Annual FASTag Pass- फ्री टोल के नाम पर पास बेचकर ‘चूना’ लगा रही है सरकार ? सभी हाइवे पर नहींचलेगा पास, 3 हजार में 200 फेरे नहीं मिलेंगे
Posted by Admin | 22 June, 2025

Free FasTag Scheme – केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नई योजना शुरू की है, जिसे एनुअल फास्टैग पास (Annual FASTag Pass) कहा जा रहा है। इस पास की कीमत 3000 रुपये तय की गई है, और इसे 15 अगस्त 2025 से लागू किया जाएगा। इस पास की वैधता (Validity) एक साल या 200 हाईवे ट्रिप (Highway Trips) तक होगी, जो भी पहले पूरा हो। यह पास खास तौर पर निजी वाहनों (Private Vehicles) जैसे कार, जीप और वैन के लिए है। इस स्कीम (Scheme) का मकसद है टोल प्लाजा (Toll Plaza) पर होने वाली भीड़ और जाम को कम करना, साथ ही बार-बार टोल भुगतान (Toll Payment) की झंझट से छुटकारा दिलाना। लेकिन इस नई योजना को लेकर लोगों के मन में कई सवाल और कन्फ्यूजन (Confusion) हैं। आखिर 200 ट्रिप का मतलब क्या है? क्या यह पास स्टेट हाईवे (State Highway) पर काम करेगा? किन-किन राजमार्गों (Highways) पर यह लागू होगा? यंगिस्तान ( youngistan.co.in) आज इन्ही सवालों के जवाब तलाशेगा।
दरअसल केंद्रीय परिवहन मंत्री (Union Transport Minister) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस एनुअल फास्टैग पास की घोषणा की है, जिसे नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highways Authority of India – NHAI) और मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज (Ministry of Road Transport and Highways – MoRTH) लागू कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस पास का उद्देश्य है कि हाईवे पर यात्रा (Travel) को और सुगम (Seamless) और किफायती (Cost-Effective) बनाया जाए। लेकिन क्या वाकई ऐसा है या कोई हिडेन एजेंडा भी है। पास लेने वालों को राजमार्ग यात्रा मोबाइल ऐप (Rajmarg Yatra Mobile App) और NHAI/MoRTH की आधिकारिक वेबसाइट्स (Official Websites) पर एक्टिवेशन और रिन्यूअल (Activation and Renewal) की सुविधा दी जाएगी। लेकिन इस पास के नियम और शर्तें (Terms and Conditions) क्या हैं? क्या यह वाकई आम लोगों के लिए फायदेमंद (Beneficial) है, या इसके कुछ नुकसान (Drawbacks) भी हैं? आइए, इन सारी बातों को विस्तार से समझते हैं।
200 ट्रिप का मतलब क्या है?

