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Risk of Public Wi-Fi- फ्री Wi Fi का इस्तेमाल आपको कैसे ‘खतरे’ में डाल सकता है, AI आने के बाद पब्लिक इंटरनेट के ये 5 बड़े ‘रिस्क’ आपको ‘बर्बाद’ कर सकते हैं?

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Posted by Nirmal | 20 February, 2025

WhatsApp-Image-2025-02-14-at-8.55.26-PM Risk of Public Wi-Fi- फ्री Wi Fi  का इस्तेमाल आपको कैसे 'खतरे' में डाल सकता है, AI आने के बाद पब्लिक इंटरनेट के ये 5 बड़े 'रिस्क' आपको 'बर्बाद' कर सकते हैं?

Free Internet- भारत ( India) में AI फ्री होने के बाद लोगों की जिंदगी में अच्छे बदलाव आ रहे हैं, तो खतरे भी बढ़ गए हैं. ऐसा ही एक खतरा है पब्लिक wi fi इस्तेमाल से जुड़ा. आज लोग मोबाइल से बैंकिंग ( mobile banking) भी करते हैं, ऐसे में अनजान Wi fi आपको बड़े खतरे में कैसे डाल सकता है.
भारत में डिजिटल क्रांति तेजी से बढ़ रही है। AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के मुफ्त टूल्स ने लोगों की जिंदगी को आसान बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधियों ( cyber criminals)
ने भी अपने हमले तीखे कर दिये हैं। ऐसे में, सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल करना आपको किसी “जाल” में फंसा सकता है। चाय की दुकान हो, एयरपोर्ट या मॉल, मुफ्त इंटरनेट का लालच हर किसी को होता है। पर क्या आप जानते हैं कि यही वाई-फाई आपके बैंक अकाउंट, पर्सनल फोटोज़, और यहाँ तक कि आपकी पहचान को भी चुराने का जरिया बन सकता है? खासकर AI टेक्नोलॉजी के बाद ये खतरे कई गुना बढ़ गए हैं। आइए समझते हैं 5 बड़े रिस्क और बचाव के तरीके…

AI की मदद से "आपकी हर गतिविधि पर नजर!

जब आप सार्वजनिक वाई-फाई से कनेक्ट होते हैं, तो हैकर्स आसानी से आपके डिवाइस और इंटरनेट के बीच आने-जाने वाले डेटा को इंटरसेप्ट ( Intercept) कर सकते हैं। पहले यह काम मैन्युअल होता था, लेकिन AI टूल्स ने इसे ऑटोमेटिक और स्मार्ट बना दिया है।
आपके फोन में कैसे घुस जाता है AI?
AI-पावर्ड सॉफ्टवेयर ( AI powered software)
लगातार नेटवर्क पर डेटा स्कैन करते हैं और संवेदनशील जानकारी (जैसे पासवर्ड, UPI पिन, क्रेडिट कार्ड नंबर) को पहचानकर चुरा लेते हैं।
उदाहरण: मान लीजिए आप किसी कैफे में बैठकर PhonePe से पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं। हैकर का AI टूल आपके ट्रांजैक्शन को पकड़कर उसे डिकोड कर सकता है।

