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Flying Taxi – जाम से आज़ादी, ओला कैब के बराबर किराया,भारत में जल्द शुरू होने वाली उड़ने वाली टैक्सी की पूरी पड़ताल

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Posted by Admin | 8 April, 2025

FLYING-TAXI-1 Flying Taxi - जाम से आज़ादी, ओला कैब के बराबर किराया,भारत में जल्द शुरू होने वाली उड़ने वाली टैक्सी की पूरी पड़ताल

अगर दिल्ली (Delhi), नोएडा, मुंबई(Mumbai), बेंगलुरु(Bengaluru), चेन्नई (Chennai) या कोलकाता ( Kolkata) की सड़क पर भारी जाम में कभी आप फंसे हों तो उस समय ये ज़रूर सोचा होगा, कि काश उड़कर जाम को पार करके दूसरी तरफ पहुंच जाऊं। या सड़क पर चलने की बजाय आसमान पर उड़ते हुए फौरन मंजिल पर पहुंच जाते। तो अब आपकी ये उम्मीद जल्द पूरी होने वाली है। वैसे भी आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ट्रैफिक (Traffic) का नाम सुनते ही हर किसी का दिमाग गरम हो जाता है। घंटों सड़क पर फंसे रहना, ऑफिस या घर लेट पहुंचना, और फिर वो तनाव (Stress)—ये सब हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। लेकिन अब इस मुसीबत का हल निकलता दिख रहा है, और वो है—फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi)! जी हां, आपने सही सुना। देश की सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए सरकार जल्दी ही एयर टैक्सी शुरू करने को हरी झंडी देने जा रही है। कई स्टार्टअप ने सरकार से फ्लाइंग टैक्सी शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। इस फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) में 6 लोग बैठ सकेंगे। ये न सिर्फ समय बचाएगी, बल्कि शहरों की भीड़-भाड़ से भी छुटकारा दिलाएगी। सबसे बड़ी बात किराया भी उतना ही होगा, जितना अभी लोग खर्च कर रहे हैं।
यंगिस्तान ( youngistan.co.in) आज फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) के बारे में पूरी जानकारी देगा, जैसे कि भारत में ये कब शुरू होगी, इसका किराया (Fare) कितना होगा, क्या आम आदमी (Common Man) इसे अफोर्ड (Afford) कर पाएगा, इसका भविष्य (Future) क्या है, और दुनिया के किन-किन देशों में ये पहले से चल रही है।

फ्लाइंग टैक्सी क्या है?

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सबसे पहले ये समझ लेते हैं कि ये फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) आखिर है क्या चीज़? आसान भाषा में कहें तो ये एक ऐसी टैक्सी (Taxi) है जो सड़क (Road) पर नहीं, बल्कि हवा (Air) में उड़ती है। ये कोई साइंस फिक्शन फिल्म (Science Fiction Movie) की बात नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी में होने वाला बदलाव है। फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) को खास तौर पर इलेक्ट्रिक (Electric) या हाइब्रिड इंजन (Hybrid Engine) से चलाया जाता है। इसमें वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (Vertical Take-Off and Landing – VTOL) की खासियत होती है, यानी इसे उड़ने या उतरने के लिए बड़े रनवे (Runway) की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये छोटी सी जगह से भी सीधे ऊपर उड़ सकती है और फिर सीधे नीचे उतर सकती है।
इसका मकसद है शहरों (Cities) में बढ़ते ट्रैफिक (Traffic) को कम करना और लोगों को तेज़ी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना। मिसाल के तौर पर, अगर आपको बेंगलुरु (Bengaluru) में एयरपोर्ट (Airport) से इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी (Electronics City) जाना है, जहां सड़क से ढाई-तीन घंटे लगते हैं, तो फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) से ये सफर (Journey) सिर्फ 19 मिनट में पूरा हो सकता है। अब सोचिए, कितना समय (Time) बचेगा और कितनी परेशानी (Trouble) खत्म होगी!