लोगों के बीच सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन इस बात को लेकर है कि आखिर एनुअल फास्टैग पास में 200 ट्रिप (200 Trips) का मतलब क्या है। कई लोग सोच रहे हैं कि 200 ट्रिप का मतलब है कि वे 200 बार अपने गंतव्य (Destination) तक जा सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। सरकार और NHAI ने इसे बहुत साफ तरीके से परिभाषित (Defined) किया है। एक ट्रिप का मतलब है एक टोल प्लाजा (Toll Plaza) को पार करना। यानी, जब आप अपने सफर के दौरान किसी टोल प्लाजा से गुजरते हैं, तो उसे एक ट्रिप माना जाएगा।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप दिल्ली से जयपुर जा रहे हैं, और रास्ते में 4 टोल प्लाजा पड़ते हैं। इस सफर में आपके 4 ट्रिप गिने जाएंगे। अगर आप वापस दिल्ली लौटते हैं और फिर वही 4 टोल प्लाजा पार करते हैं, तो यह 4 और ट्रिप होंगे। यानी, आपका एक राउंड ट्रिप (Round Trip) कुल 8 ट्रिप के बराबर होगा। इस तरह, आपके एनुअल फास्टैग पास के 200 ट्रिप में से 8 ट्रिप कम हो जाएंगे। अगर आप 200 ट्रिप को जल्दी पूरा कर लेते हैं, तो पास की वैधता खत्म (Expire) हो जाएगी, भले ही एक साल पूरा न हुआ हो। और अगर आप एक साल में 200 ट्रिप पूरा नहीं करते, तो पास की वैधता उसकी एक्टिवेशन डेट (Activation Date) से एक साल बाद खत्म हो जाएगी।
किन हाईवे पर चलेगा पास?
एनुअल फास्टैग पास को लेकर एक और बड़ा सवाल यह है कि यह किन हाईवे पर मान्य होगा। तो साफ-साफ समझ लीजिए कि यह पास केवल नैशनल हाईवे और NHAI के नियंत्रण वाले एक्सप्रेसवे पर ही काम करेगा। यह स्टेट हाईवे या राज्य सरकार के नियंत्रण वाले एक्सप्रेसवे पर लागू नहीं होगा। साथ ही, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल वाले हाईवे पर भी यह पास मान्य नहीं होगा।
उदाहरण के तौर पर, अगर आप नोएडा से आगरा के लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर यात्रा करते हैं, तो इस पर एनुअल फास्टैग पास काम नहीं करेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि यमुना एक्सप्रेसवे यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) के अंतर्गत आता है, और इसका नियंत्रण उत्तर प्रदेश सरकार के पास है। इस तरह के एक्सप्रेसवे पर आपको सामान्य फास्टैग या नकद भुगतान करना होगा।
एनुअल फास्टैग पास के फायदे

कम खर्च: 3000 रुपये का यह पास उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अक्सर नैशनल हाईवे पर यात्रा करते हैं। अगर आप नियमित रूप से लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, तो यह पास टोल भुगतान में काफी बचत कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर एक टोल प्लाजा पर औसतन 50-100 रुपये का खर्च आता है, तो 200 ट्रिप का कुल खर्च 10,000 से 20,000 रुपये तक हो सकता है। लेकिन इस पास के साथ आप सिर्फ 3000 रुपये में 200 ट्रिप पूरी कर सकते हैं।
समय की बचत: टोल प्लाजा पर बार-बार रुकने और भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। यह पास ऑटोमैटिकली स्कैन होगा, जिससे आपका समय बचेगा और जाम की समस्या भी कम होगी। खासकर टोल प्लाजा के आसपास रहने वाले लोग, जो रोजाना हाईवे से गुजरते हैं, उन्हें इससे काफी राहत मिलेगी।
सुविधा: इस पास को राजमार्ग यात्रा मोबाइल ऐप या NHAI की वेबसाइट के जरिए आसानी से एक्टिवेट और रिन्यू किया जा सकता है। अगर आपके पास पहले से फास्टैग है, तो उसे इस स्कीम में अपग्रेड करना भी आसान होगा।
भीड़ में कमी: टोल प्लाजा पर तेजी से वाहनों की आवाजाही होने से जाम की समस्या कम होगी। यह उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो लंबी दूरी की यात्रा करते हैं और टोल पर लंबी कतारों से परेशान होते हैं।
एनुअल फास्टैग पास के नुकसान

सीमित दायरा: इस पास का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह सिर्फ NHAI के नियंत्रण वाले नैशनल हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ही मान्य है। स्टेट हाईवे, PPP मॉडल वाले हाईवे, और राज्य सरकार के एक्सप्रेसवे पर यह काम नहीं करेगा। इससे उन लोगों को निराशा हो सकती है जो ज्यादातर स्टेट हाईवे या PPP हाईवे पर यात्रा करते हैं।
200 ट्रिप की सीमा: अगर आप बहुत ज्यादा यात्रा करते हैं, तो 200 ट्रिप की सीमा जल्दी खत्म हो सकती है। ऐसे में आपको दोबारा पास खरीदना होगा, जो अतिरिक्त खर्च बढ़ा सकता है। खासकर कमर्शियल वाहनों के लिए यह पास लागू नहीं है, जिससे इसका दायरा और सीमित हो जाता है।
जागरूकता की कमी: अभी भी बहुत से लोग इस पास के नियम और शर्तों से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। सरकार को इसके बारे में ज्यादा प्रचार-प्रसार करना होगा, ताकि लोग इसका सही इस्तेमाल कर सकें।
तकनीकी समस्याएं: फास्टैग सिस्टम में पहले भी कई बार तकनीकी दिक्कतें सामने आई हैं, जैसे स्कैनिंग में गड़बड़ी या गलत बैलेंस कटने की शिकायतें। अगर एनुअल पास में भी ऐसी समस्याएं आईं, तो यह लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
स्कीम के पीछे क्या पेंच हैं?

