Investment in Gold- सबसे सेफ रिटर्न सोने में, 5 साल बाद एक लाख रुपये तोला बिकेगा सोना,क्यों बढ़ रही हैं सोने की कीमतें, पूरी पड़ताल
Posted by Admin | 07 March, 2025

Gold Investment vs SIP – सोना कितना ‘सोहणा’ है, सोने जैसा मेरा दिल, ये सुपरहिट गीत आपने ज़रूर सुना होगा, बिल्कुल पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाला सोना ( Gold) लगातार महंगा क्यों होता जा रहा है ? भारत ( India) की बात करें तो यहां सोने का नाम सुनते ही आंखों के सामने गहनों ( gold jewelry) की चमक, शादी की रौनक और त्योहारों की मिठास आ जाती है। भारत में सोना सिर्फ धातु नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, भावनाओं और भरोसे का ज़रूरी हिस्सा है। शायद यही कारण है कि सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। साल 2000 में 10 ग्राम सोना 4400 रुपये में मिल रहा था, और अब 2025 में ये 88,000 रुपये के आसपास पहुंच गया है। पिछले 25 साल में इसने 20 गुना रिटर्न ( gold return) दिया है और अगले पांच साल में यानी सन 2030 तक सोना एक लाख रुपये तोला पहुंच जाने की पूरी उम्मीद है। सवाल ये है कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वजहें हैं कि सोने के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं? और अगर निवेश की बात करें, तो सोना बेहतर है या SIP (systematic investment plan )? आज यंगिस्तान ( yountistan.co.in) इन सारे सवालों के जवाब आपको आसान भाषा में देगा। तो चलिए शुरू करते हैं!
सोना एक लाख रुपये तोला कब ?
सोने की कीमतें बढ़ने की बात कोई नई नहीं है, लेकिन 2030 तक एक लाख रुपये तोला का आंकड़ा सुनकर कई लोग चौंक जाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मुमकिन है, और इसके पीछे कई बड़े कारण हैं। चलिए इसे आसानी से समझते हैं:
दुनिया में अस्थिरता ( Global Tension):
आजकल दुनिया में कहीं न कहीं उथल-पुथल मची रहती है। चाहे अमेरिका का टैरिफ वार हो, रूस-यूक्रेन जंग हो, मिडिल ईस्ट का तनाव हो, या फिर अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर की खींचतान- जब भी ऐसा कुछ होता है, शेयर मार्केट में उथलपुथल मच जाती है और तब लोग सोने को “सुरक्षित निवेश ” मानते हैं। इसे सेफ हेवन कहा जाता हैं। मतलब, जब शेयर बाजार डगमगाता है या अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बढ़ती है, लोग सोने में पैसा लगाना सुरक्षित समझते हैं। इससे सोने की मांग बढ़ती है और दाम चढ़ते हैं। जैसे हालात हैं, उसके हिसाब से सन 2030 तक ऐसा ही माहौल बना रहेगा और सोना और महंगा होता जाएगा।
महंगाई का दबाव (Inflation ):
महंगाई हर देश की समस्या बनती जा रही है। जब चीजों के दाम बढ़ते हैं, तो पैसों की कीमत कम होती है। ऐसे में सोना एक ऐसा निवेश है, जो महंगाई से बचाता है। लोग इसे खरीदते हैं ताकि उनका पैसा सुरक्षित रहे। जैसे-जैसे महंगाई बढ़ेगी, सोने की डिमांड भी बढ़ेगी, और दाम भी।
डॉलर की कमजोरी:
सोने की कीमतें अमेरिकी डॉलर ( US Dollar) से जुड़ी होती हैं। अगर डॉलर कमजोर पड़ता है, तो सोना महंगा हो जाता है। अब अगर आने वाले सालों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था ( US Economy) में कोई दिक्कत आई या ब्याज दरें कम हुईं, तो डॉलर की चमक फीकी पड़ सकती है। इसका सीधा फायदा सोने को मिलेगा।
भारत और चीन की ‘भूख’
भारत ( India) और चीन ( China) दुनिया में सोने के सबसे बड़े खरीदार हैं। भारत में शादी-ब्याह, त्योहारों और निवेश के लिए सोना खूब खरीदा जाता है। लेकिन इतना सोना भारत की खदानों से नहीं निकलता है। तो 2030 तक जनसंख्या बढ़ेगी, शादियां बढ़ेंगी, और सोने की मांग भी। जब मांग बढ़ती है और सप्लाई सीमित रहती है, तो विदेशों से आयात होगा और जाहिर है दाम तो बढ़ेंगे ही।
केमिकल्स और टेक्नोलॉजी की जरूरत

