DeHaat (Agritech)- 20 लाख किसानों का नेटवर्क, 15 राज्यों में कारोबार, देहात स्टार्टअप ने खेती से करोड़ों की कंपनी कैसे खड़ी की ?
Posted by Admin | 05 March, 2025

DeHaat (Agritech) – आज के दौर में जब लोग खेती ( farming) को पुराना और कम मुनाफे वाला काम समझते हैं, वहीं एक कंपनी ( company) ऐसी है जो खेती को न सिर्फ आसान बना रही है, बल्कि उसे टेक्नोलॉजी ( technology) के जरिए नई ऊँचाइयों तक ले जा रही है। उस कंपनी का नाम है “देहात” ( Dehaat) । देहात एक एग्रीटेक स्टार्टअप ( agrotech startup) है, जिसने बहुत कम वक्त में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की कि लोग हैरान हैं। ये कंपनी आज 20 लाख से ज्यादा किसानों के साथ जुड़ी है, 15 से ज्यादा राज्यों में फैली है और अब तो विदेशों में भी अपने कदम जमा रही है। लेकिन सवाल ये है कि देहात ने इतनी जल्दी ये कामयाबी कैसे हासिल की? इसके फाउंडर्स को किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा? इसका बिजनेस मॉडल क्या है और आगे भी क्या ये अपनी कामयाबी को बरकरार रख पाएगा? यंगिस्तान ( youngistan.co.in) आज आपको पूरी पड़ताल करके बताएगा। साथ ही, बाकी एग्रोटेक कंपनियों से इसकी तुलना कैसे की जाए?
Dehaat की कामयाबी का राज
देहात की कहानी शुरू होती है साल 2012 से, जब शशांक कुमार ( Shashank Kumara) नाम के एक शख्स ने इसे पटना ( Patana) में शुरू किया। शशांक IIT दिल्ली ( IIT Delhi) से पढ़े हुए हैं और उनका परिवार खुद किसानी से जुड़ा रहा है। उन्हें पता था कि किसानों ( farmers) को क्या-क्या परेशानियाँ होती हैं – बीज और खाद का सही दाम न मिलना, फसल की सही कीमत न मिलना, और सही जानकारी का अभाव। बस इसी दर्द को समझकर उन्होंने देहात की नींव रखी। शुरुआत में उनके साथ IIT खड़गपुर से पढ़े हुए साथी मनीष कुमार और कुछ दोस्त भी थे, लेकिन बाद में मनीष अलग हो गए। फिर भी शशांक ने हार नहीं मानी और अपने बाकी साथियों – श्याम सुंदर सिंह, अमरेंद्र सिंह, आदर्श श्रीवास्तव और अभिषेक डोकानिया – के साथ इसे आगे बढ़ाया।
देहात का मकसद था कि किसानों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म दिया जाए, जहाँ उनकी सारी जरूरतें पूरी हों। बीज, खाद, कीटनाशक जैसी चीजों की सप्लाई से लेकर फसल की सही सलाह और फिर उसे बेचने तक का इंतजाम। शुरुआत में ये आसान नहीं था। छोटे-छोटे गाँवों (small villages) में जाकर किसानों को समझाना, उन्हें टेक्नोलॉजी पर भरोसा दिलाना और अपने नेटवर्क ( network) को बढ़ाना – ये सब एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन देहात ने इसे आसान बनाया अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म से। आज देहात का ऐप किसानों के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन है। वो अपने मोबाइल से बीज-खाद ऑर्डर कर सकते हैं, फसल की देखभाल के लिए सलाह ले सकते हैं और अपनी फसल को सीधे बड़े खरीदारों तक पहुँचा सकते हैं।
कामयाबी का एक बड़ा कारण ये भी रहा कि देहात ने किसानों के साथ सीधा रिश्ता बनाया। इसके 11,000 से ज्यादा सर्विस सेंटर्स हैं, जो हर गाँव से 3-4 किलोमीटर की दूरी पर हैं। इन सेंटर्स के जरिए किसानों को मुफ्त सलाह, मिट्टी की जाँच, मौसम की जानकारी और यहाँ तक कि कर्ज तक की सुविधा मिलती है। ये सब मुफ्त में देना और फिर भी कंपनी का बढ़ना, यही देहात की ताकत है। आज ये 1500 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बेचती है और हर दिन 15,000 से ज्यादा डिलीवरी करती है। 2024 में इसने 150 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी हासिल की, जिससे ये AI बेस्ड सलाह को और बेहतर करने की राह पर है।
आसान नहीं थी राह
हर कामयाबी के पीछे मुश्किलें भी होती हैं, और देहात के फाउंडर्स के साथ भी ऐसा ही रहा। शशांक और उनकी टीम को कई बार ऐसा लगा होगा कि ये सब शायद मुमकिन नहीं है।
सबसे पहली दिक्कत थी किसानों का भरोसा जीतना। गाँवों में ज्यादातर किसान पुराने तरीकों से खेती करते हैं और टेक्नोलॉजी से डरते हैं। उन्हें समझाना कि एक ऐप उनकी जिंदगी बदल सकता है, आसान नहीं था। कई बार किसानों ने इनसे कहा, “हमें तो अपने बाप-दादा के तरीके ही ठीक लगते हैं, ये नया क्या करेगा?”
