देश में बेरोजगारी की ‘विकराल’ होती समस्या कभी दूर हो पाएगी ?
Posted by Admin | 21 January, 2025

आज के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है एक अच्छी नौकरी। बड़ी बड़ी डिग्रियां लेने के बाद भी युवाओं को अच्छी नौकरी नहीं मिल पा रही है। लेकिन हैरानी की बात ये भी है कि बड़ी कंपनियों में बड़ी संख्या में पद भी खाली हैं। तो फिर सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये कंपनियां बेरोजगार युवाओं को नौकरी न देकर, अपने पुराने कर्मचारियों से ओवरटाइम क्यों करवा रही हैं ?
इस समय भारत में बेरोजगारी ( jobless ) दर लगभग 7.8% के आसपास है, जो पूरी दुनिया की आर्थिक ताकत बने देशों में सबसे ज़्यादा है। यानी एक ओर भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और दूसरी ओर यहां की युवा शक्ति के पास काम नहीं है। ये एक गंभीर चिंता का विषय है। आपको जानकर हैरानी होगी कि टेल्को, इंफोसिस, एचसीएल जैसी बड़ी कंपनियों में हजारों नौकरियां खाली पड़ी हैं। उदाहरण के लिए, टेल्को में लगभग 10,000 पद, इंफोसिस में 15,000 पद, और एचसीएल में 8,000 पदों पर योग्य उम्मीदवारों की ज़रूरत है। लेकिन इन पदों पर युवाओं की नियुक्ति नहीं हो पा रही है
इसका क्या कारण है, आइये पता लगाते हैं।
बाकी देशों का कैसा हाल

अगर भारत ( India ) की तुलना चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों से की जाए, तो यह साफ हो जाता है कि इन देशों ने बेरोजगारी से निपटने के लिए पूरी योजना के साथ ठोस कदम उठाए हैं। चीन की बेरोजगारी दर ( unemployment ratio ) 5% के आसपास है, जो भारत से काफी कम है। चीन में तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बहुत महत्व दिया जाता है। वहां सरकार और प्राइवेट कंपनियां मिलकर स्किल डेवलपमेंट ( skill development ) के लिए लगातार ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाते हैं। अमेरिका में बेरोजगारी दर लगभग 3.5% है, जो भारत की तुलना में बहुत कम है। अमेरिका में
कॉलेज एजुकेशन को बाज़ार की जरूरतों के हिसाब से ढाला गया है। इसके साथ ही, स्टार्टअप्स और छोटे बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए आसान लोन और टेक्नोलॉजी आधारित ट्रेनिंग कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
ब्राजील ( Brazil ) में बेरोजगारी दर लगभग 8% है, लेकिन वहां भी सरकार ने युवाओं को रोजगार देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं, जैसे कि फ्रीलांसिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल। ब्राजील में छोटे और छोटे- मझोले उद्योगों (SMEs) को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। आमतौर पर अरबों डॉलर वाली कंपनियां उतना रोजगार नहीं देती हैं, जितना छोटे छोटे उद्योग दे पाने में सक्षम हैं।
आंकड़े बताते हैं कि अंबानी, अडानी की कंपनियां का सारा काम सेन्ट्रलाइज होता है, जिसमें एक ही ऑफिस से बाकी ऑफिस को डील करने का सिस्टम बनाया गया है। जैसे एक ही ऑफिस का एचआर स्टाफ पूरे ग्रुप के लिए नीतियां और ट्रेनिंग प्रोग्राम तैयार कर देता है, इसलिए स्टाफ की ज़रूरत घट जाती है, जबकि छोटी कंपनियां इसके लिए अलग स्टाफ रखेंगी।
बेरोजगारी के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि आज के युवाओं में वह स्किल और काबिलियत नहीं है, जिसकी बाजार में ज़रूरत है। यह स्थिति मुख्य रूप से शिक्षा व्यवस्था की खामियों और उद्योगों की जरूरतों के बीच असंतुलन का नतीजा है।
एजुकेशन सिस्टम की खामियां
हमारी मौजूदा शिक्षा व्यवस्था ( education system ) का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को सिर्फ किताबी ज्ञान देना रह गया है। इसमें प्रैक्टिकल नॉलेज और स्किल डेवलपमेंट पर ज़्यादा जोर नहीं दिया जाता। अधिकतर छात्र स्नातक या पोस्ट-ग्रेजुएट तो बन जाते हैं, लेकिन उनमें व्यावसायिक कौशल और नौकरी के लिए जरूरी सॉफ्ट स्किल्स की बहुत कमी होती है। उदाहरण के लिए, कई स्टूडेन्ट अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी सही तरीके से अंग्रेजी बोलने, समस्याओं को सुलझाने या टीम में काम करने जैसे ज़रूरी गुण नहीं सीखते हैं।
इसके अलावा, हमारे शिक्षा संस्थानों में आज भी पुराने पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं, जो वर्तमान उद्योग जगत की मांग से मेल नहीं खाते। तकनीकी और डिजिटल क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों के बावजूद शिक्षा प्रणाली में इनसे संबंधित विषयों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता। हैरानी की बात ये है कि बड़े बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज अभी भी एआई ( AI) की ताकत को नहीं समझ पाएं हैं और उसके हिसाब से स्टूडेन्ट को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग नहीं दी जा रही।
युवाओं की मानसिकता