सोना सिर्फ गहनों के लिए नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स ( Electronics) और टेक्नोलॉजी (Technology) में भी इस्तेमाल होता है। मोबाइल, कंप्यूटर और मेडिकल डिवाइस में सोने की जरूरत बढ़ रही है। ये भी एक वजह है कि इसके दाम ऊपर जा रहे हैं।
तो इन सब कारणों को देखकर लगता है कि 2030 तक सोना एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। लेकिन ये सिर्फ अनुमान है। अगर दुनिया में शांति रही और अर्थव्यवस्था स्थिर हुई, तो शायद ये आंकड़ा ऊपर नीचे भी हो सकता है।
सोने के दाम क्यों बढ़ रहे हैं?
अब बात करते हैं कि अभी जो हालात हैं, उनमें सोने के दाम क्यों चढ़ रहे हैं। ये समझना जरूरी है, क्योंकि ये हमें भविष्य का अंदाजा देता है।
पिछले कुछ सालों में रूस-यूक्रेन जंग, इजरायल-ईरान तनाव और कोरिया जैसे इलाकों में अशांति ने सोने को चमकाया है। जब देश लड़ते हैं, तो लोग डरते हैं कि उनका पैसा शेयर बाजार या बैंक में डूब न जाए। ऐसे में वो सोना खरीदते हैं, और दाम बढ़ जाते हैं।
अमेरिकी ब्याज दरें:
अमेरिका का फेडरल रिजर्व जब ब्याज दरें घटाता है, तो लोग सोने की तरफ भागते हैं। कम ब्याज का मतलब है कि बैंक में पैसा रखने से ज्यादा फायदा नहीं। 2020-21 में कोविड के बाद ऐसा ही हुआ था, और सोने ने रिकॉर्ड तोड़े थे।
चीन का सोना भंडार:
चीन जैसे बड़े देश अपने सोने के भंडार को बढ़ा रहे हैं। वो डॉलर पर कम निर्भर होना चाहते हैं। जब बड़े देश सोना खरीदते हैं, तो इसकी कीमत पर असर पड़ता है।
Mining की दिक्कत:
सोना जमीन से निकालना न आसान है और न ही किफायती। नई खदानें ढूंढना, पर्यावरण नियमों का पालन करना और लागत- ये सब सोने की सप्लाई को सीमित करते हैं। जब सप्लाई कम हो और मांग ज्यादा, तो दाम बढ़ना लाजिमी है।
त्योहार और शादियां:
भारत में दिवाली, धनतेरस और शादी का सीजन आते ही सोने की खरीदारी बढ़ जाती है। ये हर साल दाम को थोड़ा ऊपर ले जाता है। खासकर 2024-25 में शादी का सीजन जोरों पर है, और सोना 88,000 रुपये के आसपास पहुंच गया है।
इन सब वजहों से सोना लगातार महंगा हो रहा है। अब सवाल ये है कि क्या इसमें पैसा लगाना सही है, या दूसरा कोई ऑप्शन बेहतर है? चलिए सोना और SIP की तुलना करते हैं।
Gold vs SIP: किसमें ज्यादा फायदा?

सोने में निवेश करना पुराना तरीका है, लेकिन आजकल लोग SIP की तरफ भी देख रहे हैं। SIP यानी हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा म्यूचुअल फंड में लगाना। दोनों में से कौन बेहतर है, ये समझने के लिए उनकी तुलना करते हैं:
सोना: सोने का रिटर्न लंबे वक्त में अच्छा रहा है। 2000 में 4400 रुपये का सोना 2025 में 88,000 रुपये हो गया। यानी 25 साल में करीब 20 गुना बढ़ोतरी। सालाना औसत रिटर्न 12-15% के बीच रहा। लेकिन ये हमेशा एकसमान नहीं होता। कभी दाम स्थिर रहते हैं, कभी तेजी से बढ़ते हैं।
SIP: म्यूचुअल फंड में SIP का रिटर्न मार्केट पर निर्भर करता है। पिछले 20-25 साल में अच्छे इक्विटी फंड्स ने 12-18% सालाना रिटर्न दिया है। अगर आपने 2000 से हर महीने 5000 रुपये SIP की होती, तो आज आपकी वैल्यू करोड़ों में हो सकती थी। लेकिन शेयर बाजार में जोखिम ज्यादा है।
सुरक्षा:
सोना: सोना सुरक्षित माना जाता है। चाहे अर्थव्यवस्था डगमगाए, सोने की कीमत आमतौर पर बढ़ती है। इसे आप गहने, सिक्के या बार के रूप में घर में रख सकते हैं।
SIP: SIP में पैसा शेयर बाजार में लगता है। अगर मार्केट गिरा, तो नुकसान भी हो सकता है। लेकिन लंबे वक्त (10-15 साल) में ये जोखिम कम हो जाता है।
लिक्विडिटी (पैसा निकालना):
सोना: सोना बेचना आसान है। आप ज्वेलर के पास गए, सोना दिया, और कैश मिल गया। लेकिन दाम उस वक्त के मार्केट रेट पर निर्भर करता है।
SIP: SIP से पैसा निकालने में 1-2 दिन लगते हैं। लेकिन अगर मार्केट नीचे हो, तो आपको कम रिटर्न मिलेगा।
लागत:
सोना: सोना खरीदने में मेकिंग चार्ज, GST और स्टोरेज का खर्चा आता है।
SIP: इसमें फंड मैनेजमेंट फीस होती है, लेकिन कोई भौतिक रखरखाव का झंझट नहीं।
कौन बेहतर?