Wi- Fi से साइबर धोख़ा

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भारत में 2023 में साइबर धोखाधड़ी के 70% मामले पब्लिक वाई-फाई के जरिए हुए। AI की वजह से ये हमले अब और सटीक हो गए हैं।
बचाव का तरीका:
– हमेशा VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का इस्तेमाल करें।
– HTTPS वेबसाइट्स (URL में “https://” और ताला आइकन) पर ही ब्राउज़ करें।
1.फ़िशिंग अटैक्स: “AI ने बनाए फर्जी लिंक असली जैसे!”
AI अब ऐसे फर्जी ईमेल, मैसेज और वेबसाइट्स बना सकता है, जो देखने में बिल्कुल असली लगें। सार्वजनिक वाई-फाई पर ये हमले आम हैं।
– AI की चालाकी:
जनरेटिव AI (जैसे ChatGPT) का इस्तेमाल कर हैकर्स आपके बैंक, Amazon, या PayTM की टेम्पलेट कॉपी करते हैं और लिंक भेजते हैं। ये लिंक क्लिक करते ही आपका डेटा हैकर्स के पास पहुँच जाता है।
उदाहरण: “आपके अकाउंट में अनाउथराइज्ड लॉगिन! अकाउंट लॉक करने के लिए यहाँ क्लिक करें।”
– भारत में केस:
मुंबई की एक महिला ने स्टेशन के वाई-फाई से IRCTC की फर्जी वेबसाइट पर लॉगिन किया, जिससे उसका पैन कार्ड और बैंक डिटेल्स चोरी हो गए।
बचाव का तरीका:
– किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले URL चेक करें।
– ऑफिशियल ऐप्स का ही इस्तेमाल करें।
2. मैलवेयर और रैन्समवेयर: “AI ने बनाए जानलेवा वायरस!”
सार्वजनिक वाई-फाई के जरिए हैकर्स आपके डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल कर सकते हैं। AI की मदद से ये वायरस पहले से ज्यादा पावरफुल और डिटेक्शन से बचे रहते हैं।
कैसे फैलता है?
एक बार कनेक्ट होने पर, हैकर्स आपको ऐप अपडेट, गेम, या “फ्री रिचार्ज” के लालच में फाइल डाउनलोड करवाते हैं। ये फाइलें AI-जनरेटेड मैलवेयर होती हैं, जो आपके डिवाइस को लॉक कर सकती हैं या डेटा मिटा सकती हैं।
-रैन्समवेयर का खतरा:
2024 में भारत के 1500 से ज्यादा उपयोगकर्ताओं का डेटा AI-पावर्ड रैन्समवेयर से एन्क्रिप्ट हो गया, जिसके बाद हैकर्स ने फिरौती माँगी।
बचाव का तरीका:
– पब्लिक नेटवर्क पर कभी भी अनजान लिंक्स या फाइल्स डाउनलोड न करें।
– एंटीवायरस सॉफ्टवेयर अपडेट रखें।
3. मैन-इन-द-मिडिल अटैक: “बीच में कौन है गुपचुप?”
इस हमले में हैकर आपके डिवाइस और वाई-फाई राउटर के बीच घुस जाता है। AI की मदद से यह प्रक्रिया इतनी स्मूथ हो गई है कि पता भी नहीं चलता।
-AI की भूमिका:
हैकर्स AI टूल्स का इस्तेमाल कर रियल टाइम में आपकी एक्टिविटीज को मॉनिटर करते हैं और महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे OTP) चुरा लेते हैं।
उदाहरण: आपने किसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर लॉगिन किया। हैकर का AI टूल आपके यूजरनेम-पासवर्ड को कॉपी करके खुद ही आपके अकाउंट में घुस जाता है।
बचाव का तरीका:
– टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) जरूर लगाएँ।
– बैंकिंग या शॉपिंग के लिए मोबाइल डेटा का ही इस्तेमाल करें।
4. आइडेंटिटी थेफ्ट: “AI बना सकता है आपका क्लोन!”
AI टेक्नोलॉजी अब डीपफेक वीडियोज़ और ऑडियोज़ बनाने में सक्षम है। अगर सार्वजनिक वाई-फाई के जरिए हैकर्स को आपकी पर्सनल जानकारी (जैसे फोटो, वॉयस नोट्स) मिल जाएँ, तो वे आपकी नकली आइडेंटिटी बनाकर घोटाले कर सकते हैं।
– भारत में हुआ मामला:
दिल्ली के एक व्यापारी का फेसबुक अकाउंट हैक हुआ। हैकर्स ने उसकी आवाज़ की AI क्लोनिंग करके उसके दोस्तों से पैसे माँगे।
बचाव का तरीका:
– सोशल मीडिया पर पर्सनल डिटेल्स शेयर न करें।
– बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (फिंगरप्रिंट/फेस आईडी) का इस्तेमाल करें।

सुरक्षित रहने के 5 गोल्डन टिप्स

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1. VPN है जरूरी: पब्लिक वाई-फाई पर कभी भी बिना VPN के न ब्राउज़ करें।
2. सेंसिटिव काम न करें: बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग जैसे काम घर के नेटवर्क पर ही करें।
3. ऑटो-कनेक्ट बंद करें: डिवाइस की सेटिंग में जाकर “Auto-Connect to Wi-Fi” ऑफ कर दें।
4. फायरवॉल चालू रखें: यह अनऑथराइज्ड एक्सेस को ब्लॉक करता है।
5. लोग आउट करें: वाई-फाई का इस्तेमाल खत्म होने पर “Forget Network” कर दें।

AI का सही इस्तेमाल: सतर्कता ही सुरक्षा है

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AI ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल से बचना भी जरूरी है। सार्वजनिक वाई-फाई के खतरों को समझें और जागरूकता फैलाएँ। याद रखें, “मुफ्त की चीज़ों की कीमत अक्सर आपका डेटा होती है!”

यंगिस्तान के इस आर्टिकल को शेयर करके और लोगों को सचेत करें। साइबर सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, जरूरत है!

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