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UAE’s First Hindu Temple- मुसलिम देश यूएई में इतना विशाल हिन्दू मंदिर कैसे बन पाया ? अंदर की पूरी कहानी जानकार हैरान रह जाएंगे

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Posted by Admin | 13 February, 2024

WhatsApp-Image-2024-02-13-at-11.00.54-PM UAE's First Hindu Temple- मुसलिम देश यूएई में इतना विशाल हिन्दू मंदिर कैसे बन पाया ? अंदर की पूरी कहानी जानकार हैरान रह जाएंगे

कुछ ही दिन पहले 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई और आज मुसलिम देश यूएई की राजधानी आबूधाबी में शानदार हिन्दू मंदिर का उद्घाटन का हो गया। दोनों ही मंदिरों के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री मोदी मौजूद रहे।
अबू धाबी में ( Abu Dhabi ) बना यह हिंदू मंदिर ( Hindu Temple ) 108 फीट ऊंचा है। मंदिर का निर्माण बड़ी मात्रा में संगमरमर, बलुआ पत्थर और ईंटों से हुआ है। 4 लाख घंटे से ज्यादा काम करते हुए इसे बनाया गया है। इसमें 40,000 क्यूबिक फीट संगमरमर, 1,80,000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर, 18,00,000 ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर का एक रिकॉर्ड भी है। यह पश्चिम एशिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है। मंदिर को बनाने में भव्यता के साथ ही भारतीय वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्ता का विशेष ख्याल रखा गया है। इसमें भारत के ही कुशल कारीगरों ने अपनी एक्सपर्टीज दिखाई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ( S. Jayshankar ) अभिनेता अक्षय कुमार ( Akshay Kumar ) और संजय दत्त ( Sanjay Dutt) जैसी प्रमुख हस्तियों समेत 50 हजार से ज्यादा लोगों ने इसमें श्रमदान किया, जो एक अपने आप में यादगार रहा। मंदिर में आगंतुक केंद्र, प्रार्थना स्थल, प्रदर्शनी स्थल, बच्चों के खेलने का स्थान, फूड कोर्ट, किताबें और उपहार की दुकान शामिल है। मंदिर की नीव में 100 सेंसर और पूरे क्षेत्र में 350 से ज्यादा सेंसर हैं, जो तापमान, भूकंप और दबाव से जुड़े डेटा देते हैं।

1997 में देखा था सपना

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यूएई के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन भले ही आज हुआ हो सेकिन लेकिन इसकी कल्पना करीब ढाई दशक पहले 1997 में बीएपीएस संस्था के तत्कालीन प्रमुख स्वामी महाराज ने की थी। बीच में सालों तक मामला लटका रहा। जब मोदी 2014 में पीएम बने और यूएई की यात्रा पर गए तो उसके बाद मंदिर को हरी झंडी मिल गई। अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात सरकार ने अबू धाबी में मंदिर बनाने के लिए जमीन देने का फैसला किया। 16 अगस्त 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसले की जानकारी दी और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात सरकार का आभार भी जताया। पीएम मोदी ने मंदिर के लिए जमीन देने के निर्णय को एक बेहतरीन कदम बताया था। मंदिर का निर्माण 2019 में शुरू हुआ था। यह 2022 में पूरा होने वाला था। हालांकि, कोरोना की महामारी के कारण निर्माण में देरी हुई। अब यह बनकर तैयार हो गया है।

यह मंदिर यूएई की राजधानी अबू धाबी में ‘अल वाकबा’ नाम की जगह पर बनाया गया है, जो 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। हाइवे से सटी अल वाकबा नामक जगह अबू धाबी से तकरीबन 30 मिनट की दूरी पर है। इस मंदिर को बनाने के लिए बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानी बीएपीएस लंबे समय से लगी थी। लेकिन जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो ये प्रोजेक्ट आगे बढ़ा।

2018 में रखी गई थी आधारशिला -

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27 दिसंबर 2023 को बीएपीएस ने उद्धाटन समारोह के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया था। साल 2018 में इसकी आधारशिला रखी गई थी. इस मंदिर के लिए भारतीय कारीगरों ने मूर्तियों के नक्काशी की है. इसके साथ ही इस मंदिर में यूएई की सभी अमीरातों का भी जिक्र देखने को मिलेगा.
इस फैसले के दो साल बाद 2017 में अबू धाबी के राजकुमार ने शाही आदेश के जरिए भूमि उपहार में दी। 2018 में अबू धाबी के राजकुमार ने पीएम मोदी के साथ मिलकर मंदिर के लिए सहमति दे दी। इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी हिंदू मंदिर की परियोजना शुरू की। इसके अलावा मंदिर की शोध वास्तुकला भी तैयार की गई। अप्रैल 2019 में यूएई के पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास हुआ था। लगभग 5,000 भक्त बीएपीएस हिंदू मंदिर के शिलान्यास समारोह में भाग लेने और देखने के लिए एकत्र हुए थे। यह समारोह मंदिर के निर्माण की शुरुआत का प्रतीक था। आधारशिला रखने के बाद भारत की तीन प्रमुख पवित्र नदियों गंगा, यमुना एवं सरस्वती से लाया गया जल पत्थरों पर अर्पित किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, जापान, अफ्रीका, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों के भक्तों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया था।
शिलान्यास के बाद 2020 में भारत में पत्थरों पर मूर्तियां उकेरने का काम जारी रहा। वहीं आखिरकार इसका डिजाइन तैयार हुआ, जो पारंपरिक शिला मंदिर की शैली का था। इस तरह से मंदिर परिसर में पुस्तकालय, कक्षा, सामुदायिक केंद्र, सभास्थल, रंगभूमि बनाए जाने की परिकल्पना की गई।

अगस्त 2023 में मंदिर के लिए वह घड़ी आई जब यह साकार रूप ले चुका था। मंदिर प्रशासन ने इसे ‘रेगिस्तान में खिलता कमल’ की संज्ञा दी। आप भी आबू धाबी जाकर इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

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