Bollywood Diva- वो एक्ट्रेस जिसने दिलीप कुमार को ठुकराकर बहन के पति के साथ रचाई शादी
Posted by Admin |9 June, 2025

Bollywood Biography- बॉलीवुड में 1960 का दशक फिल्मों में बेहतरीन संगीत और कहानियों के लिए जाना जाता है। उसी दौर की एक एक्ट्रेंस थीं, कामिनी कौशल। मशहूर एक्ट्रेस (Actress) कामिनी कौशल (Kamini Kaushal), का असली नाम उमा कश्यप (Uma Kashyap) था। उन्होंने 1946 में फिल्म नीचा नगर (Neecha Nagar) से अपने अभिनय (Acting) की शुरुआत की। इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) में पामे डी’ओर (Palme d’Or) जीता, जिसने कामिनी को रातोंरात सुर्खियों में ला दिया। इसके बाद उन्होंने शहीद (Shaheed), दो भाई (Do Bhai), उपकार (Upkar), जिद्दी (Ziddi), रोटी कपड़ा और मकान (Roti Kapda Aur Makaan), और पूरब और पश्चिम (Purab Aur Paschim) जैसी फिल्मों में तहलका मचा दिया।
इन फिल्मों के बाद वे रातों रात एक मशहूर स्टार (Star) तो बन गईं, लेकिन निजी जिंदगी (Life) में उनको कई समझौते करने पड़े। कामिनी का निजी जीवन (Personal Life) कई उतार-चढ़ावों और मजबूरियों (Compulsions) से भरा रहा, खासकर उनकी शादी (Marriage) को लेकर। आइये जानते हैं कि कामिनी की क्या मजबूरी थी, जो उनको अपने जीजा से शादी रचानी पड़ी।
कामिनी का शुरुआती जीवन (Early Life)
कामिनी कौशल का जन्म 16 जनवरी 1927 को लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उस समय का लाहौर ब्रिटिश भारत का हिस्सा था। उनका असली नाम उमा कश्यप था। उनके पिता एक मशहूर बॉटेनिस्ट (Botanist) थे, और परिवार में पढ़ाई-लिखाई को बहुत महत्व दिया जाता था। उस दौर में, जब लड़कियों की शिक्षा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी, उमा ने अंग्रेजी साहित्य (English Literature) में बीए किया। इसके अलावा, उन्होंने तैराकी (Swimming), घुड़सवारी (Horse Riding), स्कीइंग (Skiing), पेंटिंग (Painting), और भरतनाट्यम (Bharatanatyam) जैसी कई कलाओं में महारत हासिल की। उनकी रुचि बचपन से ही कला और साहित्य में थी, और यही रुचि उन्हें फिल्मों की दुनिया में ले आई।
उनका परिवार पढ़ा-लिखा और प्रगतिशील था, लेकिन उस समय के सामाजिक नियम बहुत सख्त थे। खासकर लड़कियों के लिए, फिल्मों में काम करना आसान नहीं था। फिर भी, उमा ने हिम्मत दिखाई और अपने सपनों को पूरा करने की ठानी। उनकी खूबसूरती, प्रतिभा, और आत्मविश्वास ने उन्हें जल्द ही फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) में एक खास जगह दिलाई।
फिल्मी करियर की शुरुआत (Start of Cinematic Career)
कामिनी ने अपने करियर की शुरुआत 1946 में फिल्म ‘नीचा नगर’ से की, जो भारतीय सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने कान्स फिल्म फेस्टिवल में सर्वोच्च पुरस्कार जीता। इस फिल्म में कामिनी का किरदार छोटा था, लेकिन उनकी सादगी और अभिनय ने दर्शकों का ध्यान खींचा। इस फिल्म के बाद उन्हें कई बड़े प्रोजेक्ट्स मिलने शुरू हुए। 1947 में आई ‘दो भाई’ में उन्होंने दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के साथ काम किया, और यह फिल्म सुपरहिट रही। उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके बाद शहीद (1948) और जिद्दी (1948) ने उन्हें एक टॉप एक्ट्रेस के रूप में स्थापित कर दिया।
जिद्दी में उनके साथ देव आनंद (Dev Anand) थे, और यह फिल्म देव आनंद की पहली हिट फिल्म थी। कामिनी की सादगी और स्क्रीन पर उनकी मौजूदगी ने दर्शकों को दीवाना बना दिया। 1949 में शबनम और नदिया के पार जैसी फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ाया। 1954 में आई बिराज बहू में उनके अभिनय ने उन्हें फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Filmfare Best Actress Award) दिलाया। इस फिल्म में उन्होंने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया, जो अपने परिवार के लिए हर मुश्किल को सहन करती है। उनकी यह भूमिका आज भी याद की जाती है।
मेन लीड से कैरैक्टर आर्टिस्ट तक

