Vinod Kambali- मौत से जूझते क्रिकेटर विनोद कांबली ने जीवन में कौन सी बड़ी ‘गलतियां’ कीं ?
Vinod Kambali- मौत से जूझते क्रिकेटर विनोद कांबली ने जीवन में कौन सी बड़ी ‘गलतियां’ कीं ?
Posted by Admin | 24 December, 2024

एक दौर में भारतीय टीम के चमकते स्टार बल्लेबाज और सचिन तेंदुलकर के साथी क्रिकेटर के तौर पर पहचाने जाने वाले विनोद कांबली ( vinod kambali) आज अस्पताल के बिस्तर पर पड़े हैं। 52 साल के पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली वैसे तो कई बार अस्पताल में भर्ती किए जा चुके हैं, लेकिन इस बार उनकी हालत और ख़राब बताई जा रही है। बताते हैं कि अचानक कांबली बेहोश हुए और उन्हें ठाणे के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। रिपोर्ट्स आने के बाद पता चला है कि उनके मस्तिष्क में खून के थक्के जमे हुए हैं। उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों ने सोमवार को मीडिया के साथ मेडिकल रिपोर्ट्स साझा की तो लोगों को इसलिए ज़्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि उनकी बीमारी के कई वीडियो वायरल हो चुके हैं। कुछ दिनों पहले कांबली के एक वीडियो में उनको रिहैब सेन्टर में दिखाया गया था। इस वीडियो में साफ दिख रहा था कि कांबली को चलने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनको सहारा देकर बैठाया जा रहा था। वैसे भी कांबली अब तक 14 बार रिहैब सेन्टर ( rehab center) भेजे जा चुके हैं।
विनोद कांबली अगर सचिन तेन्दुलकर ( Sachin Tendulkar) के बचपन के दोस्त न होते तो शायद उनकी दुर्दशा पर किसी को हैरानी न होती। कैरियर के शुरुआती 7 टेस्ट में 100 से ज़्यादा की औसत से 793 रन बनाने वाले विनोद कांबली आगे जाकर अपनी प्रतिभा को संभाल नहीं पाए। कांबली ने 17 टेस्ट और 104 वनडे खेले जिनमें 3561 रन बनाए। संन्यास की घोषणा भले ही उन्होंने साल 2011 में की, लेकिन भारतीय टीम में आखिरी बार साल 2000 में मौका मिला था। पिछले 24 साल में ऐसा क्या हुआ कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रतिभावान क्रिकेटर ( cricketer) आज दया का पात्र बन गया।
कांबली की किस्मत

GOD of Cricekt( माने गए महान सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने मुंबई ( Mumbai ) के आज़ाद मैदान से क़रीब एक साथ करियर की शुरुआत की। 1998 में हैरिस शील्ड स्कूल टूर्नामेंट टूर्नामेन्ट में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रन की साझेदारी कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर धूम मचा दी थी।
18 जनवरी 1972 को मुंबई में जन्मे विनोद कांबली ने 1991 में करियर की अपने शुरुआत की और अंतिम बार भारत के लिए साल 2000 में खेला था. अपने पहले 7 टेस्ट में कांबली ने 100 से ज़्यादा की औसत से 793 रन बनाकर तहलका मचा दिया। कांबली ने अपने तीसरे ही टेस्ट में शतक बनाकर क्रिकेट की दुनिया में धमाका कर दिया था।
पहले सात टेस्ट मैचों में उन्होंने चार शतक ( century ) जड़कर अपना लोहा मनवाया। उन चार सैकड़ों में से दो डबल सेंचुरी थीं। कांबली ने 18 नवंबर 1994 को ऐसा रिकॉर्ड बनाया था जो कि पिछले 26 सालों से बरकरार है। उन्होंने टेस्ट की महज 14 पारियों में 1000 रन पूरे कर दिए थे। वे इंडिया ( Team India )के लिए सबसे तेज टेस्ट में एक हजारी बनने वाले बल्लेबाज हैं। उनसे कम पारियों में सिर्फ तीन दिग्गजों ने 1000 रन पूरे किए हैं।
यही कारण था कि उस दौर में कांबली को सचिन से भी बड़ा बल्लेबाज माना जाने लगा था। लेकिन कुछ ही समय के बाद वो काबिलियत खोने लगी और कांबली का बल्ला चमक खोता गया..ऐसे हालात में उनकी जगह कब तक टीम में बरकरार रह पाती? 90 के दशक में सचिन का करियर चमकता गया, जबकि कांबली धुंध में खोते चले गए। कांबली ने 17 टेस्ट और 104 वनडे खेले जिनमें 3561 रन बनाए। लंबे समय तक बाहर रहने के बाद आखिर उन्होंने 2011 में संन्यास की घोषणा कर दी। क्रिकेट के बाद राजनीति में भी कांबली कामयाब नहीं हो पाए। 2009 के विधानसभा का चुनाव कांबली ने मुंबई की विक्रोली सीट से लोक भारती पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए। उनको केवल 3861 वोट मिले थे।
मैकेनिक के बेटे ने रचा इतिहास

