Overweight IT Sector-बैठकर काम करने वाले हर 5 में से 4 कर्मचारी ‘मोटे’ क्यों ? इस मोटापे को कोरोना ‘महामारी’ जैसा समझो, अलर्ट मोड पर ये 5 काम ज़रूरी
Posted by Admin | 07 March, 2025

Obesity like Corona Pandemic – आईटी सेक्टर ( IT Sector) में काम करने वाले भारतीय ((Indians) क्यों हो रहे ओवरवेट ( Overweight) ? हैदराबाद ( Hyderabad) के अस्पताल एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोंलॉजी ( AIG) ने एक रिसर्च स्टडी ( research study) करवाई है। हैदराबाद की स्टडी बता रही है कि बैठकर काम करने वाले हर पांच में से 4 कर्मचारी मोटापे के शिकार हो चुके हैं और उनको इसका अंदाजा ही नहीं। अब ये कोरोना महामारी की शक्ल लेता जा रहा है। पूरे देश में मोटापा एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि भारत में मोटापा अब एक महामारी की शक्ल ले रहा है। तो आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वजह है कि डेस्क पर बैठे बैठे काम करने वाले लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं? आज यंगिस्तान ( youngistan.co.in) आपको इस फैलती महामारी के बारे में डिटेल से जानकारी देगा।
मोटापा: दबे पांव आने वाली मुसीबत
मोटापा सिर्फ पेट पर चर्बी की परत नहीं है, बल्कि ये दिल, लिवर, फेफड़े और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों का दरवाजा खोलता है।
डॉ. रेड्डी ने ये भी बताया कि मोटापा अब सिर्फ बड़े लोगों की समस्या नहीं रही। हैदराबाद के सरकारी स्कूलों में की गई एक स्टडी में पता चला कि 40 प्रतिमोटापा ( Obesity) ऐसा शब्द है जो सुनने में तो आम लगता है, लेकिन इसके पीछे छुपी परेशानियां जिंदगी को मुश्किल बना सकती हैं। हैदराबाद के एआईजी हॉस्पिटल्स के फाउंडर चेयरमैन डॉ. डी. नागेश्वर रेड्डी कहते हैं, “80 प्रतिशत लोग ओवरवेट हैं, ये बहुत बड़ी बात है। लेकिन लोग इसे सीरियसली नहीं ले रहे। इसे गंभीरता से लेना जरूरी है, क्योंकि वजन कंट्रोल में रहे तो ढेर सारी बीमारियों से बचा जा सकता है और हेल्थकेयर का खर्चा भी कम हो सकता है।” आइये इसको और गहराई से समझते हैं। बच्चों को नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज ( NAFLD ) है। यानी बच्चों में भी मोटापा अपनी जड़ें जमा रहा है। ये हालात अब भविष्य की चिंता नहीं, बल्कि आज की हकीकत बन चुके हैं। अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हेल्थ सिस्टम पर बोझ इतना बढ़ेगा कि संभालना मुश्किल हो जाएगा।
IT Sector में Obesity क्यों ?
अब सवाल ये है कि आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग इतने बड़े पैमाने पर ओवरवेट क्यों हो रहे हैं? हैदराबाद, जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, वहां के लोगों की लाइफस्टाइल ( lifestyle ) पर नजर डालें तो जवाब साफ हो जाता है।
बैठे-बैठे काम करना: आईटी वालों का ज्यादातर काम लैपटॉप या डेस्कटॉप पर होता है। सुबह ऑफिस पहुंचते हैं, कुर्सी पर बैठते हैं और फिर 8-10 घंटे तक हिलते-डुलते भी नहीं। शरीर को हिलाने-डुलाने का मौका ही नहीं मिलता। कैलोरी बर्न नहीं होती और जो खाते हैं, वो पेट पर चढ़ता जाता है।
खानपान में लापरवाही: आईटी प्रोफेशनल्स की जिंदगी में टाइम की बहुत कमी होती है। डेडलाइन, मीटिंग्स और प्रोजेक्ट्स के चक्कर में खाना या तो बाहर का ऑर्डर करते हैं या कैंटीन में फास्ट फूड खा लेते हैं। बर्गर, पिज्जा, समोसा, कोल्ड ड्रिंक – ये सब हाई कैलोरी वाले फूड हैं। घर का बना खाना खाने का टाइम ही नहीं मिलता। ऊपर से चाय-कॉफी का ओवरडोज, जो शुगर लेवल को और बिगाड़ता है।
नींद की कमी और स्ट्रेस: आईटी सेक्टर में काम का प्रेशर इतना होता है कि लोग देर रात तक जागते हैं। नींद पूरी न हो तो मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है और शरीर फैट जमा करने लगता है। स्ट्रेस की वजह से लोग “इमोशनल ईटिंग” भी करते हैं, यानी टेंशन में कुछ न कुछ खाते रहते हैं।
एक्सरसाइज का टाइम न होना: ऑफिस से घर आने के बाद थकान इतनी होती है कि जिम जाने या पार्क में टहलने का मन नहीं करता। वीकेंड पर भी लोग नेटफ्लिक्स या मोबाइल पर वक्त बिताना पसंद करते हैं, बजाय इसके कि थोड़ा वॉक करें या योग करें।
हैदराबाद जैसे महागरों में तो ट्रैफिक भी एक बड़ी वजह है। लोग घंटों गाड़ी में बैठकर ऑफिस जाते हैं और फिर वही रूटीन। कुल मिलाकर, ये लाइफस्टाइल ही मोटापे का सबसे बड़ा कारण बन रही है।
मोटापे के आंकड़े हैरान कर देंगे
· एआईजी की स्टडी: हैदराबाद के 80% आईटी कर्मचारी ओवरवेट, 30% को फैटी लिवर की शिकायत।
· राष्ट्रीय स्तर: भारत में 60% वयस्क और 40% बच्चे मोटापे के शिकार।
· PM मोदी की चिंता: “युवा पीढ़ी को स्वस्थ रखना राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।”
आईटी सेक्टर में मोटापे के मुख्य कारण

