबित हुईं। यहाँ के क्लब मैचों ने उन्हें स्पिन पिचों और भीड़ के दबाव में खेलने की आदत डाली। रचिन कहते हैं, “भारत में खेलने का अनुभव मेरे लिए गेम-चेंजर रहा। यहाँ के दर्शकों का प्यार और जुनून मुझे हमेशा प्रेरित करता है।”
अंडर-19 में ही चौंका दिया
2016 में सिर्फ 16 साल की उम्र में रचिन ने अंडर-19 विश्व कप में न्यूज़ीलैंड की टीम में जगह बनाई। 2018 के अंडर-19 विश्व कप में उन्होंने 217 रन और 9 विकेट लेकर आईसीसी की ‘उभरते सितारों’ की सूची में जगह पक्की की। कोच मार्क ओ’डॉनेल ने कहा, “रचिन में धैर्य और आक्रामकता का अनोखा मेल है। वह बड़े मौकों के लिए बना है।”
2018 में न्यूज़ीलैंड ए टीम से डेब्यू करने के बाद रचिन ने वेलिंगटन की टीम के लिए खेलना शुरू किया। 2019-20 फोर्ड ट्रॉफी में ऑकलैंड के खिलाफ पहला लिस्ट ए शतक (114 रन) जड़कर सबका ध्यान खींचा। 2020 प्लंकेट शील्ड में उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी शतक बनाया
ऑलराउंड कैसे बने रचिन ?

उनकी लेफ्ट-आर्म स्पिन गेंदबाज़ी ( Spin bolling) भी खास रही। 2021 में वेस्टइंडीज ए ( west indies ) के खिलाफ एक मैच में उन्होंने 5 विकेट लेकर हैट्रिक ( hatric) बनाई। यही वक्त था जब न्यूज़ीलैंड की राष्ट्रीय टीम में उनकी एंट्री तय हो गई।
कानपुर के डेब्यू मैच में ही हीरो बने
रचिन का टेस्ट डेब्यू नवंबर 2021 में कानपुर में भारत के खिलाफ हुआ। न्यूज़ीलैंड की टीम मुश्किल में थी, और रचिन ने आखिरी दिन 91 गेंदों पर 18* रन बनाकर मैच ड्रॉ करवाया। यह छोटी सी पारी उनके धैर्य और तकनीक की मिसाल बन गई।
कामयबी का सफ़र
विश्व कप से पहले रचिन टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन केन विलियमसन और माइकल ब्रेसवेल की चोट ने उन्हें मौका दिया। उन्होंने इस मौके को ज़िंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट बना दिया।
मैच-वार प्रदर्शन:
· इंग्लैंड vs न्यूज़ीलैंड (अहमदाबाद): डेब्यू मैच में 123* रन (82 गेंद)। यह न्यूज़ीलैंड का विश्व कप इतिहास का सबसे तेज़ शतक था।
· ऑस्ट्रेलिया vs न्यूज़ीलैंड (धरमशाला): 116 रन की पारी।
· पाकिस्तान vs न्यूज़ीलैंड (बेंगलुरु): 108 रन।
रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन:
· 10 मैचों में 578 रन (सचिन तेंदुलकर के 523 रन को पछाड़ा)।
· अक्टूबर 2023 में ICC प्लेयर ऑफ द मंथ चुने गए।
· ICC इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर 2023 का खिताब।
भारतीय दर्शकों का प्यार:
बेंगलुरु में श्रीलंका के खिलाफ मैच के बाद रचिन ने कहा, “भारतीय फैंस का नारे लगाना मेरे लिए सपने जैसा है। मैं इसे कभी नहीं भूलूँगा।”
आईपीएल में धोनी की टीम के साथ

2024 की नीलामी में महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली CSK ने रचिन को 1.8 करोड़ में खरीदा। पहले सीज़न में उन्होंने 14 मैचों में 327 रन और 8 विकेट लिए। 2025 में CSK ने RTM कार्ड इस्तेमाल कर उन्हें 4 करोड़ में रिटेन किया। महेंद्र सिंह धोनी ने कहा, “रचिन में वह चिंगारी है जो बड़े मैचों में जलती है।”
जिंदगी-मौत का संघर्ष
2025 की पाकिस्तान त्रिकोणीय सीरीज के दौरान एक कैच लेने की कोशिश में गेंद उनके माथे पर जा लगी। खून बहने लगा, और उन्हें मैदान से बाहर ले जाना पड़ा। डॉक्टरों ने चेतावनी दी, “थोड़ी सी भी गलती खतरनाक हो सकती थी।” लेकिन रचिन ने सिर्फ 15 दिन में वापसी की और चैंपियंस ट्रॉफी में बांग्लादेश के खिलाफ शतक जड़कर सबको हैरान कर दिया।
रिकॉर्ड्स की झड़ी
· चैंपियंस ट्रॉफी में सबसे कम उम्र में शतक (25 साल)।
· वनडे डेब्यू मैच में शतक लगाने वाले न्यूज़ीलैंड के पहले क्रिकेटर।
· एक विश्व कप में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले डेब्यूएंट (578 रन)।
· टेस्ट में दोहरा शतक (दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 240 रन)।
· 2024 में रिचर्ड हेडली मेडल जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी।
भारत से नाता, दिल हमेशा बेंगलुरु में

रचिन अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं। वे कहते हैं, “मेरे पिता ने मुझे कभी भारतीय होने का एहसास नहीं होने दिया। हम घर में दोनों संस्कृतियों को मिलाते हैं।” उनकी माँ अभी भी बेंगलुरु के व्यंजन बनाना पसंद करती हैं, और रचिन को इडली-सांभर बहुत पसंद है।
न्यूज़ीलैंड क्रिकेट का चमकता सितारा
25 साल की उम्र में रचिन ने जो मुकाम हासिल किया है, वह कई दिग्गजों के लिए भी सपना होता है। उनकी लेफ्ट-आर्म स्पिन और आक्रामक बल्लेबाज़ी न्यूज़ीलैंड टीम की रीढ़ बन चुकी है। कोच गैरी स्टीड ने कहा, “रचिन वह खिलाड़ी है जिस पर आप किसी भी मैच में भरोसा कर सकते हैं।”
मेहनत और जुनून की जीत

रचिन रविंद्र की कहानी सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि एक सपने को पूरा करने की जिद्द है। भारतीय मूल का यह लड़का आज न्यूज़ीलैंड का गौरव बन चुका है। जैसे उनके नाम में ‘रा’ और ‘चिन’ का मेल है, वैसे ही उनके खेल में धैर्य और आक्रामकता का संतुलन है। आने वाले सालों में यह सितारा और चमकेगा, यह पूरा क्रिकेट जगत मानता है।

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