1960 के दशक तक कामिनी ने कई हिट फिल्मों में नायिका की भूमिका निभाई। लेकिन समय के साथ, उन्होंने चरित्र भूमिकाओं (Character Roles) की ओर रुख किया। 1965 में शहीद में उन्होंने एक मां का किरदार निभाया, जो अपने बेटे की शहादत को गर्व से देखती है। इस फिल्म में उनके अभिनय को बहुत सराहा गया। इसके बाद उन्होंने मनोज कुमार (Manoj Kumar) की कई फिल्मों में काम किया, जैसे उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), रोटी कपड़ा और मकान (1974), और संन्यासी (1975)। इन फिल्मों में उन्होंने मां, भाभी, या अन्य महत्वपूर्ण चरित्र भूमिकाएं निभाईं, जो कहानी का अहम हिस्सा थीं।
रोटी कपड़ा और मकान में उनका किरदार एक ऐसी औरत का था, जो समाज की मुश्किलों से जूझती है। इस फिल्म ने सामाजिक मुद्दों को उठाया और कामिनी के अभिनय ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। इसी तरह, पूरब और पश्चिम में उन्होंने भारतीय संस्कृति और मूल्यों को दर्शाने वाले किरदार को बखूबी निभाया।
कामिनी ने अपने करियर में 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। बाद के सालों में, वह लागा चुनरी में दाग (2007) और चेन्नई एक्सप्रेस (2013) जैसी फिल्मों में भी छोटी लेकिन प्रभावशाली भूमिकाओं में नजर आईं। उनकी खासियत थी कि वह हर किरदार को जीवंत कर देती थीं, चाहे वह नायिका हो या चरित्र अभिनेत्री।
निजी जीवन और शादी की मजबूरी
कामिनी का फिल्मी करियर जितना शानदार था, उनका निजी जीवन उतना ही उथल-पुथल भरा रहा। उनकी शादी की कहानी उनके जीवन का सबसे चर्चित और भावनात्मक हिस्सा है। कामिनी ने अपने जीजा, ब्रह्म स्वरूप सूद (B.S. Sood) से शादी की, जो उनकी बड़ी बहन के पति थे। इस शादी के पीछे की कहानी दिल को छू लेने वाली है।
कामिनी की बड़ी बहन का नाम था, और वह बी.एस. सूद से शादीशुदा थीं। बी.एस. सूद एक नौसेना अधिकारी (Naval Officer) थे। उनकी बहन की शादी के बाद दो बेटियां थीं, कुमकुम और कविता। लेकिन दुर्भाग्यवश, कामिनी की बहन की तबीयत खराब रहने लगी, और कुछ समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। उस समय कामिनी की भांजियां बहुत छोटी थीं। परिवार में यह सवाल उठा कि बच्चों की देखभाल कौन करेगा। बी.एस. सूद ने अपनी पत्नी के निधन के बाद दोबारा शादी करने का फैसला किया, लेकिन वह चाहते थे कि उनकी बेटियों को एक ऐसी मां मिले, जो उन्हें अपने बच्चों की तरह प्यार दे।
कामिनी उस समय अपने करियर के चरम पर थीं। उनकी खूबसूरती और प्रतिभा के चर्चे हर जगह थे। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी और अपनी भांजियों के भविष्य को देखते हुए उनके परिवार ने जीजा से शादी करने का दबाव डाला। जिद्दी में काम करने के बाद एक्टर दिलीप कुमार भी कामिनी पर दिल लुटा बैठे। उन्होंने कई बार कामिनी के आगे प्यार का इजहार किया, लेकिन कामिनी परिवार की मर्जी के आगे झुक गईं और उन्होंने अपने जीजा बी.एस. सूद से शादी करने का फैसला किया, ताकि उनकी भांजियों को मां का प्यार मिल सके। यह शादी 1948 में हुई, जब कामिनी केवल 21 साल की थीं। कुछ फिल्मी मैगजीन में छापा गया कि जीजा से शादी करने के बाद भी कामिनी दिलीप कुमार को चाहती रहीं। दोनों का रोमांस 1948 में रिलीज हुई फिल्म ‘शहीद’ के सेट पर शुरू हुआ था। दोनों शादी की प्लानिंग भी करने लगे थे।
एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपे आर्टिकल के मुताबिक, जिस वक्त कामिनी दिलीप को डेट कर रही थीं, उस वक्त वे शादीशुदा थीं। वैसे जीजा से शादी का फैसला कामिनी के लिए आसान नहीं था। उस समय समाज में ऐसी शादियां आम नहीं थीं, और लोग तरह-तरह की बातें करते थे। इसके अलावा, फिल्म इंडस्ट्री में शादीशुदा अभिनेत्रियों को नायिका के किरदार मिलना मुश्किल हो जाता था। लेकिन कामिनी ने अपनी जिम्मेदारी को चुना। उन्होंने अपनी भांजियों को अपनी बेटियों की तरह पाला और उनके लिए एक मां की हर भूमिका निभाई।
शादी के बाद