विनोद कांबली का पूरा नाम विनोद गणपत कांबली है। उनका जन्म 18 जनवरी 1972 को कंजुरमार्ग स्थित इंदिरा नगर में हुआ था। उनके पिता गणपत एक मेकैनिक थे और बहुत मुश्किल से 7 लोगों के परिवार का पालन-पोषण करते थे। ये बहुत कम लोग जानते हैं, कि कांबली के पिता मुंबई क्लब सर्किट के लिए क्रिकेट खेलते थे और तेज गेंदबाज हुआ करते थे। कांबली एक साधारण परिवार से आते हैं। बचपन अभाव में बीता था। कहा जाता है कि करियर की शुरुआत में अचानक मिली दौलत और शोहरत को वे संभाल नही पाए। करियर और ग्लैमर की दुनिया के बीच संतुलन नहीं बिठा पाए। कांबली ने दो शादियां कीं थीं। पहली शादी 1998 में एक क्रिश्चियन लड़की नोएला लुईस से की थी, जो पुणे के एक होटल में रिसेप्शनिस्ट थीं। लेकिन ये शादी कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद कांबली फिल्मी दुनिया की तरफ आकर्षित हुए। कुछ समय बाद कांबली का दिल फैशन मॉडल एंड्रिया हेविट पर आ गया। हेविट के साथ कांबली का रिश्ता चला और दोनों अब तक साथ हैं। इनका एक बेटा जीसस क्रिस्टियानो कांबली और एक बेटी है। लेकिन बुरी सेहत और आर्थिक चिन्ताओं का असर परिवार पर भी पड़ रहा है।
आज छोटे से छोटा क्रिकेटर भी कमाई के मामले में बहुत आगे है, लेकिन इतना बड़ा नाम पैदा करने के बाद भी कांबली उसे बरकरार नहीं रख पाए। आज के युवाओं को कांबली के गलत फैसलों से सीख लेने की ज़रूरत है। 1998 में जब कांबली का बल्ला आग उगल रहा था, वे शोहरत के आसमान में थे। तभी उन्होंने कई गलत फैसले लेने शुरू कर दिए थे।
पहली शादी भी उसी दौर में कर ली जो आगे चल कर ग़लत फैसला साबित हुई।कांबली का करियर शराब के अत्यधिक सेवन के कारण भी डगमगाता चला गया। रिटायरमेंट के बाद कुछ साल तक कई न्यूज़ चैनलों ने उन्हें क्रिकेट एक्सपर्ट के तौर पर स्टूडियो गेस्ट भी बनाया, लेकिन कहते हैं कि कई बार व् होटल में ही पड़े रह जाते थे। अक्सर स्टूडियो देर से पहुंचने के कारण ये काम भी हाथ से छूटता गया। भावुक इतने हैं कि एक बार सचिन के पैर छू कर माफ़ी मांग चुके हैं।
कांबली के जीवन से सबक