दूसरी बड़ी मुश्किल थी पैसों की। शुरुआत में देहात के पास ज्यादा फंडिंग नहीं थी। छोटे स्तर पर शुरू करना और फिर धीरे-धीरे बढ़ना, इसके लिए बहुत मेहनत और सब्र चाहिए था। कई बार ऐसा हुआ कि कंपनी का खर्चा तेजी से बढ़ा, लेकिन कमाई उस रफ्तार से नहीं आई। 2022 में देहात को 1,563.9 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। ऑडिटर्स ने भी कहा कि कंपनी के पास सही इनवेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम नहीं है और अकाउंटिंग में भी कमियाँ हैं। ये सब सुनकर फाउंडर्स पर दबाव बढ़ा होगा।
तीसरी दिक्कत थी टीम को मजबूत रखना। शुरुआत में कुछ को-फाउंडर्स अलग हो गए, जिससे शशांक को अकेले सब संभालना पड़ा। फिर स्टाफ को बढ़ाना, उन्हें ट्रेनिंग देना और गाँव-गाँव तक पहुँचाना – ये सब अपने आप में एक जंग थी। इसके अलावा, बड़े निवेशकों को समझाना कि एग्रीटेक में पैसा लगाना फायदेमंद है, वो भी आसान नहीं था। कई बार फंडिंग के लिए माहौल सही नहीं रहा, और कंपनी को सोचना पड़ा कि आगे कैसे बढ़ा जाए।
लेकिन इन सबके बावजूद शशांक और उनकी टीम ने हार नहीं मानी। उन्होंने हर मुश्किल को एक मौका समझा और उसे सुलझाया। किसानों का भरोसा जीतने के लिए वो खुद गाँवों में गए, उनकी बात सुनी और उनकी जरूरतों को समझा। पैसों की कमी को वो मेहनत और सही प्लानिंग से कवर करते गए। आज देहात में बड़े-बड़े निवेशक जैसे Sequoia Capital और Naspers पैसा लगा चुके हैं, जो इन फाउंडर्स की मेहनत का सबूत है।
देहात का बिजनेस मॉडल
Dehaat का बिजनेस मॉडल इतना आसान और असरदार है कि इसे समझने में ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ता। इसका मूल मंत्र है – “किसानों की हर जरूरत को पूरा करो और उनकी फसल को सही दाम दिलाओ।” ये कंपनी तीन बड़े काम करती है:
इनपुट सप्लाई: देहात किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और दूसरी जरूरी चीजें सस्ते दाम पर देती है। इसके लिए कंपनी ने अपना डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जहाँ से किसान अपने मोबाइल से ऑर्डर कर सकते हैं। ये चीजें उनके नजदीकी देहात सेंटर से डिलीवर हो जाती हैं। इससे न सिर्फ समय बचता है, बल्कि बिचौलियों का खेल भी खत्म होता है।
सलाह और सर्विस: देहात किसानों को मुफ्त में सलाह देती है कि कौन सी फसल कब बोनी है, मिट्टी की जाँच कैसे करनी है, मौसम के हिसाब से क्या करना है। इसके लिए कंपनी AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है, जो सटीक और तेज सलाह देती है। साथ ही, इंश्योरेंस और कर्ज जैसी सुविधाएँ भी देती है, ताकि किसानों को हर तरह की मदद मिले।
मार्केट लिंकेज: फसल तैयार होने के बाद देहात उसे सीधे बड़े खरीदारों तक पहुँचाती है। ये खरीदार थोक व्यापारी, FMCG कंपनियाँ या फिर विदेशी ग्राहक हो सकते हैं। हाल ही में देहात ने फ्रेशट्रॉप कंपनी को 77 करोड़ में खरीदा, जो अंगूर एक्सपोर्ट में माहिर है। इससे किसानों की फसल अब मिडल ईस्ट, UK और यूरोप तक पहुँच रही है।
ये मॉडल इसलिए काम करता है क्योंकि ये “बीज से बाजार” तक की पूरी चेन को कवर करता है। किसान को कहीं भागना-दौड़ना नहीं पड़ता, सब कुछ एक जगह मिल जाता है। कंपनी इसमें से कुछ कमीशन लेती है, लेकिन किसानों को मुफ्त सर्विस देकर उनका भरोसा जीतती है। इस मॉडल की वजह से देहात आज 15 देशों में अपने प्रोडक्ट्स भेज रही है और 20 लाख से ज्यादा किसानों का भरोसा बन चुकी है।
देहात vs अन्य एग्रीटेक स्टार्टअप

भारत में 1000+ एग्रीटेक स्टार्टअप हैं, लेकिन देहात ने जो कर दिखाया, वो अद्वितीय है। आइए तुलना करें:
- पैरामीटर देहात एग्रोस्टार निन्जाकार्ट
- फोकस एंड-टू-एंड सर्विस खाद-बीज की ऑनलाइन बिक्री B2B सप्लाई चेन
- टेक्नोलॉजी AI सलाह,वॉइस ऐप ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉजिस्टिक्सऔर कोल्ड स्टोरेज
- कवरेज 15+ राज्य, 2 10 राज्य मुख्यतः दक्षिण भारत
- किसान आय हां (सीधी बिक्री से 30% अधिक ) हां (सस्ता खाद) हां (कम बर्बादी)
‘देहात’ में कितना स्कोप है?