 

Arrival of Flying Taxi in India

अब बात करते हैं कि भारत (India) में ये फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) कब और कैसे शुरू होने वाली है। भारत में इस बड़े बदलाव की शुरुआत कई स्टार्टअप्स (Startups) कर रहे हैं, जिनमें से दो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं—सरला एविएशन (Sarla Aviation) और ईप्लेन (EPlane)।
सरला एविएशन और उनकी ‘शून्य’ टैक्सी (Sarla Aviation and Their ‘Shunya’ Taxi)
बेंगलुरु (Bengaluru) बेस्ड स्टार्टअप (Startup) सरला एविएशन (Sarla Aviation) ने हाल ही में ‘स्टार्टअप महाकुंभ (Startup Mahakumbh)’ में अपनी प्रोटोटाइप (Prototype) फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) ‘शून्य (Shunya)’ को पेश किया। ये भारत (India) की पहली स्वदेशी (Indigenous) एयर टैक्सी (Air Taxi) है, जिसमें 6 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। इसकी खासियत ये है कि ये एक बार में 160 किलोमीटर (Kilometers) तक उड़ सकती है, लेकिन इसे खास तौर पर 20-30 किलोमीटर (Kilometers) की छोटी दूरी (Distance) के लिए डिज़ाइन (Design) किया गया है।
सरला एविएशन (Sarla Aviation) का प्लान (Plan) है कि 2028 तक इसकी कमर्शियल सर्विस (Commercial Service) शुरू हो जाए। सबसे पहले ये बेंगलुरु (Bengaluru) में उड़ान (Flight) भरेगी, जहां ट्रैफिक (Traffic) की समस्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद इसे दिल्ली (Delhi), मुंबई (Mumbai), पुणे (Pune), और नोएडा (Noida) जैसे बड़े शहरों में भी लाया जाएगा। कंपनी (Company) के को-फाउंडर (Co-Founder) और सीईओ (CEO) एड्रियन श्मिट (Adrian Schmidt) का कहना है कि वो इसे इतना किफायती (Affordable) बनाना चाहते हैं कि आम लोग (Common People) भी इसे आसानी से इस्तेमाल (Use) कर सकें। शुरुआत में इसका किराया (Fare) ओला-ऊबर (Ola-Uber) की प्रीमियम सर्विस (Premium Service) जैसा होगा, लेकिन भविष्य (Future) में इसे ऑटो-रिक्शा (Auto-Rickshaw) जितना सस्ता (Cheap) करने की योजना (Plan) है।

Planning of E-Plane

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दूसरी तरफ, चेन्नई (Chennai) की स्टार्टअप (Startup) ईप्लेन (EPlane) भी इस रेस (Race) में पीछे नहीं है। ये कंपनी (Company) आईआईटी मद्रास (IIT Madras) से जुड़ी हुई है और इसके सीईओ (CEO) सत्यनारायण चक्रवर्ती (Satyanarayan Chakravarti) ने बताया कि वो जून 2025 में अपना पहला प्रोटोटाइप (Prototype) लॉन्च (Launch) करने जा रहे हैं। इसके बाद साल के अंत तक दूसरा और अगले साल तीसरा प्रोटोटाइप (Prototype) आएगा। उनका कहना है कि लोगों तक ये सर्विस (Service) पहुंचने में अभी 2 साल और लग सकते हैं, यानी 2027 तक ये शुरू हो सकती है।
ईप्लेन (EPlane) की फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) में शुरू में 2 लोग बैठ सकेंगे, लेकिन भविष्य (Future) में इसे बड़ा करने की योजना (Plan) है। चक्रवर्ती (Chakravarti) का मानना है कि भारत (India) को चीन (China) से प्रेरणा (Inspiration) लेनी चाहिए, जो इस टेक्नोलॉजी (Technology) में हमसे काफी आगे है। वो कहते हैं कि अगर भारत (India) सही दिशा (Direction) में काम करे, तो इस दशक (Decade) के अंत तक हम भी इस क्षेत्र (Field) में बड़ा नाम कमा सकते हैं।

इंडिगो और आर्चर का प्लान (IndiGo and Archer’s Plan)

इसके अलावा, इंडिगो (IndiGo) की पैरेंट कंपनी (Parent Company) इंटरग्लोब एंटरप्राइज़ेस (InterGlobe Enterprises) ने भी अमेरिकी कंपनी (American Company) आर्चर एविएशन (Archer Aviation) के साथ हाथ मिलाया है। इनका टारगेट (Target) है कि 2026 तक दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR), मुंबई (Mumbai), और बेंगलुरु (Bengaluru) में फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) शुरू की जाए। आर्चर (Archer) की टैक्सी (Taxi) ‘मिडनाइट (Midnight)’ 5 लोगों को ले जा सकती है और 160 किलोमीटर (Kilometers) तक उड़ सकती है। इसके बाद चेन्नई (Chennai) और हैदराबाद (Hyderabad) में भी सर्विस (Service) शुरू करने की बात है।

फ्लाइंग टैक्सी का किराया कितना होगा?