शिक्षा प्रणाली के अलावा, युवाओं की मानसिकता भी एक बड़ी समस्या है। बहुत से युवा सरकारी नौकरियों को ही प्राथमिकता देते हैं और प्राइवेट कंपनियों के लिए खुद को तैयार नहीं करते हैं।
सरकारी नौकरियों ( government jobs) की सीमित संख्या के कारण इनमें प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक होती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। दूसरी तरफ, कई युवा ऐसे भी हैं जो मेहनत और संघर्ष से बचते हैं और केवल शॉर्टकट अपनाने में विश्वास रखते हैं|
इंडस्ट्री की बदलती जरूरतें
आज के समय में उद्योगों को ऐसे युवाओं की जरूरत है, जो एआई (AI ) और सोशल मीडिया की नई तकनीकों में निपुण हों और प्रैक्टिकल प्रॉब्लम्स का समाधान निकाल सकें। लेकिन शिक्षा व्यवस्था और युवाओं की तैयारियों में इस जरूरत की कमी साफ तौर पर दिखाई देती है। कंपनियों को अक्सर यह शिकायत रहती है कि उन्हें ऐसे कर्मचारी नहीं मिलते जो उनकी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
सरकार की बड़ी नाकामी

सरकार भी बेरोजगारी की समस्या को हल करने में पूरी तरह नाकाम साबित होती रही हैं। मोदी सरकार में स्किल डेवलपमेंट के लिए कई योजनाएं लाई गईं, जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, लेकिन उसमें करप्शन के कारण उनका प्रभाव सीमित रहा। इन योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया, जिससे अधिकतर युवा इनका लाभ उठाने से वंचित रह गए। इसके अलावा, सरकारी नौकरियों की संख्या में कमी और नई भर्तियों में देरी ने भी बेरोजगारी को बढ़ावा दिया है।
सरकार द्वारा शुरू किए गए रोजगार मेले और स्टार्टअप को बढ़ावा देने की योजनाएं भी अभी तक जमीनी स्तर पर उतनी प्रभावी नहीं रही हैं। इसके साथ ही, सरकार निजी क्षेत्र के साथ समन्वय बनाने में नाकाम रही है, जिससे उद्योगों की जरूरतों और युवाओं की तैयारी के बीच की खाई पाटी जा सके।
क्या है समाधान
बेरोजगारी ( unemployment) की इस समस्या से निपटने के लिए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। हमें ऐसे कोर्स डिजाइन करने की जरूरत है, जो रोजगारपरक हों और युवाओं को व्यावसायिक कौशल प्रदान करें। इसके लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
1. कौशल विकास कार्यक्रम: सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर देशभर में बड़ी संख्या में कौशल विकास केंद्र खोलने चाहिए, जहां युवाओं को नई तकनीकों और व्यावसायिक कौशल की ट्रेनिंग दी जा सके।
2. इंटर्नशिप और अपप्रेंटिसशिप: कॉलेजों में पढ़ाई के दौरान ही इंटर्नशिप और अपप्रेंटिसशिप को ज़रूरी बनाया जाना चाहिए। इससे स्टूडेन्ट को प्रैक्टिकल अनुभव मिलेगा और वे नौकरी के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकेंगे।
3. तकनीकी शिक्षा का विस्तार: डिजिटल युग में तकनीकी शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ गया है। स्कूल और कॉलेज स्तर पर कोडिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और अन्य डिजिटल स्किल्स को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
4. रोजगार मेले और करियर गाइडेंस: सरकार को हर जिले में नियमित रूप से रोजगार मेले आयोजित करने चाहिए, जहां युवाओं को कंपनियों के साथ सीधा संपर्क करने का मौका मिले। इसके साथ ही, करियर गाइडेंस प्रोग्राम भी शुरू किए जाने चाहिए, ताकि छात्र अपने कौशल और रुचि के अनुसार करियर चुन सकें।
5. उद्यमिता को बढ़ावा: युवाओं को नौकरी ढूंढने के बजाय नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके लिए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना, लोन की सुविधा प्रदान करना और उद्यमिता प्रशिक्षण देना आवश्यक है। आप ये लेख यंगिस्तान डॉट. को. डॉट इन पोर्टल पर पढ़ रहे हैं।
आखिर में कहा जा सकता है कि बेरोजगारी की समस्या का समाधान सिर्फ सरकार या उद्योग जगत की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए युवाओं को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी और अपनी स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए मेहनत करनी होगी।
यदि शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाए, उद्योगों और शिक्षा के बीच तालमेल बढ़ाया जाए और युवाओं को सही दिशा में प्रेरित किया जाए, तो बेरोजगारी की इस समस्या को दूर किया जा सकता है। एक शिक्षित, कुशल और आत्मनिर्भर युवा ही देश की प्रगति का आधार बन सकता है। इसलिए, हमें अभी से इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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