1. शारीरिक निष्क्रियता:
· 8-10 घंटे की डेस्क जॉब: कुर्सी से चिपके रहना, चलने-फिरने का अवसर न मिलना।
· ट्रैफिक में समय बर्बाद: ऑफिस आने-जाने में घंटों बैठे रहना।
· लेजी वीकेंड: थकान के चलते व्यायाम न कर पाना।
2. खानपान की गलत आदतें:
· फास्ट फूड पर निर्भरता: डेडलाइन के बीच पिज़्ज़ा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन।
· घर के खाने की अनदेखी: पोषण की जगह स्वाद पर फोकस।
· चाय-कॉफी का अधिक सेवन: दिनभर में 5-6 कप तक, जिससे शुगर और कैफीन का ओवरडोज।
3. मानसिक तनाव और नींद की कमी:
· प्रोजेक्ट्स का प्रेशर: लगातार स्क्रीन के सामने रहने से आँखों और दिमाग पर असर।
· नींद का अभाव: 5-6 घंटे की नींद से मेटाबॉलिज़्म धीमा, फैट जमा होना।
· इमोशनल ईटिंग: तनाव में चिप्स, चॉकलेट जैसी अनहेल्दी चीज़ें खाना।
4. टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोग:
· मोबाइल और स्ट्रीमिंग: फ्री टाइम में भी स्क्रीन के सामने बैठे रहना।
· ऑनलाइन शॉपिंग: पैदल चलकर बाज़ार जाने की आदत खत्म।
सिर्फ आईटी नहीं, अन्य सेक्टर्स भी हैं प्रभावित
· बैंक कर्मचारी: लंबे समय तक कुर्सी पर बैठकर लेन-देन करना।
· शिक्षक: क्लास में खड़े रहने के बावजूद, खाली समय में शारीरिक गतिविधि न होना।
· सरकारी कार्यालय: फाइलों के ढेर के बीच निष्क्रिय जीवनशैली।
मोटापे से जुड़ी बीमारियाँ
· हृदय रोग: कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से ब्लॉकेज का खतरा।
· डायबिटीज टाइप-2: इंसुलिन प्रतिरोधक क्षमता घटना।
· जोड़ों में दर्द: घुटनों और कमर पर अतिरिक्त वजन का दबाव।
· मानसिक स्वास्थ्य: आत्मविश्वास कम होना, डिप्रेशन की संभावना।
· बच्चों में फैटी लिवर: 10-12 साल की उम्र में ही लिवर खराब होना।
मोटापे से बचने के छोटे-छोटे उपाय