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अब सवाल ये है कि इस फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) का किराया (Fare) कितना होगा? क्योंकि अगर ये बहुत महंगी (Expensive) हुई, तो आम आदमी (Common Man) के लिए इसे इस्तेमाल (Use) करना मुश्किल हो जाएगा। तो चलिए, इसे समझते हैं।
सरला एविएशन ‘शून्य’ (Sarla Aviation ‘Shunya’): कंपनी (Company) का कहना है कि शुरुआत में इसका किराया (Fare) ओला-ऊबर (Ola-Uber) की प्रीमियम सर्विस (Premium Service) जितना होगा। मिसाल के तौर पर, बेंगलुरु (Bengaluru) एयरपोर्ट (Airport) से इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी (Electronics City) (37.5 किमी) का सफर (Journey) सड़क (Road) से ढाई घंटे में पूरा होता है और प्रीमियम कैब (Premium Cab) का किराया (Fare) करीब 2500 रुपये पड़ता है। लेकिन फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) से ये सिर्फ 19 मिनट में पूरा होगा और किराया (Fare) 1700 रुपये से शुरू होगा। यानी समय (Time) की बचत (Saving) के साथ-साथ पैसे (Money) भी कम लगेंगे। भविष्य (Future) में इसे ऑटो-रिक्शा (Auto-Rickshaw) जितना सस्ता (Cheap) करने की बात कही जा रही है, जो अगर सच हुआ तो आम आदमी (Common Man) के लिए बड़ी राहत (Relief) होगी।
ईप्लेन (EPlane): ईप्लेन (EPlane) ने अभी किराए (Fare) की साफ जानकारी (Clear Information) नहीं दी है, लेकिन उनका दावा (Claim) है कि ये सड़क (Road) की टैक्सी (Taxi) से 10 गुना तेज़ (Faster) होगी और किराया (Fare) उससे दोगुना (Double) हो सकता है। यानी अगर आपकी सामान्य टैक्सी (Normal Taxi) का किराया (Fare) 200 रुपये है, तो फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) का 400 रुपये हो सकता है। ये शुरुआती अनुमान (Estimate) है, जो बाद में कम हो सकता है।
आर्चर और इंडिगो (Archer and IndiGo): आर्चर (Archer) के सीसीओ (CCO) निखिल गोयल (Nikhil Goel) ने कहा कि उनका किराया (Fare) उबर (Uber) से थोड़ा ही ज्यादा होगा। मिसाल के तौर पर, दिल्ली (Delhi) में 30 किमी का उबर (Uber) का किराया (Fare) 500-600 रुपये है, तो फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) का 700-800 रुपये हो सकता है। ये समय (Time) के हिसाब से बहुत सस्ता (Cheap) सौदा (Deal) है, क्योंकि 1 घंटे का सफर (Journey) 7-8 मिनट में पूरा हो जाएगा।
शुरुआत में किराया (Fare) थोड़ा ज्यादा (High) हो सकता है, क्योंकि ये नई टेक्नोलॉजी (New Technology) है और इसे शुरू करने में लागत (Cost) ज्यादा लग रही है। लेकिन जैसे-जैसे प्रोडक्शन (Production) बढ़ेगा और ज्यादा लोग इसे इस्तेमाल (Use) करेंगे, किराया (Fare) नीचे आ सकता है।

Common Man Be Able to Afford It?