हात की कामयाबी देखकर लगता है कि इसका भविष्य भी सुनहरा है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं। चलिए पहले अच्छी बातें देखते हैं। सबसे बड़ा फायदा ये है कि भारत में खेती अभी भी बहुत बड़ी आबादी का सहारा है। करीब 70% लोग गाँवों में रहते हैं और खेती से जुड़े हैं। ऐसे में एग्रीटेक की डिमांड हमेशा रहेगी। देहात ने अभी तक सिर्फ 20 लाख किसानों को जोड़ा है, जबकि देश में 14 करोड़ से ज्यादा किसान हैं। यानी अभी बहुत बड़ा मार्केट बाकी है।
दूसरा, देहात का एक्सपोर्ट फोकस इसे और मजबूत बना सकता है। फ्रेशट्रॉप के अधिग्रहण से अंगूर का निर्यात बढ़ेगा, और कंपनी अब अनार, आम जैसे फलों पर भी काम कर रही है। विदेशों में ऑर्गेनिक और क्वालिटी प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ रही है, और देहात इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है। तीसरा, AI और डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल इसे और तेजी से आगे ले जाएगा। 2024 में मिली 150 मिलियन डॉलर की फंडिंग से कंपनी अपने सिस्टम को और स्मार्ट बना सकती है।
लेकिन कुछ जोखिम भी हैं। पहला, अगर कंपनी का खर्चा ऐसे ही बढ़ता रहा और फंडिंग का माहौल खराब हुआ, तो मुश्किल हो सकती है। 2022 का नुकसान इसका सबूत है। दूसरा, गाँवों में इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच अभी भी सीमित है। अगर ये सुधरा नहीं, तो देहात का डिजिटल मॉडल धीमा पड़ सकता है। तीसरा, जलवायु परिवर्तन और मौसम की अनिश्चितता भी चुनौती है, क्योंकि इससे फसल पर असर पड़ता है और देहात का बिजनेस भी प्रभावित हो सकता है।
फिर भी, देहात की रणनीति और मेहनत को देखते हुए लगता है कि ये आगे भी कामयाब रहेगा। अगर ये छोटे शहरों और गाँवों तक पहुंच बढ़ाए, टेक्नोलॉजी को और आसान बनाए और किसानों का भरोसा बनाए रखे, तो इसका स्कोप बहुत बड़ा है।
बाकी एग्रोटेक से तुलना: देहात कितना अलग है?