सवाल वही है कि आखिर इतने प्रतिभाशाली क्रिकेटर का इतना बुरा दौर कैसा आया ? क्रिकेट के दौरान ही एक समय ऐसा भी आया जब विनोद कांबली अपनी बल्लेबाजी से ज्यादा अनशासनहीनता की वजह से चर्चा में रहने लगे। इसके बाद फॉर्म ने भी उनका साथ छोड़ दिया। हालांकि उन्हें वापस भी टीम में जगह दी गई लेकिन कांबली को कारनामा नहीं कर पा रहे थे, जो उन्होंने शुरुआत में किया था। टीम से अंदर-बाहर होने का सिलसिला भी खत्म हुआ और कांबली को हमेशा के लिए टीम से बाहर कर दिया गया. उन्होंने अपने करियर में 17 टेस्ट मैच खेले और 54.20 की औसत से 1084 रन बनाए. वह भारत के लिए 104 वनडे मैच भी खेले और 32.59 की औसत से 2477 रन बनाए, जिसमें दो शतक और 14 अर्धशतक शामिल रहे। क्रिकेट से दूर होने के बाद कांबली को जीवन यापन करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। मुंबई में अपना घर और रेंज रोवर कार होने के बावजूद इस क्रिकेटर की हालत बीच में काफी तंग हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने जॉब के लिए गुहार भी लगाई थी।
एक अखबार को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें क्रिकेट से जुड़े किसी काम की तलाश है। वे मुंबई क्रिकेट संघ से अपने घर के पास क्रिकेट से जुड़ा कोई काम मांग रहे थे। 2019 में मुंबई T20 लीग में वे कोच का काम कर रहे थे लेकिन कोविड के कारण ये काम भी खत्म हो गया। दोस्त सचिन ने उन्हें मुंबई के नेरूल के Middlesex Global Academy में कोच का काम दिलाया था, मगर कांबली के लिए हर दिन 30 किलोमीटर दूर नेरूल जाना थकाने वाला काम था। उन्होंने इंटरव्यू में कहा था-
“मैं 5 बजे सुबह उठता था, कैब लेकर डीवाई पाटील स्टेडियम जाता था. मेरे लिए ये थकाने वाला काम था. उसके बाद शाम में, मैं बीकेसी मैदान पर कोचिंग देता था. मैं एक रिटायर्ड क्रिकेटर हूं. मैं बीसीसीआई से मिलने वाले पेंशन पर पूरी तरह निर्भर हूं. इसी से परिवार के साथ गुज़र-बसर कर रहा हूं।”
अब सवाल ये है कि क्या नौकरी के लिए 30 किलोमीटर जाना सचमुच थकाने वाला काम है, जबकि आप एक एथलीट रहे हो ? यहां तो आम आदमी महानगरों में आपसे ज़्यादा सफ़र करता है । दिल्ली की बात करें तो हर रोज़ सैकड़ों लोग नोएडा-गाज़ियाबाद से गुड़गांव जाते और आते हैं। नवी मुंबई से कितने लोग बीकेसी जाते हैं। इस रवैए के साथ सचिन तेंदुलकर क्या और कब तक मदद कर पाएगा? जब इंटरव्यू में कांबली से पूछा गया कि क्या दोस्त ने मदद की तो बोले- “सचिन को सब पता है लेकिन मैं उनसे कोई उम्मीद नहीं कर रहा हूं। उसने मुझे TMGA-तेंदुलकर मिडिलसेक्स ग्लोबल एकेडमी का काम दिलाया था। मैं बहुत ख़ुश था, वो बहुत अच्छा दोस्त है, उसने हमेशा साथ दिया है।”
अनुशासनहीनता और विवादों ने किया बर्बाद

आप इसे विनोद की ख़राब किस्मत कह सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि अनुशासनहीनता और बेवजह के विवादों के कारण कांबली से मौके छिनते चले गए। आज के दौर में जब क्लब लेवल का क्रिकेट खेलवे वाले भी इतना ज़्य़ादा पैसा कमा रहे हैं, कांबली जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बात 1996 की है- वर्ल्ड के सेमीफ़ाइनल में भारत श्रीलंका से हार गया, कांबली ने आरोप लगाया कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन ने कुछ खिलाड़ियों और टीम मैनेजर के साथ मिलकर मैच फ़िक्स किया था। इससे कांबली की निगेटिव पब्लिसिटी हुई। इसी तरह साल 2009 में जब वे टीम से बाहर थे, उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि ‘उन्हें टीम में भेदभाव का सामना करना पड़ा था, कांबली के मुताबिक तब सचिन ने उनकी कोई मदद नहीं की थी’। शायद इसी का असर था कि 2013 में सचिन की रिटायरमेंट पार्टी में कांबली को नहीं बुलाए जाने की काफ़ी चर्चा हुई थी।
इसी तरह 2015 में कांबली की घरेलू मेड ने कांबली पर कई गंभीर आरोप लगे थे, जिसके कारण उनको जेल भी जाना पड़ा। 2018 में बांद्रा पुलिस ने उन्हें शराब पी कर दूसरी गाड़ी में टक्कर मारने के आरोप में गिरफ़्तार किया। आरोप है कि उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के कोच रमेश पोवार की पत्नी की कार ठोक दी थी। तो कुल मिलाकर कांबली ने अपने जीवन में बहुत से ऐसे काम किए, जिसमें उनकी प्रतिभा भटककर रह गई। उनके दोस्त सचिन लगातार अपने खेल के साथ अपने निजी जीवन में भी विवादों से दूर रहे, यही कारण है कि वे आज भी महान क्रिकेटर माने जाते हैं। आज के युवा विनोद कांबली और सचिन से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

Post Comment