ये सबसे बड़ा सवाल है—क्या फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) आम आदमी (Common Man) की जेब (Pocket) में फिट होगी? सच कहें तो शुरुआत में ये थोड़ा मुश्किल (Difficult) लगता है। अगर किराया (Fare) 1700 रुपये से शुरू होता है, तो ये मिडिल क्लास (Middle Class) के लिए रोज़मर्रा का खर्च (Daily Expense) नहीं होगा। ये उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद (Beneficial) रहेगा जो बिज़नेस ट्रिप (Business Trip) करते हैं, जल्दी (Hurry) में होते हैं, या जिनके पास पैसे (Money) की कमी नहीं है।
लेकिन अच्छी बात ये है कि कंपनियां (Companies) इसे सस्ता (Cheap) करने की कोशिश में हैं। सरला एविएशन (Sarla Aviation) का ऑटो-रिक्शा (Auto-Rickshaw) जितना सस्ता (Cheap) करने का प्लान (Plan) अगर कामयाब (Successful) हुआ, तो ये हर किसी की पहुंच (Reach) में आ सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर 20-30 किमी का किराया (Fare) 100-150 रुपये हो जाए, तो ये ऑटो (Auto) या बस (Bus) से भी सस्ता (Cheaper) और तेज़ (Faster) होगा। इसके अलावा, सरकार (Government) अगर सब्सिडी (Subsidy) दे या टैक्स (Tax) में छूट (Relief) दे, तो भी ये आम लोगों (Common People) के लिए आसान (Easy) हो सकता है।
फिलहाल ये कहना सही होगा कि पहले कुछ साल ये अमीरों (Rich People) और जरूरी काम (Urgent Work) वालों के लिए होगी, लेकिन 5-10 साल बाद ये आम आदमी (Common Man) की ज़िंदगी का हिस्सा बन सकती है।

Future of Flying Taxi

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फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) का भविष्य (Future) बहुत उज्जवल (Bright) दिखता है। ये सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट (Transport) का साधन (Means) नहीं, बल्कि शहरों (Cities) को बदलने वाली टेक्नोलॉजी (Technology) है। आने वाले 10-15 साल में ये हमारे लिए उतना ही आम (Common) हो सकता है, जितना आज मेट्रो (Metro) या उबर (Uber) है। इसके कुछ बड़े फायदे (Benefits) हैं:
ट्रैफिक से राहत (Relief from Traffic): बड़े शहरों (Big Cities) में सड़कों (Roads) पर गाड़ियों (Vehicles) की भीड़ (Crowd) कम होगी, क्योंकि लोग हवा (Air) में सफर (Travel) करेंगे।
समय की बचत (Time Saving): घंटों का सफर (Journey) मिनटों (Minutes) में पूरा होगा। मिसाल के तौर पर, दिल्ली (Delhi) में जाम (Jam) में फंसने की बजाय 7 मिनट में गंतव्य (Destination) तक पहुंचना।
प्रदूषण में कमी (Reduction in Pollution): इलेक्ट्रिक इंजन (Electric Engine) की वजह से ये पर्यावरण (Environment) के लिए भी अच्छी है। कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) कम होगा।
नए रोज़गार (New Jobs): इस इंडस्ट्री (Industry) से इंजीनियरिंग (Engineering), मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing), और सर्विस (Service) में नौकरियां (Jobs) बढ़ेंगी।
हालांकि, कुछ चुनौतियां (Challenges) भी हैं। जैसे—सुरक्षा (Safety) का ध्यान रखना, हवा (Air) में ट्रैफिक (Traffic) मैनेज (Manage) करना, और सही इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure) बनाना। इसके लिए वर्टिपोर्ट्स (Vertiports) (लैंडिंग और टेक-ऑफ की जगह) बनाने होंगे, जो ऊंची इमारतों (Tall Buildings) पर या खाली जगहों (Empty Spaces) पर होंगे। फिर नियम-कानून (Rules and Regulations) भी बनाना पड़ेगा कि ये टैक्सियां (Taxis) कहां उड़ेंगी और कैसे ऑपरेट (Operate) होंगी।
भारत (India) में इसका भविष्य (Future) इसलिए भी खास है, क्योंकि हमारे पास घनी आबादी (Dense Population) वाले शहर (Cities) हैं। अगर ये सही से लागू (Implemented) हुआ, तो ये हमारी ज़िंदगी को आसान (Easy) बना सकता है। एक्सपर्ट्स (Experts) का मानना है कि 2030 तक भारत (India) में ये एक बड़ी इंडस्ट्री (Industry) बन जाएगी।

किन देशों में चल रही हैं फ्लाइंग टैक्सी?