डेली रूटीन में बदलाव:
· हर घंटे 5 मिनट की वॉक: ऑफिस में लैपटॉप से उठकर पानी पीने जाएँ।
· सीढ़ियों का उपयोग: लिफ्ट की बजाय 2-3 फ्लोर तक सीढ़ियाँ चढ़ें।
· साइकिलिंग या पैदल चलना: नज़दीकी दुकानों तक गाड़ी न ले जाएँ
खानपान की स्मार्ट आदतें:
· होममेड टिफिन: ऑफिस में रोटी-सब्ज़ी ले जाएँ।
· नाश्ते में प्रोटीन: उबले अंडे, दही, या मूंगफली शामिल करें।
· जंक फूड का विकल्प: भूख लगने पर भुने चने या फल खाएँ।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान:
· मेडिटेशन: दिन में 10 मिनट का ध्यान तनाव कम करेगा।
· हॉबीज़ को समय दें: गाना सुनें, गार्डनिंग करें, या डांस करें।
नींद और हाइड्रेशन:
· 7-8 घंटे की नींद: रात 11 बजे तक सोने का टार्गेट रखें।
· पानी पीते रहें: दिनभर में 8-10 गिलास पानी ज़रूर पिएँ।
युवाओं के लिए विशेष टिप्स:
· सोशल मीडिया डिटॉक्स: फोन से दूरी बनाकर खेलों में भाग लें।
· फ्रेंड्स के साथ एक्टिविटीज़: बैडमिंटन, स्विमिंग, या ट्रेकिंग प्लान करें।
· हेल्थ ऐप्स का उपयोग: कैलोरी ट्रैक करने वाले ऐप्स डाउनलोड करें।
सफलता की कहानियाँ: प्रेरणा लें!
· राहुल की कहानी: 28 वर्षीय आईटी इंजीनियर ने 6 महीने में 12 किलो वजन घटाया।
o कैसे किया? सुबह 30 मिनट की वॉक, घर का खाना, और शाम को स्किपिंग।
· प्रिया का संघर्ष: बैंक मैनेजर ने डायबिटीज को हराया डाइट और ज़ुम्बा से।
अब सवाल ये है कि इस महामारी से कैसे निपटा जाए? अच्छी बात ये है कि मोटापे को कंट्रोल करना नामुमकिन नहीं है। कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाइफस्टाइल में लाकर हम अपनी और अपने बच्चों की सेहत सुधार सकते हैं।
खाने पर ध्यान: बाहर का तला-भुना खाना कम करें। घर का बना खाना खाएं – दाल, सब्जी, सलाद, फल। जंक फूड को हफ्ते में एक बार तक सीमित करें।
हिलना-डुलना जरूरी: दिन में कम से कम 30 मिनट वॉक करें। ऑफिस में हर घंटे 5 मिनट उठकर टहलें। लिफ्ट की जगह सीढ़ियां यूज करें।
नींद पूरी करें: 7-8 घंटे की नींद लें। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है।
बच्चों को प्रेरित करें: बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेजें। मोबाइल का टाइम कम करें।
जागरूकता बढ़ाएं: स्कूलों, ऑफिसों और मोहल्लों में मोटापे के खतरे के बारे में बात करें।
सरकार और समाज का रोल

· कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम: कंपनियाँ योगा क्लासेज और हेल्थ चेकअप की सुविधा दें।
· स्कूलों में पाठ्यक्रम: पीई क्लास अनिवार्य करें, जंक फूड पर प्रतिबंध लगाएँ।
· सरकारी नीतियाँ: फास्ट फूड पर अतिरिक्त टैक्स, पार्क और साइकिल ट्रैक्स का निर्माण।
मोटापा सिर्फ एक इंसान की समस्या नहीं, बल्कि पूरे समाज का मसला है। सरकार को भी इसमें कदम उठाने चाहिए। स्कूलों में फिजिकल एजुकेशन को अनिवार्य करना, जंक फूड पर टैक्स लगाना, पार्क और साइकिल ट्रैक बनाना – ये कुछ ऐसे कदम हैं जो हालात सुधार सकते हैं। हैदराबाद जैसे शहरों में आईटी कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए जिम, योगा क्लास या हेल्थ चेकअप की सुविधा देनी चाहिए।
मोटापा आज भारत के लिए एक साइलेंट किलर बन गया है। हैदराबाद के आईटी सेक्टर से लेकर गांवों के स्कूलों तक, ये हर जगह अपनी पकड़ बना रहा है। एआईजी हॉस्पिटल्स की स्टडी ने हमें आंखें खोलने का मौका दिया है। अगर हम अभी नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ी को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। तो चलिए, आज से ही थोड़ा हिलें-डुलें, खाने पर कंट्रोल करें और सेहत को पहली प्राथमिकता दें। क्योंकि सेहतमंद रहेंगे, तभी जिंदगी का असली मजा ले पाएंगे। यंगिस्तान की ये रिपोर्ट आपको कैसी लगी, कॉमेन्ट बॉक्स में ज़रूर बताएं।।
· कॉर्पोरेट वेलनेस प्रोग्राम: कंपनियाँ योगा क्लासेज और हेल्थ चेकअप की सुविधा दें।
· स्कूलों में पाठ्यक्रम: पीई क्लास अनिवार्य करें, जंक फूड पर प्रतिबंध लगाएँ।
· सरकारी नीतियाँ: फास्ट फूड पर अतिरिक्त टैक्स, पार्क और साइकिल ट्रैक्स का निर्माण।

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