अब बात करते हैं कि देहात बाकी एग्रोटेक स्टार्टअप्स से कैसे अलग है। भारत में कई एग्रोटेक कंपनियाँ हैं जैसे निन्जाकार्ट, क्रॉपइन, और अग्रोस्टार। इन सबका मकसद भी किसानों की मदद करना है, लेकिन देहात कुछ मामलों में आगे निकलता है।
कवरेज: निन्जाकार्ट और अग्रोस्टार ज्यादातर बड़े शहरों और कुछ खास इलाकों में काम करते हैं, जबकि देहात 15+ राज्यों में फैला है और छोटे गाँवों तक पहुँचता है। इसके 11,000 सेंटर्स इसे बाकियों से अलग करते हैं।
सर्विस: क्रॉपइन टेक्नोलॉजी और डेटा एनालिसिस पर फोकस करती है, लेकिन वो सीधे किसानों को प्रोडक्ट्स नहीं बेचती। देहात न सिर्फ सलाह देता है, बल्कि बीज से लेकर बाजार तक सब कुछ कवर करता है।
एक्सपोर्ट: ज्यादातर एग्रोटेक कंपनियाँ अभी लोकल मार्केट पर ध्यान दे रही हैं, लेकिन देहात ने फ्रेशट्रॉप के साथ एक्सपोर्ट में कदम रखा है। ये इसे ग्लोबल प्लेयर बनाता है।
किसान-केंद्रित: अग्रोस्टार भी इनपुट सप्लाई करता है, लेकिन देहात की मुफ्त सर्विस और AI बेस्ड सलाह इसे खास बनाती है। ये किसानों का भरोसा जीतने में ज्यादा कामयाब रहा है।
हालांकि, कुछ मामले में बाकी कंपनियाँ आगे हैं। जैसे, निन्जाकार्ट का सप्लाई चेन मॉडल बहुत मजबूत है और वो बड़े रिटेलर्स के साथ काम करता है। क्रॉपइन का डेटा एनालिटिक्स देहात से बेहतर माना जाता है। लेकिन कुल मिलाकर देहात का “सब कुछ एक जगह” वाला मॉडल इसे सबसे अलग और मजबूत बनाता है।
आगे की राह – क्या देहात टिकाऊ सफलता पा सकता है?
देहात ने अब तक 150 मिलियन डॉलर फंडिंग जुटाई है और 2024 में उसका वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर पार कर गया। लेकिन भविष्य में इसकी चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?
संभावनाएं:
1. टियर-2 और टियर-3 शहरों में विस्तार: देहात अभी 15 राज्यों में है, लेकिन भारत के 700+ जिलों में संभावना अभी भी बाकी है।
2. एग्री-प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स: किसानों से सीधे आटा, तेल, या अचार बनाकर बेचना।
3. ग्लोबल मार्केट: नेपाल और बांग्लादेश में पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू करना।
चुनौतियाँ:
1. प्रतिस्पर्धा: रिलायंस जियो और अडाणी जैसे बड़े ग्रुप भी एग्रीटेक में उतर रहे हैं।
2. किसानों की डिजिटल साक्षरता: आज भी 70% किसान ऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाते।
3. जलवायु परिवर्तन: बाढ़-सूखे जैसे हालात में फसल बर्बादी का खतरा।
विशेषज्ञों की राय:
· नंदन नीलेकणी (इन्फोसिस): “देहात जैसे स्टार्टअप्स भारत की कृषि क्रांति के नेता हैं, लेकिन उन्हें स्केल करते समय गुणवत्ता नहीं छोड़नी चाहिए।”
· किसान राजेंद्र सिंह (बिहार): “पहले हमें बिचौलिए 10 रुपये किलो धन देते थे, अब देहात के जरिए 15 रुपये मिलते हैं।
नतीजा: देहात की कहानी और उसका भविष्य

देहात की कहानी एक मिसाल है कि अगर इरादा मजबूत हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती। इसने बहुत कम वक्त में वो कर दिखाया, जो बड़े-बड़े स्टार्टअप्स के लिए सपना होता है। फाउंडर्स ने हर चुनौती को पार किया, एक ऐसा बिजनेस मॉडल बनाया जो किसानों के लिए वरदान है, और अब इसे देश-विदेश तक ले जा रहे हैं। आगे भी अगर देहात अपने फोकस को बनाए रखे, टेक्नोलॉजी को अपनाए और किसानों का साथ न छोड़े, तो ये और ऊँचाइयों को छू सकता है। बाकी एग्रोटेक कंपनियों से इसकी तुलना करें, तो ये साफ है कि देहात ने अपनी अलग पहचान बनाई है।
देहात की कहानी साबित करती है कि अगर समस्या को गहराई से समझा जाए और टेक्नोलॉजी को साधारण भाषा में पेश किया जाए, तो गांव भी डिजिटल इंडिया का हिस्सा बन सकते हैं। आने वाले सालों में देहात को अपने मॉडल को और मजबूत करना होगा, ताकि किसानों की उम्मीदें टूटने न पाएं। जैसा कि शशांक कुमार कहते हैं: “हमारा लक्ष्य सिर्फ किसानों की आय नहीं, उनका सम्मान बढ़ाना भी है।”
तो बस इतना कह सकते हैं कि देहात सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि किसानों की उम्मीद और खेती के भविष्य का नया चेहरा है। क्या आपको भी लगता है कि ये आगे और कामयाब होगा? या इसमें कुछ और सुधार की गुंजाइश है? ये सोचने वाली बात है!

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