अगर आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं और लंबे वक्त तक पैसा लगाकर रख सकते हैं, तो सोना अच्छा है।आजकल गोल्ड ईटीएफ भी आ गए हैं तो रखने की झंझट भी खत्म। लेकिन अगर आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं और ज्यादा रिटर्न की उम्मीद है, तो आज की तारीख में SIP बेहतर है। हमेशा के लिए ये दावा नहीं किया जा सकता है।
वैसे सबसे अच्छा तरीका है कि दोनों में थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाएं। इससे जोखिम कम होगा और फायदा ज्यादा।
2000 से 2025 तक सोने के दाम और कारण
अब देखते हैं कि 2000 से 2025 तक सोने के दाम कैसे बढ़े और इसके पीछे क्या-क्या वजहें रहीं। ये आंकड़े आपको अंदाजा देंगे कि सोना कितना बदलाव लाया है:
2000: 4400 रुपये तोला
कारण: 2000 में भारत में सोने की मांग स्थिर थी। ग्लोबल मार्केट में भी ज्यादा उथल-पुथल नहीं थी। लेकिन अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे बदलाव शुरू हो रहा था।
2005: 7000 रुपये तोला
कारण: भारत में मध्यम वर्ग बढ़ रहा था। शादियों और त्योहारों में सोने की खरीदारी बढ़ी। ग्लोबल लेवल पर तेल की कीमतें बढ़ने से महंगाई का असर सोने पर भी पड़ा।
2010: 18,500 रुपये तोला
कारण: 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट। अमेरिका में लेहमन ब्रदर्स डूब गया, और लोग सोने की तरफ भागे। भारत में भी मांग बढ़ी।
2015: 26,343 रुपये तोला
कारण: ग्लोबल रिकवरी धीमी थी। भारत में सोने का आयात बढ़ा, और रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव ने दाम को ऊपर धकेला।
2020: 48,651 रुपये तोला
कारण: कोविड-19 महामारी। दुनिया ठप हो गई, शेयर बाजार गिरा, और लोग सोने में निवेश करने लगे। ब्याज दरें भी कम हुईं।
2022: 56,100 रुपये
कारण: रूस-यूक्रेन जंग शुरू हुई। ग्लोबल टेंशन बढ़ा, और सोने की मांग चरम पर पहुंची।
2023: 61,100 रुपये
कारण: महंगाई और रुपये की कमजोरी। भारत में त्योहारी सीजन ने भी दाम बढ़ाए।
2024: 74,100 रुपये
कारण: मिडिल ईस्ट में तनाव और अमेरिकी ब्याज दरों में बदलाव। भारत में शादी का सीजन जोरों पर।
2025: 88,888 रुपये
कारण: अभी मार्च 2025 चल रहा है, और सोना 88,000 के आसपास है। ग्लोबल अनिश्चितता, डॉलर की अस्थिरता और भारत की मांग इसे ऊपर ले जा रही है।
इन 25 सालों में सोना करीब 20 गुना बढ़ा। हर बार कोई न कोई बड़ी घटना या आर्थिक बदलाव इसके पीछे रहा।
क्या करें हम?

अब सवाल ये है कि हम क्या करें? सोना खरीदें, SIP करें, या कुछ और?
सोना: अगर आपके पास थोड़ा अतिरिक्त पैसा है और आप लंबे वक्त के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो सोना खरीदें। लेकिन BIS हॉलमार्क वाला सोना ही लें, ताकि शुद्धता की गारंटी हो। या फिर गोल्ड ईटीएफ में निवेश करें।
SIP: हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचता है, तो SIP शुरू करें। 10-15 साल में ये आपको अच्छा रिटर्न दे सकता है।
बैलेंस: दोनों में थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाएं। इससे नुकसान का डर कम होगा।
सोने की चमक बरकरार रहेगी
सोना हमेशा से हमारा भरोसा रहा है, और आगे भी रहेगा। 2030 तक एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम का अनुमान हैरान करने वाला है, लेकिन दुनिया के हालात इसे सच कर सकते हैं। वैश्विक तनाव, महंगाई और मांग-सप्लाई का खेल सोने को ऊपर ले जा रहा है। दूसरी तरफ, SIP भी एक अच्छा ऑप्शन है, जो जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न दे सकता है। 2000 से 2025 तक सोने की कीमतों ने जो रफ्तार पकड़ी, वो बताती है कि ये धातु कितनी अहम है। तो सोच-समझकर निवेश करें, और अपनी मेहनत की कमाई को सही जगह लगाएं।

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