बी.एस. सूद के साथ शादी के बाद कामिनी मुंबई के मालाबार हिल (Malabar Hill) में रहने लगीं। उनकी शादी से उनके दो बेटे हुए, राहुल और श्रवण। कामिनी ने अपने परिवार और करियर को संतुलित करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने अपनी भांजियों और अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उनकी शादी की खबर ने कुछ हद तक उनके करियर को प्रभावित किया। उस समय शादीशुदा अभिनेत्रियां अक्सर नायिका के किरदारों से बाहर कर दी जाती थीं। फिर भी, कामिनी ने हिम्मत नहीं हारी और चरित्र भूमिकाओं में अपनी जगह बनाई।
उनके पति बी.एस. सूद ने हमेशा उनका साथ दिया। वह एक समझदार और सहयोगी पति थे, जिन्होंने कामिनी को उनके करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। कामिनी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी शादी एक जिम्मेदारी के तौर पर शुरू हुई थी, लेकिन समय के साथ वह और बी.एस. सूद एक-दूसरे के करीब आए। उनका रिश्ता प्यार और सम्मान पर आधारित था।
सामाजिक दबाव और चुनौतियां
उस समय के समाज में एक विधुर (Widower) जीजा से शादी करना आसान नहीं था। लोग तरह-तरह की बातें करते थे। कुछ ने इसे परिवार के लिए बलिदान माना, तो कुछ ने इसे गलत ठहराया। लेकिन कामिनी ने कभी इन बातों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। वह हमेशा अपने फैसले पर अडिग रहीं। उनकी भांजियों और बच्चों के लिए उनका प्यार हर आलोचना से ऊपर था।
फिल्म इंडस्ट्री में भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शादी के बाद नायिका के किरदार मिलना कम हो गया, लेकिन कामिनी ने इसे एक मौके के रूप में लिया। उन्होंने चरित्र भूमिकाओं में अपनी प्रतिभा दिखाई और दर्शकों का दिल जीता। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें एक ऐसी अभिनेत्री बनाया, जो हर तरह के किरदार में फिट हो सकती थी।
कामिनी की विरासत

कामिनी कौशल भारतीय सिनेमा की उन गिनी-चुनी अभिनेत्रियों में से हैं, जिन्होंने नायिका और चरित्र अभिनेत्री दोनों भूमिकाओं में अपनी छाप छोड़ी। उनकी फिल्में आज भी भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर की याद दिलाती हैं। नीचा नगर से लेकर चेन्नई एक्सप्रेस तक, उनका सफर लंबा और प्रेरणादायक रहा।
उनका निजी जीवन भी एक मिसाल है। उन्होंने अपने परिवार के लिए जो बलिदान दिया, वह हर किसी के बस की बात नहीं। अपनी भांजियों के लिए जीजा से शादी करना और फिर अपने बच्चों और करियर को संभालना, यह सब उनकी मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
कामिनी कौशल का जीवन एक ऐसी कहानी है, जो साहस, बलिदान, और प्रतिभा से भरी हुई है। उन्होंने न सिर्फ फिल्मों में अपनी कला से लोगों का दिल जीता, बल्कि अपने निजी जीवन में भी कई मुश्किल फैसले लिए। उनकी शादी की कहानी एक ऐसी मजबूरी थी, जो प्यार और जिम्मेदारी में बदल गई। आज भी, जब लोग कामिनी कौशल का नाम लेते हैं, तो उनके अभिनय और उनके जीवन की कहानी दोनों को याद करते हैं। वह एक ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपनी जिंदगी को पूरी शिद्दत से जिया और हर मुश्किल को हिम्मत से पार किया।

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