एनुअल फास्टैग पास की स्कीम को समझने में कुछ पेंच जरूर हैं। सबसे पहला पेंच है इसकी सीमित उपलब्धता। यह पास सिर्फ NHAI के हाईवे पर काम करेगा, जिसका मतलब है कि देश के ज्यादातर स्टेट हाईवे और PPP मॉडल वाले एक्सप्रेसवे इससे बाहर रहेंगे। इससे उन लोगों को फायदा नहीं होगा जो इन रास्तों पर ज्यादा यात्रा करते हैं।
दूसरा पेंच है 200 ट्रिप की गिनती। जैसा कि हमने बताया, एक टोल प्लाजा पार करना एक ट्रिप माना जाएगा। अगर आप छोटे-छोटे सफर करते हैं, लेकिन बार-बार टोल प्लाजा पार करते हैं, तो आपकी 200 ट्रिप की सीमा जल्दी खत्म हो सकती है। ऐसे में यह पास आपके लिए उतना फायदेमंद नहीं होगा।
तीसरा पेंच है तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर। फास्टैग सिस्टम को लागू करने में पहले भी कई बार दिक्कतें आई हैं, जैसे सर्वर डाउन होना, गलत चार्ज कटना, या टोल पर स्कैनर का काम न करना। अगर इस नई स्कीम में भी ऐसी समस्याएं रहती हैं, तो यह लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।
क्या आम लोगों को वाकई फायदा?

यह स्कीम उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है जो नियमित रूप से नैशनल हाईवे पर लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, खासकर टोल प्लाजा के आसपास रहने वाले लोग या वे जो रोजाना हाईवे से गुजरते हैं। 3000 रुपये में 200 ट्रिप की सुविधा लागत में बचत कर सकती है, लेकिन जो लोग कम सफर करते हैं, उनको खास फायदा नहीं। इसके अलावा अगर आप ज्यादातर स्टेट हाईवे या PPP मॉडल वाले रास्तों पर यात्रा करते हैं, तो यह पास आपके लिए ज्यादा उपयोगी नहीं होगा।
इसके अलावा, अगर आप कम यात्रा करते हैं और 200 ट्रिप को एक साल में पूरा नहीं कर पाते, तो भी यह पास आपके लिए किफायती हो सकता है। लेकिन ज्यादा यात्रा करने वालों के लिए 200 ट्रिप की सीमा जल्दी खत्म हो सकती है, जिससे उन्हें बार-बार रिचार्ज करना पड़ सकता है।
वैसे एनुअल फास्टैग पास एक अच्छी पहल मानी जा रही है, लेकिन इसके पीछे आम लोगों को बड़ी राहत देने की भावना नहीं दिखती, बल्कि टोल वसूली को आसान और किफायती बनाने की कोशिश है। यह उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है जो नेशनल हाईवे पर नियमित यात्रा करते हैं। लेकिन इसके सीमित दायरे, 200 ट्रिप की शर्त, और तकनीकी चुनौतियों की वजह से यह हर किसी के लिए उतना उपयोगी नहीं हो सकता। सरकार को इस स्कीम को और व्यापक करने की जरूरत है, ताकि स्टेट हाईवे और PPP मॉडल वाले रास्तों को भी इसमें शामिल किया जा सके।

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