दुनिया (World) के कई देशों (Countries) में फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) का टेस्टिंग (Testing) और इस्तेमाल (Use) शुरू हो चुका है। आइए कुछ बड़े नाम देखते हैं:
संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates – UAE): दुबई (Dubai) में 2017 से ही फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) की टेस्टिंग (Testing) चल रही है। जर्मन कंपनी (German Company) वोलोकॉप्टर (Volocopter) ने वहां अपना प्रोटोटाइप (Prototype) टेस्ट (Test) किया था। दुबई (Dubai) का लक्ष्य (Goal) है कि 2030 तक उनकी 25% ट्रांसपोर्ट सिस्टम (Transport System) ऑटोनॉमस (Autonomous) (खुद चलने वाली) हो, जिसमें फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) शामिल है।
चीन (China): चीन (China) इस टेक्नोलॉजी (Technology) में बहुत आगे (Ahead) है। कंपनी (Company) EHang ने अपनी EH216 फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) को कई शहरों (Cities) में टेस्ट (Test) किया है। ये 2-सीटर टैक्सी (2-Seater Taxi) है और कमर्शियल यूज़ (Commercial Use) के लिए तैयार (Ready) है। चीन (China) इसे टूरिज्म (Tourism) और इमरजेंसी सर्विस (Emergency Service) में भी इस्तेमाल (Use) करना चाहता है।
अमेरिका (United States – USA): अमेरिका (USA) में उबर (Uber) और नासा (NASA) मिलकर फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) पर काम (Work) कर रहे हैं। इसके अलावा, आर्चर (Archer) और जॉबी एविएशन (Joby Aviation) जैसी कंपनियां (Companies) 2024-25 तक कमर्शियल सर्विस (Commercial Service) शुरू करने की तैयारी (Preparation) में हैं। लॉस एंजिल्स (Los Angeles) और न्यूयॉर्क (New York) जैसे शहर (Cities) इसके पहले टारगेट (Targets) होंगे।
जर्मनी (Germany): वोलोकॉप्टर (Volocopter) और लिलियम (Lilium) जैसी कंपनियां (Companies) जर्मनी (Germany) में फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) डेवलप (Develop) कर रही हैं। 2023 में इनका टेस्ट (Test) हुआ और 2025 तक सर्विस (Service) शुरू करने की बात है।
सिंगापुर (Singapore): सिंगापुर (Singapore) ने भी वोलोकॉप्टर (Volocopter) के साथ टेस्टिंग (Testing) शुरू की है। ये छोटा देश (Small Country) होने की वजह से फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) के लिए परफेक्ट (Perfect) है।
इन देशों (Countries) से भारत (India) को बहुत कुछ सीखने (Learn) को मिल सकता है। खासकर चीन (China) और दुबई (Dubai) के मॉडल (Models) हमारे लिए फायदेमंद (Beneficial) हो सकते हैं, क्योंकि इनके पास घनी आबादी (Dense Population) और ट्रैफिक (Traffic) की समस्या (Problem) हमसे मिलती-जुलती है।

भारत के लिए एक नई उड़ान

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फ्लाइंग टैक्सी (Flying Taxi) भारत (India) में एक नई शुरुआत का संकेत (Sign) है। 2026 से 2028 के बीच ये हकीकत (Reality) बन जाएगी, और बेंगलुरु (Bengaluru), दिल्ली (Delhi), मुंबई (Mumbai) जैसे शहरों (Cities) में आसमान (Sky) में टैक्सियां (Taxis) उड़ती (Flying) दिखेंगी। शुरुआत में इसका किराया (Fare) थोड़ा ज्यादा होगा—जैसे 1700 रुपये 20-30 किमी के लिए—लेकिन समय (Time) के साथ ये सस्ता (Cheaper) हो सकता है। आम आदमी (Common Man) के लिए इसे अफोर्ड (Afford) करना पहले मुश्किल (Difficult) होगा, पर अगर सरकार (Government) और कंपनियां (Companies) मिलकर काम करें, तो ये हर किसी की पहुंच (Reach) में आ सकता है।

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