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‘गुत्थम-गुत्था’ का इस्तेमाल आपने अच्छा किया.. हर बार ‘गुत्थम-गुत्था’ होने के बाद बेडशीट बदलना जरुरी है.. हे हे हे ..
Posted by Admin | 28 December, 2024
आमतौर पर घरों में बिस्तर पर बिछी चादर ( bed sheet ) को एक दो दिन में बदल दिया जाता है। परिवार में अगर महिलाएं ( ladies) हैं तो वह ज़रूर इसका ध्यान रखती हैं, लेकिन हॉस्टल ( hostel ) या अलग रहने वाले लड़के बेड शीट ( bed sheet ) बदलने पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं। एक ही चादर महीनों तक नहीं बदलते। उसी चादर पर कई बार दोस्तों के साथ गंदे पैरों के साथ भी चढ़ जाते हैं, कई बार खाना भी उसी पर हो जाता है, तो लड़कियों के साथ भी ‘गुत्थम गुत्था’ होते रहते हैं।
बात अगर सर्दियों ( winter hygiene ) की हो तो फिर सबसे बड़ी समस्या धोने के बाद बेड शीट सूखेगी नहीं, इसलिए कौन बदलने की झंझट में पड़े। इसी तरह अगर मोटी गरमचादर(heated bedsheet) बिछा दी तो फिर हो सकता है पूरी सर्दियां उस पर काटने का इरादा कर लिया हो- लेकिन एक मेडिकल रिसर्च ( medical research ) में सामने आया है कि ऐसा करने वालेयुवा कई ख़तरनाक बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं।
वैसे चादर बदलने में मुश्किल से देखा जाए तो 5 से 8 मिनट का समय लगता है। लड़कों की ये गंदी आदत हेल्थ को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकती है। जैसे खाना खाने से पहले हाथ धोकर खाना खाते हैं वैसे ही हर सप्ताह में चादर भी बदलना जरूरी है, क्योंकि लगातार कई दिनों तक एक ही चादर पर सोने से भी बॉडी चादर के जरिए बिषाणु (Bacteria) बॉडी के कॉन्टेक्ट में आ जाती है। इसकी वजह से हार्मोन असंतुलन, सेक्स डिजीज(sexual disease), अस्थमा(asthma), एलर्जी(allergy), फेस पर पींपल होना या फिर कई दूसरी गंभीर बीमारियों की शुरुआत भी हो सकती है।
एक हफ्ते से ज्यादा दिनों तक बेड शीट नहीं बदलने के कारण उनमें जर्म्स(germs) पनपने का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए हर हफ्ते बेड शीट को चेंज कर लिया करें।
एक सर्वे में पता लगा है कि 28 फीसदी युवा हफ्ते में बेड शीट बदलते हैं, जबकि 40 प्रतिशत लड़के 15 दिनों बाद ही चादर बदलते हैं। वहीं 24 प्रतिशत तक युवा 3 हफ्ते में एक ही बार बेड शीट बदलते हैं। और तो और बाकि के 8 फीसदी युवा महीने में एक बार भी चादर नहीं बदलते हैं।
गंदी चादर भी हमारे बीमारी का बड़ा कारण बन जाती है। चादर पर हमारे शरीर का पसीना, बॉडी फ्लूइड जैसे सलाइवा, ऑइल, यूरीन और सेक्शुअल फ्लूइड भी गिरते रहते हैं, जो दिखते तो नहीं, लेकिन धीरे धीरे विषाणुओं को फैलाते रहते हैं। इसमें लगातार सोने से वे बॉडी के संपर्क में आते रहते हैं और बीमारियां पनपना शुरू कर देते हैं। तो अगर आपके किसी जानकार दोस्त में ये गंदी आदत है तो उसे आज ही समझाएं।
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‘गुत्थम-गुत्था’ का इस्तेमाल आपने अच्छा किया.. हर बार ‘गुत्थम-गुत्था’ होने के बाद बेडशीट बदलना जरुरी है.. हे हे हे ..
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